Book Title: Bhrun Hatya Maha Paap Bachao Bachao
Author(s): Rashmiratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भ्रूण हत्या महापाप ! बचाओ... बचाओ... !! पंन्यास रश्मिरत्नविजय For Personal & Private Use Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संस्कृतिरक्षा अभियान भ्रूण हत्या महापाप ! बचाओ... बचाओ... !! - पंन्यास रश्मिरनविज्य आर्य देश की माताओं। बहिनों ! अभिभावकों। . सत्य को पहिचानो युग है श्वेत क्रांति का, कदम बढाओ...! कदम उठाओ ! 'वी' फॉर विक्ट्री आपके हाथ हैं। इस पुस्तिका की पू. ५० लाख प्रतियों को आज तक लाखों वाचकों ने पढ़ी है, सुधार हुआ है । रेड सिग्नल समान इस पुस्तक की बातों की असर सरकार पर भी हुई है। प्रचार साहित्य मूल्य :- मात्र पांच रुपये प्रकाशक-प्राप्ति-स्थान जिनगुण आराधक ट्रस्ट 151, गुलालवाड़ी, कीका स्ट्रीट, मुंबई (M) 09909659686, 022-23867581 Shrijingun@yahoo.com., www.jing'unvani.com For Personal & Private Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुद्रक : सिध्धचक्र ग्राफिक्स (अहमदाबाद ) फोन : (O) 25620579, 65303979 संस्करण : प्र. सं. १०००, द्वि. सं. ५०००, तृ. सं. २०००० जनवरी १९९९ चतुर्थ सं. ५००० मई २००७ दिव्याशीर्वाद पूज्यपाद सिद्धांत महोदधि आ. श्री प्रेमसूरीश्वरजी म.सा. पूज्यपाद युवा शिविर आद्य प्रणेता आ. श्री भुवनभानु सूरीश्वरजी म. सा. पूज्यपाद मेवाड़ देशोद्धारक आ. श्री जितेन्द्र सूरीश्वरजी म. सा. आशीर्वाददाता गच्छाधिपति आ. श्री जयघोषसूरीश्वरजी म.सा. पूज्यपाद दीक्षादानेश्वरी युवक जागृति प्रेरक आ. देव श्री गुणरत्नसूरीश्वरजी म. सा. आधार घेर- घेर प्रोब्लेम (पं. श्री हेमरत्न वि.) से कई प्रकरण अनुदित, रक्त पिपासा-प्रतिक्रांति-श्रमण भारती, युवानो जागो - सर्वोत्तम गर्भपात उचित या अनुचित आदि सूचना :- इस पुस्तक को आधार मानकर लिखी गई गर्भपात उचित - अनुचित पुस्तक को गीताप्रेस गोरखपुर व जैन बुक एजेन्सी नई दिल्ली से १९ संस्करणों के साथ साढे तीन लाख से अधिक पुस्तकें छपी है.... सौजन्य संघवी श्री देवीचंदजी भीकमचंदजी कोठारी आयोजित साबरमती - सिद्धगिरिराज छःरी पालक संघ के यात्रिक गणों के सामुदायिक टीप से For Personal & Private Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मेवाड़ देशोद्धारक आचार्यदेव श्रीमद्विजय जितेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज ! ___ “मैं कुछ नया नहीं कर रहा हूँ, सिर्फ अतिक्रमण हटा रहा हूँ" ये शब्द हैं उस महाशक्ति के, जिसने मेवाड़ की धरती को नवपल्लवित करने का संकल्प लिया मूर्तिविरोधी सांप्रदायिक ताकातों से अहिंसक ढंग से जूझने की आपकी जुझारूवृत्ति... और आनेवाले हर भीषण कष्टों को समभाव से सहन करने की शक्ति... भल-भले के शिर नंवा देती है... हजारों वर्षों से मूर्तिपूजा के उपासकों ने जो आलीशान मंदीर बनाये थे वे मेवाड में ध्वस्त बनने के कगार पर ही थे कि एक विराट शक्ति का जागरण हुआ-जिसने सिर्फ मंदिरों का ही नहीं, अपितु अपनी जादुई प्रवचनशक्ति के बल पर श्रावकों का जीर्णोद्धार करने की भी मन में ठान ली थी, उसी विराट शक्ति का दूसरा नाम था मेवाड़ देशोद्धारक आचार्यदेव श्रीमद् विजय जितेन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा ? स्वर्गस्थ गुरुदेव