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गुरुजी ने सुना तो उन्हें अहंकार आ गया। अरे, मेरे नाम में इतनी शक्ति और सामर्थ्य है जिसका मुझे ध्यान ही नहीं था।
दूसरे दिन गुरुजी को नदी पार किसी कार्य के लिए जाना था। अहंकार का काला नाग तो मन में फन फैलाकर बैठा ही था । वे मैं-मैं कहकर नदी में कूद पड़े। नदी का प्रवाह इतना तेज था कि संभल नहीं सके और पानी में डूब गये।
श्रद्धा तिरातो है और अहंकार व्यक्ति को डुबा देता
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बोलती तसबीरें
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