Book Title: Bhrun Hatya Maha Paap Bachao Bachao
Author(s): Rashmiratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 4
________________ मेवाड़ देशोद्धारक आचार्यदेव श्रीमद्विजय जितेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज ! ___ “मैं कुछ नया नहीं कर रहा हूँ, सिर्फ अतिक्रमण हटा रहा हूँ" ये शब्द हैं उस महाशक्ति के, जिसने मेवाड़ की धरती को नवपल्लवित करने का संकल्प लिया मूर्तिविरोधी सांप्रदायिक ताकातों से अहिंसक ढंग से जूझने की आपकी जुझारूवृत्ति... और आनेवाले हर भीषण कष्टों को समभाव से सहन करने की शक्ति... भल-भले के शिर नंवा देती है... हजारों वर्षों से मूर्तिपूजा के उपासकों ने जो आलीशान मंदीर बनाये थे वे मेवाड में ध्वस्त बनने के कगार पर ही थे कि एक विराट शक्ति का जागरण हुआ-जिसने सिर्फ मंदिरों का ही नहीं, अपितु अपनी जादुई प्रवचनशक्ति के बल पर श्रावकों का जीर्णोद्धार करने की भी मन में ठान ली थी, उसी विराट शक्ति का दूसरा नाम था मेवाड़ देशोद्धारक आचार्यदेव श्रीमद् विजय जितेन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा ? स्वर्गस्थ गुरुदेव श्री को कोटि-कोटि वंदन ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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