श्री को कोटि-कोटि वंदन ? For Personal & Private Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६० दीक्षा दानेश्वरी युवक जागृति प्रेरक आचार्यदेव श्री गुणरत्नसूरीश्वरजी महाराजा आज की युवापीढ़ी समाज की रीढ़ है... उसको भोगविलासिता की धुन खोखला बनाये जा रही है... फलस्वरूप अशांत युवा पूरे समाज को अशांत बना रहा है । विश्व अशांति की टाटा भट्टी में अपने सह अस्तित्व का संतुलन खो बैठा है... इस विषम परिस्थिति से विश्वनागरिक Top से Bottom सभी वाकिफ है मगर अकर्मण्यता ने सभी को जकड़ रखा है... कुछेक अपवादों को छोड़कर ? उन्हीं अपवादों में एक महाशक्ति है विश्वशांति प्रणेता युवक जागृति प्रेरक दीक्षा दानेश्वरी आचार्य देव श्रीमद्विजयगुणस्न सूरीश्वरजी महाराजा ? जिनकी रग-रग में युवा शक्ति के प्रति प्यार है... युवाओं में रहे हुए हर उज्ज्वल पहलुओं से जिन्हें बेहद लगाव है... इन युवाओं के माध्यम सेही अहिंसक व्यसनमुक्त नवयुग निर्माण का जिन्हें विराट स्वप्न है... विश्व शांति के जो प्रबल पक्षधर है... अनेक युवकयुवतियों को जिन्होंने प्रभु महावीर के त्यागमय पथ में दीक्षित किया है... कर रहे हैं... अनेक पतितों के जो सफल मार्गदर्शक बने हैं... ऐसे पूज्य गुरुदेव को कोटीश: वंदन ! For Personal & Private Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पू. दीक्षा दानेश्वरी आ. भगवंत श्री गुणरत्न सू. म.सा. प्रवचन प्रभावक पंन्यास श्री रश्मिरत्न वि. की निश्रा-मार्गदर्शन में अनेक गतिविधियाँ - सामूहिक मार्गदर्शन में जगजयवंत श्री जीरावला तीर्थोद्धार - अति प्राचीन श्री वरमाण तीर्थोद्धार शुरु - प्राचीन मूंगथला तीर्थोद्धार हो चुका है... - आबूनिकट संघवी भेरुतारक धाम, श्री पावापुरी जीव मैत्री धाम, श्रीत्रिभुवनतारक तीर्थ (पाली) में लाखों लोग लाभ ले रहे हैं । - पूज्यश्री के मार्गदर्शन में सुमेरपुर नेशनल हाईवे वर्धमान बोर्डिंग हाऊस के परिसर में अक्षर धाम की तर्ज पर भगवान महावीर के सिद्धांतों को जन-जन तक पहुँचाने के लिये अभिनवमहावीर धाम बन रहा है । जिसमें २५ फूट के भगवान भी होंगे। - प्रतिवर्ष ग्रीष्मावकाश में आबू जैसे प्रसिद्ध स्थानों में युवाओं के संस्करण हेतु शिविर लगते हैं.... युवा पुत्रों को भेजिये । - पूज्यश्री की निश्रामें श्री नाकोड़ा तीर्थ पेढी संचालित दो विशिष्ट योजनाएँ (१) घर बैठे निःशुल्क विश्व प्रकाश पत्राचार पाठ्यक्रम बी.जे डिग्री कोर्स.... प्रथम वर्ष जैन परिचय, द्वितीय वर्ष जैन विशारद, तृतीय वर्ष जैन स्नातक बी. जे. डिग्री व ईनाम । एक लाख विद्यार्थी आजतक ज्ञान ले चुके है । (२) प्रतिवर्ष तीन शिविर लगाकर पर्युषण आराधक तैयार किये जाते हैं जो देश-विदेश में पर्युषण की बढ़िया आराधना करवा सकें..... पाँच प्रतिक्रमण किये हुए जिन युवकों को ट्रेनिंग में जुडनो हो अथवा जिन संघों को नि:स्वार्थ सेवाभावी हिंदीभाषी पर्युषणाराधक चाहिये वे भी संपर्क करें..... विश्व प्रकाश पर्युषण विभाग, श्री नाकोड़ा तीर्थ पेढी, पो. मेवानगर, जि. बाड़मेर (राज.) बालोतरा ०२९८८-२४०००५ - २४००९८ (फे.) २४०७६२ फोन : ९४१३१३८८३५ बचाओ... बचाओ...!! For Personal & Private Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || नमो अरिहंताणम् ।। श्वेत क्रान्ति... ! जिन्दाबाद !! सावधान...! सावधान...!! जम कर बैठी हुई अनेक भ्रान्त कल्पनाओं की धज्जियां उड़ाने वाला आपके दिल और दिमाग में पहली बार आ रहा है एक धमाका... 