Book Title: Bhuvanabhanukevalicariya Author(s): Indahansagani, Ramnikvijay Gani Publisher: L D Indology Ahmedabad View full book textPage 8
________________ प्रस्तावना संपादन पद्धति अने प्रति-परिचय वि. सं. १५५४ मां तपगच्छनी कुतुबपुरा शाखाना इन्द्रहंस गणिए रचेल प्राकृत पद्यबद्ध 'भुवनभानुकेवलि - चरित' अह्नीं प्रथम बार संशोधित थई प्रकाशित थाय छे.' पू. स्व. आगम - प्रभाकर मुनि पुण्यविजयजीना सहवासो स्व. मुनि रमणीकविजय जोए प्रस्तुत कृतिनी प्रेसकोपी नोचे नोंघेलो प्रति नं.१ ऊपरथी करेली अने तेमां जरूरी संशोधन माटे प्रति नं.२ नो आधार लीघेलो. ' बन्ने हस्तप्रतोमां कोई महत्वपूर्ण पाठास्तर न होवाथी पाठान्तरोनी अलग नोंध लीधो नथी. कठिन स्थळोना संस्कृत पर्याय भने टिप्पण संपादकश्रीए ज आपल छे. प्रति १ : पं. कीर्तिमुनि ज्ञानकोश, गोधावी (कागळनो प्रति, नंबर नथी ) परिमाण - १०x४॥” (२५.३x ११ से. मी.) पत्र- ७२, प्रतिपृष्ठ पंक्ति - १४, प्रतिपंक्ति अक्षर- ४० लगभग स्थिति-सारी, अक्षरो सुवाच्य. आरंभ ||०|| सिरि वद्धमाण सामी जिणेसरो...... अंत - इति श्रीमत्तपागण - नभो - नभोमणि - महोपाध्याय - श्री धर्महंस-गणि-शिष्य - वायकेन्द्र - श्री इन्द्रल गणि-विरचितं श्री बलिनरेन्द्र-चरित्रं संपूर्णम् ॥ आ प्रतिना प्रत्येक पृष्ठ पर होसियामां 'भुवनभानु०' एम कृतिनुं नाम लखेल छे. प्रति-२ : संवेगी उपाश्रय, अमदावाद (डाबडा नं. ६५ प्रति नं. २४८१, कागळनी प्रति) परिमाण - १० ॥ ४४ ॥” (२६४११ से.मी.) Jain Education International पत्र - १८, प्रतिपृष्ठ पंक्ति १५, प्रतिपंक्ति अक्षर ५० लगभग. स्थिति-सारी, अक्षरो सुवाच्य. आरंभ - अंतः - प्रथम प्रति प्रमाणे. १. सन १९३७मां विठलजी हिरालाल हंसराज जामनगरवाळाए एक 'भुवनभानु केवलि - चरित' (संस्कृत) प्रकाशित करेल छे, तेमां तेना कर्तानु नाम इन्द्रहंस गणि छापेल छे, परंतु ते आ. हेमचंद्रसूरि मलबारीना 'भव-भावना' ग्रंथमांथी उद्धृत संस्कृत गद्यबद्ध 'भुवनभानु- चरित्र' छे. ते ज रीते जैन धर्म प्रसारक सभा, भावनगर तरफथी वि.सं. १९८१मां आ हेमचंद्रसूरि-रचित 'भुवन भानु- चरित्र' नो ज गुजराती अनुवाद प्रसिद्ध थयेल. तेमां पण कर्त्तानु नाम इन्द्रहंस गणि ज दर्शावेल छे. आ भूल प्रस्तुत कृति जोतां ज स्पष्ट जणाई आवे छे. . २. स्व. संपादक श्रीए आनी कोई नोंध प्रेसकोपीमां के अन्यत्र करेला मळो नथी परंतु ते ओश्रीए उपयोगमा लोघेली हस्तप्रतोनी भाईश्री लक्ष्मणदास भोजकने जाण हती, अने तेमणे ते प्रतिओ अमने लाबी आपी. बन्ने प्रतिओ साधे प्रेस कोपी मेळवी जोतां आ हकीकत स्पष्ट थई. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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