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तथागत बुद्ध ने मुस्कराते हुए कहा—राजकुमार ! तुमने यह क्या किया ?
राजकुमार-भगवन् ! यह पौधा अभी से इतना कड़वा है कि मेरा सारा मुह कड़वा जहर हो गया है। यदि यह पौधा बढ़ जायेगा तो विष-वृक्ष ही बन जायेगा। इसीलिए मैंने इसे जड़ से ही उखाड़ फेंका।
तथागत बुद्ध ने कहा—तुम्हारे कटु व्यवहार से जनता भी इसी तरह पीड़ित है, वह भी तुम्हें नष्ट करना चाहती है इसलिये यदि तुम फलना-फूलना चाहते हो तो अपने व्यवहार को मृदु बनाओ, नहीं तो इस पौधे की तरह तुम्हारी भी दशा हो जायेगी।
तथागत बुद्ध के उपदेश का ऐसा असर हुआ कि राजकुमार के जीवन का नक्शा ही बदल गया। उसके जीवन में सादगी, संयम, सदाचार अंगड़ाइयाँ लेने लगे। ___ सभी के प्रति उसका व्यवहार बहुत ही मधुर हो गया।
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मधुर बनो
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