'एटम बॉम्ब' जिसका दूसरा नाम है - बचाओ ! ब... चा... ओ !! भ्रूण हत्या महापाप !! जी, हां! यह कोई आपके शहर में पहली बार आने वाली फिल्म का विज्ञापन या खुश खबरी (?) नहीं है । यह परिचय है उस पुस्तक का, जिसका प्रत्येक शब्द आग का गोला हैं ... ! बारूद का गोला है... !! एटम बम है... !! इस किताब को पढ़ते ही चौंक उठेंगे वे डाक्टर्स, जिन्होंने भ्रूण हत्या करने के लिये छुरी - चाकू हाथों में उठा रखी हैं। चौंक उठेंगी वे नर्स... जो भ्रूण हत्या में सहायक बनने चली है । 'एबोर्शन केन्द्र बनाम हत्या केन्द्र' 'गर्भ बोला... ओय माँ ! मैं मर गया...!' ये शब्द नहीं, वेदना से भरी चित्कार है, धरती माँ की अवगति की पुकार है । यह बात पूर्णतः सत्य है कि गर्भपात ने एक नहीं, राम कृष्ण और सती सावित्री जैसी अनेक दिव्य विभूतियों का गर्भ में ही हनन कर दिया । टी.वी. के महाभारत सीरियल को देखकर जब नेताजी ने पूछा कि यह ' यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत...' वाला श्लोक कुछ वक्त रखता है या यूं ही एक स्टंट है ? हाजिर जवाब गोपीचन्द सेठ को सदा की तरह आज भी जवाब मिल ही गया, बोले ' अरे साहब ! यह स्टंट - बंट नहीं... सौ फीसदी सच बात है । काश्मीर के एक महान् योगीजी को श्रीकृष्ण ने स्वप्न में आकर इस प्रश्न का उत्तर दिया कि मैं हर वक्त अवतार लेने की तैयारी करता हूं मगर गर्भ में ही मेरी हत्या कर दी जाती है ।' उफ् !! - पंन्यास रश्मिरत्नविजय बचाओ ... बचाओ... !! For Personal & Private Use Only 6 Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एटेन्शन प्लीज...!!! बचाओ... ब... चा... ओ ! इस हृदय विदारक आर्त्तचीख की गूंज सृष्टि के कण - कण तक पहुंच चुकी है... । मगर... यह चीन किस आर्त्त महिला की है...? किस इज्जतदार नारी की है...? इस तथ्य की खोजबीन करना आज तक किसी ने आवश्यक नहीं समझा... । यों तो इस दर्दभरी चीख को सही ढंग से सुनने की कोशिश ही भला कितनों ने की ? यह भी एक प्रश्न है, और यदि कोशिश कर सुनी होती तो अवश्य कोई न कोई माँ का लाल जाग ही जाता अपनी कुम्भकर्णी निद्रा को तज कर ! ___मगर अफसोस... ! किसी ने उस अबला की चीख सुनी नहीं और एक नहीं हजारों कलयुगी दुष्ट दुःशासन जी भरकर उसका चीरहरण करते रहे... और करते ही रहे... । यह नशस और शर्मनाक अपकृत्य अनवरत रूप से चलता रहा घर में... भरे बाजार में... अंधियारी गलियों में... होटलों में... रेस्ट्रोराओं में और रूपहले पर्दो में... यह सिलसिला कब और कैसे, किसके हाथ बंद होगा ? उफ्... | कौन जाने...! ___हां, तो चीख किसी ऐरी - गेरी महिला की नहीं... मगर सबल होते हुए भी जिसको आज बलजबरन अबला बना दिया गया है... उस संस्कृति मैया की आर्त पुकार है। जी हाँ, और यह वही संस्कृति मैया है जिसकी रक्षा के लिए हजारों ही नहीं... लाखों ही नहीं... अनगिनत भारत माँ के सपूतों ने... युवकों ने पूर्ण यौवन में अपनी प्राण प्यारी जान कुर्बानी कर दी । खून की नदियों में बह जाना पसंद किया मगर माँ संस्कृति का अंशमात्र भी अपमान नहीं होने दिया; और वही संस्कृति मैया आज सिसक-सिसक कर रो रही है... बचाओ... बचाओ ! यह आर्त चीख उसके कंठ से अनवरत प्रवाहित हो रही है... आखिर क्यों ? क्यों कि दुष्टों के हाथ से उसका चीरहरण बेरोकटोक होता जा रहा है... । उसका पवित्र चीर है 'मर्यादा'... !! · · दुःख और दर्द तो इस बात का है कि महासती द्रौपदी के चीरहरण करने वाले दुःशासन पर थूकने वाली... टी.वी. के महाभारत सीरियल को देखकर एक नहीं अनेक बार दुःशासन को खरी - खोटी सुनानेवाली आज की शिक्षित (?) मोडर्न महिला संस्कृति मैया के चीरहरण जैसे अपमान जनक घिनौने कृत्य में एक अंश भी पीछे रहना नहीं चाहती। बचाओ... बचाओ...!! For Personal & Private Use Only . Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ “एक नहीं... अनेक मर्यादाएं थी । हाय ! आज तो... आर्य देश की पवित्र मर्यादाओं को तोड़ना एक फैशन है... मोडर्न कहलाने का पासपोर्ट है...।' ऐसी - वैसी अनेक विनाश और विप्लव को न्यौता देने वाली अभिलाषाएं आज अधिकांश महिलाओं के मनमस्तिष्क पर अपना जाल फैलाने और उन्हें अपने विकराल पंजों में जकड़ रखने में कारगर सिद्ध हुई है... । कोई ब्युटीक्वीन बनने चली है अमेरिका, तो कोई मिसयुनिवर्स, मिसफ्रांस, मिसयुरोप आदि सौन्दर्य प्रदर्शन प्रतियोगिताओं में भाग लेने हेतु विदेशों में जाने के लिए टिकिट एवं वीसा कार्ड निकलवा रही है... और वहाँ पहुँच कर अपने बाप के सामने भी पहिनने में शर्म आए ऐसे स्वीमिंग सूटों में... अपूर्व बेशर्मी के साथ हजारों कामुक आँखों के सामने विभिन्न पोजें खिंचवा रही है। तो कई महिलाएँ सिने - अभिनेत्रियाँ बनने चली है । वे अभिनेत्रियां जिनके पास चरित्र नाम की कोई चीज है भी या नहीं ? या स्वप्न में भी कभी एकाधबार चरित्रवान बनने के विषय में उन्होंने सोचा भी होगा ? इस बात का भी पूरा सबूत (Evidence) मिलना असंभव सा है... । सेडीज्म, सेक्सुअल एसोल्ट, रेप, मर्डर, उत्पीड़न, बलात्कार जैसी भीषण सामाजिक विभीषिकाओं को उत्पन्नकरने में प्रमुखतम भूमिका निभाने वाले अडल्ट श्लेशर - पोर्नोग्राफिक्स - ब्ल्यु फिल्म जैसे अंग प्रदर्शन की होड़ में लज्जा - मान मर्यादा का खात्मा बुलवाकर, सभ्य समाज और आर्य संस्कृति के लिये जो सदैव अभिशाप और खतरा रूप बनी हुई है; ऐसों को सीता मानकर उनका अन्धानुकरण करने के लिए दौड़ पड़ी है ।... और एक बात यहाँ स्पष्ट हो जाय कि अनुकरण के लिये जिस सीता को आजकल की सतियों ने चुना है वह है टी.वी. (टी.बी. ?) में अभिनय करने वाली न कि श्री राम की पत्नी महासती सीताजी...! ठीक उसी तरह; लडके को पूछा गया - 'राम कौन है ?' जवाब मिला 'अरूण गोविल'.... है न टी. वी. की टी. बी. का कमाल ! इस अन्धानुकरण के नमूने चाहिये तो आपको लंदन - अमेरिका तक दौड़ लगाने की जरूरत नहीं... थोड़ी सी ईधर - उधर नजर घुमाइये तो देखिये घर में... बाजार में... और मन्दिरों तक में; सही अर्थ में बुद्धिमानों के लिये हास्योत्पादक अनुकरण की विचित्र अदाओं और वेष भूषाओं में सुसज्ज नमूने ही नमूने... नजर आयेंगे... । अपनी बुद्धि का दिवाला निकालकर, विवेक को ताक पर रख कर, पवित्र मर्यादा बचाओ... बचाओ...!! For Personal & Private Use Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ को तहस-नहस कर, सभ्य समाज और संस्कृति के लिये अभिशाप रूप बनी हुई ऐसी विचित्र और निरंकुश अनुकरण विधाओं को अपनाने वाली नारियों पर सचमुच तरस ही आता है... विशेषकर उन पर... जो एम. ए., बी. ए. जैसी उच्च शिक्षा से शिक्षित होने का दावा करती है...। इसी भयंकर पाप का नाम है... और इसी का दूसरा नाम है ... मर्यादा हनन...!! उठो ! माताओं... बहिनों... अभिभावकों...!! 'अब रैन कहाँ जो सोवत है'... अब तो समय है जूझने का ... संस्कृति मैया की सुनकर उसकी लाज बचाने का... पुकार को संस्कृति मैया का चीर हरण...॥ " खूब लड़ी मरदानी वो तो, झाँसी वाली रानी थी । ..." आर्यमाताओं... आर्य बहिनों ... अब तो निश्चित रूप से बतानी ही होगी वह मरदानगी... और उन आचार विचारों का शीघ्र बहिष्कार करना होगा, जो आर्य संस्कृति के लिये खतरनाक हैं । - Charity begins at home... पहले आप अपने जीवन से ऐसे मर्यादा हनन पूर्ण व्यवहारों को तिलाजंलि दे दो... अपनी स्वच्छंदवृत्तियों को कब्र खोदकर गहरे दफना दो... जलती आग में झोंककर भस्मसात् कर दो... और फिर देखो... आपमें रही हुई वह वैचारिक क्रांति की ज्वाला किस तरह समूचे राष्ट्र और विश्व की काया पलट देती है । बचाओ ... बचाओ... !! एक जंग छड़ना है... मर्यादाहन्ताओं के साथ... माँ संस्कृति के चीरहरण करनेवाले दुःशासन और उनका समर्थन करनेवाले दुर्योधनों के साथ...! हां, तो संस्कृति मैया की लाज बचाने के लिए उठाने ही पडेंगे वे क्रान्ति कदम... और पूर्ण आत्मविश्वास के साथ आगे कूच करनी ही पड़ेगी.... For Personal & Private Use Only 9 • Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिंह की दहाड़ कर बढ़े चलो... बढ़े चलो...! ... वरन् भूखे भेड़िये की तरह आज के ये फैशन परस्त लोग, माँ संस्कृति की लाज भरे बाजार में लूटने पर उतारू है... यह बात सर्वविदित है ।। 'हार मानना' यह मानव मन की सबसे बड़ी कमजोरी है... उसको दूर रखो... उससे कोसों दूर रहो...! जर्मनी के साथ जूझते हुए इंग्लैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने 'वी' का एक छोटा - सा नारा दिया था... वी - फोर - विक्ट्री ...!! और विक्ट्री यानि जीत के लिये, हमको पलभर में सृष्टि का संहार करने में सक्षम एटम - बॉम्बों की या स्टारवार-लेसरवार-केमीकल जीओफिजिकल वार जैसी तैयारियां नहीं करनी है । हमें तो बस, एक मनोबल खड़ा करना है, निश्चयमांत्र करना है। मर जायेंगे मिट जायेंगे हो जायेंगे शहीद न होने देंगे इन पापों को । __ यही हमारी जीत... मैया संस्कृति की प्यारी सन्तानों ! जिन कतिपय मर्यादाओं को बचाने का यहाँ उल्लेख किया जा रहा है, उन्हें बचाना अपने बायें हाथ का खेल है... बहुत सरल है । घबराइये मत, पैसा - टका खर्चने का नामोनिशान नहीं... भूखे रहने की बात नहीं... बस सिर्फ... एक निश्चय मात्र करना है कि मैं हर हालत में इन मर्यादाओं का पालन करूँगी और करवाऊँगी । एक मर्यादा है... 'मासिक - धर्म का पालन !' ___ दूसरी मर्यादा है... गर्भपात का भयंकर पाप न करना न करवाना । विभिन्न भाषाओं में मासिक - धर्म के विभिन्न पर्याय है । अंग्रेजी में M.C. (मंथली - कोर्स) मेन्स्टुयल ब्लीडिंग; हिन्दी तथा गुजराती में - मासिक धर्म; - मारवाडी में - अटकाव, और संस्कृत में - ऋतुधर्म पालन । मासिक धर्म वाली स्त्री को ऋतुमती, रजस्वला, पुष्पिता, सपुष्पा आदि कहते हैं । गर्भपात का दूसरा नाम है, विश्व का सबसे बड़ा कलंक...! - सभ्य समाज का असभ्य अभिशाप...! बचाओ... बचाओ...!! | 107 For Personal & Private Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - एबोर्शन के नाम उगती कली का निकंदन....! - माँ संस्कृति का बेरहमी से रवून...! अनेक श्रीराम कृष्ण, बुद्ध, गांधी आदि चैतन्यवन्तों के अवतरण को निष्फल बनाने वाला महापातक का सक्रिय भीषणषड्यन्त्र ! !! गर्भपात !! विश्व को विनाश के कगार पर खड़ा करनेवाली एक भयंकर बात... विभीषिका नंबर वन गर्भहत्या नहीं चलेगी...! नहीं चलेगी...!! टेड बंडी ने निर्दोष बालाओं की हत्या की; सजा मिली... मौत ! डॉ. नेइल ने कई निर्दोषों को विष खिलाया; सजा मिली.... मौत ! बिकीनी मर्डरचार्ल्स शोभराज के घिनौने हत्याकांडों ने उसे सजा दिलवायी; भीषण कारावास । निठारी कांड में कई बालकों की हत्या हुई, भयंकर सजा की तैयारी है। एक माँ ने निर्मम बनकर अपने ही बालक का गला घोंट डाला... अर्... उसको क्या सजा मिली, पता है ? ठहरिये...! ऐसी एक नहीं, अकेले भारत में Fifty One Lakh Forty Seven thousand (51 लाख 47 हजार) माताएँ हैं जिन्होंने गर्भ में ही अपने बालक की भयंकर हत्या करवा दी । और आज भी उन हत्यारिणी माताओं की संख्या प्रगति (या भयंकर अधोगति) के नाम दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ती ही जा रही है...! और उनको सजा मिल रही है - नकद रुपयों में इनाम... शाबाशी...। ओह ? क्या भयंकर कलियुग आया है...? · · गर्भ में रहा हुआ बालकं आज भी चीख रहा है.. पशुओं की चीख तो आपने सुनी ही होगी, अब सुनिये इस असहाय बालक की चीख... । ___ हो सकता है, यह चीख आपके अंतर को झकझोर दे, आँख के किसी कोने में बचाओ... बचाओ...!! For Personal & Private Use Only - Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हमदर्दी के साथ आँसू की दो बूंद उत्पन्न कर दे..। अबोल बालक करे पुकार हमें बचाओ हे किरतार...! हमें बचाओ हे नरनार !! विशुद्ध इंडियन कल्चर को, डिस्को कल्चर बनाने पर उतारू... अहिंसामयी संस्कृति को जड़मूल से उखाड़ कर सागर के कोने में फेंकते हुए हिंसक संस्कृति की ध्वजा लहराने के उतारु... अधिकांश शराब, शबाब और कबाब में आकण्ठ डूबे हुए देश के. इन मांधाताओं को कौन समझाए कि जनाब ! आप अपनी ओर जरा गौर कीजिये... आइने में झाँक कर देखिये... आपकी देह किस मिट्टी से बनी है ? अमेरिका - इंग्लेण्ड की मिट्टी से या भारत माता के रजकणों से ? भारत माँ के सपूत हो तो क्यों उसके प्राणों का हरण कर रहे हो ? क्यों मातृवध के पातक को अपने सिर ढो रहे हो...? भगवान महावीर ने जिस देश को अहिंसा का दिव्य सूत्र दिया ‘सव्वेवि जीवा इच्छंति जीविउं न मरिउं" सभी जीव जीने की इच्छा करते हैं... मरने की कोई नहीं...! 'जीववहो अप्पवहो' प्राणी मात्र की हत्या अपनी ही हत्या है...!! ___ गौतम बुद्ध जैसों ने जिस देश में अहिंसा की ज्योति जगायी... गाँधी जैसों ने अहिंसा को भारतीय संस्कृति का प्राण बताया, उसी देश में आज क्या हो रहा है...? रो उठता है हृदय, कांप उठी है लेखनी..! . हिंसा... हिंसा... हिंसा !!! गाय की हत्या ! बन्दरों की हत्या ! कबूतरों की हत्या ! और अब तो एक भयंकर पाप शुरु हुआ है - भ्रूण हत्या !!! आर्यावर्त की यह पवित्र धरा अनेक मर्यादाओं कुलाचार और धर्माचारों के परिपालन से गौरवान्वित और परिपूजित थी । घर - घर में सदाचार और सुसंस्कारों की अविरल स्रोतस्विनी वंश - परम्परागत बहती चली आ रही थी । अपने कुल - पुरुषों ने उन सदाचारों को यथावत् अंशमात्र भी विकृत किये बिना, हम तक पहुँचाया; यह उनका हम पर कर्ज है जिसको चुकाना अपना सर्वप्रथम कर्तव्य है । लेकिन हाय ! किस जन्म - जन्मान्तर के पाप का भयंकर उदय हुआ, और उन सदाचारों की, सुसंस्कारों की विशाल इमारत को वर्तमान के सुवंशजों (?) ने विनाश की विकराल लीला के अधीन बचाओ... बचाओ...!! | 12 For Personal & Private Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कर दिया ! शील सदाचार और धर्माचारों का नामोनिशान मिटा दिया । पूर्वजों की युग युग से संरक्षित संस्कारों की अमूल्य निधि का दिवाला निकाल दिया । हाय ! माँ संस्कृति !! तेरी यह दुर्दशा... ? 1 - अरे ! जिस देश में घर घर के प्रांगणों में कबूतरों को दाना डाला जाता था, उसी देश में घर घर मुर्गी के अंडे खानपान में आने लगे हैं । जिस देश में चींटीओ के दर पर शक्कर और आटा डाला जाता था उसी देश में चींटी - मकोडों की चटनी बनाकर खाना सीखते जा रहे हैं। जिस धरती पर जहरीले नागों को देवता मानकर पूजते थे, वहीं आज के कॉलेजियन युवक सांप का सूप ( Snake soup) पीने लगे है । सांप की चमड़ी के पट्टे (Belt) और पर्स बड़े ही शौक से रखने लगे हैं । जिस देश के सुपुत्र अपने माँ- बापों को कंधो पर उठाकर चलते थे, उसी देश के सपूत (?) अपने माँ-बापों को आज वृद्धाश्रमों में निराधार छोड़ कर अपनी कृतघ्नता का उत्कृष्ट परिचय दे रहे हैं । जिस देश की सन्नारियाँ प्रसव पीड़ित कुत्तियों को भी घी का हलुआ बनाकर खिलाती थी उसी आर्यावर्त की स्त्रियां एबोर्शन - सेण्टर में जाकर अपने ही बच्चों को पेट में मरवा कर, निर्दयता का प्रदर्शन कर ढीठ बनी हुई है । - सोनोग्राफी : स्त्री हत्या का भयंकर षड़यंत्र सोनोग्राफी द्वारा पता चलता है कि पेट में बच्ची है, तो अधिकांश परिवार उस बच्ची को गर्भ में ही समाप्त करवा देते । यह सौ फीसदी सच है । सोनोग्राफी की दो प्रमुख पद्धतियाँ भारत में प्रचलित है । एम्नीओसिन्टेसीस - कॉरियोनीक वीली बायोप्सी एम्नीओसिन्टेसीस - १६ से २० सप्ताह के बीच नीडल के द्वारा १५ शीशी एम्नीओटी प्रवाही लिया जाता है, फिर टेस्ट किया जाता है । कॉरियोनीक वीली बायोप्सी - गर्भाधान के ६ से १३ सप्ताह के बीच गर्भ के आसपास के कॉरीयन टीसु का थाड़ा भाग लेकर टेस्ट किया जाता है । इन टेस्टों से माता को कई जोखिम उठाने पड़ते हैं... सांस की तकलीफ... नितंब सरकना... गर्भद्वार में चेप के भयंकर रोग आदि... स्त्री जाति की हत्या के लिये जन्मे इस सोनोग्राफी भूत का विनाश जरूरी है.... इन टेस्टों पर प्रतिबंध लगवाना जरूरी है... महाराष्ट्र - गुजरातादि तथा विदेश में कई जगह बचाओ ... बचाओ... !! For Personal & Private Use Only 13 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रतिबंध लग चुके है... लग रहे हैं । मैया की जोड़ी और न कोई ... ! भारतीय वसुंधरा पर माँ की महिमा थी । 'माँ तो माँ और सभी जंगल ही हवा ।' गुजराती में कहावत है 'छोरू कछोरू थाय पण मावतर कमावतर न थाय' ( बच्चा माँ - बाप को दिल से निकाल सकता है लेकिन माँ - बाप का दिल बच्चे को नहीं भूलता) इस प्रकार के अनेक स्लोगन लोगों को मुंह जबानी याद थे । लेकिन इक्कीसवीं सदी में जाने के लिये बावली बनी स्त्रियों ने उन सभी कहावतों के हार्द का सत्यानाश ही कर डाला । क्या पता इन स्त्रियों के खून में ऐसा कौन-सा जुनून चढ़ बैठा है कि बात कुछ समझ ही नहीं आती ! उसने घर में खटमल मच्छर और जूं को मारने का पाप तो कितने ही वर्षों से शुरू कर रखा है। अब तो और भी आगे बढ़ गयी और लिखते हाथ कांपने लगता है, अरे ! अपने ही पेट के बच्चों को मरवाना प्रारम्भ कर दिया है । - गु. स. ३१ जुलाई सारांश जिन्दे भेड़ - बकरों को काटने वाले देवनार के कत्लखाने ( बूचड़खाने ) से भी भयंकर भ्रूण - हत्या का यह कत्लखाना ( एबोर्शन केन्द्र) हर ग्राम और हर शहर में लग चुका है। भरे बाजार में उसके बोर्ड लटकते हैं । ट्रेन और दैनिक पत्रों में उसके Advertisements छपते हैं । प्रतिवर्ष इस कत्लखाने में सत्तावन लाख बालकों की क्रूर हत्या कर दी जाती है । बालक के शरीर के टुकड़े टुकड़े करके गटर में बहा दिये जाते हैं । है कोई माई का लाल ? जो अपना सर ऊँचा कर इस हत्या को हत्या कह सके ? इन सफेद नकाबपोशों को हत्यारा कह कर पुकार सके ?? उफ् ! अब तो रक्षक ही भक्षक बने हुए । माता ही हत्यारिणी... खूनी ! जिस मेडिकल नॉलेज का उपयोग मानव कल्याण और मात्र मानव रक्षण के लिये उपयोग करने की शपथ डॉक्टर्स लेते हैं वे ही आज असहाय निरीह बालकों की हत्या करके इस सफेद खून को एबोर्शन का सुन्दर लेबल लगाकर अपनी परोपकारिणी विद्या पर अमिट कालिख पोत रहे हैं । आर्य देश की सन्नारियाँ यदि इस भयंकर पाप से निवृत्त नहीं होगी तो इसका एक्शन भयंकर आ सकता है । धर्मशास्त्रों ने पंचेन्द्रिय-वध को नरकगति का कारण कहा है। गर्भहत्या नरकगति का पासपोर्ट है । पासपोर्ट लीजिए और नरक के बचाओ... बचाओ... !! For Personal & Private Use Only 14 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ द्वार आपके लिये खुले हैं । गर्भहत्यारिणी स्त्री की नजरों के सामने भोजन करने तक की मनाही है तो फिर उसके द्वारा बनाई हुई रसोई खाने की तो बात ही कैसे की जाय ? ___स्त्रियां गर्भहत्या करवा तो देती है लेकिन फिर पूरे जीवन भर पीड़ा पाती है। शरीर रोगों का घर और म्यूजियम बन जाता है । घर क्लेश और कलह की रणस्थली बन जाता है । संपूर्ण परिवार अशांति और दुःख की भीषण ज्वालाओं में झुलसता रहता है। ___ मातृत्व को पाँवतले रौंदने वाली स्त्रियाँ वैसे तो किसी ब्रह्मा की भी बात मानने वाली नहीं, तो हम किस खेत की मूली होते हैं ? इसलिये उनके लिये तो लिखना या कहना ही बेकार है । लेकिन फिर वही आवाज कानों से टकराती है 'जननी नी जोडी सरवी नहि जड़े रे लोल' कविता गुजराती में है, इसका आशय है - 'मैया की जोड़ी और न कोई' तब वापस माताओं की ममतामयी गोद में विश्वास उत्पन्न होता है और दिल पुकार उठता है नहीं... नहीं... । ____माँ तो माँ ही... ! सदा वात्सल्य और ममता के अथाह समन्दर को अन्तर में धरने वाली माताओं के प्रति श्रद्धा का भाव आज भी इस देश में ज्वलन्त है । 'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी'...अरे स्वर्ग से भी सुन्दर और महान है - मेरी ममतामयी मैया' का नाद आज भी इस पवित्र भूमि से उठ रहा है और इसीलिये ये बातें लिखी जा रही है। जिनको पढ़कर अज्ञानता से भी जिस स्त्री ने यह पाप किया होगा वह आठ-आठ आँसू गिराये बिना नहीं रहेगी । उसका अन्तर रो उठेगा और अपने आप को धिक्कारेगा । रे ! हत्यारिणी !... अपने ही कलेजे के टुकड़े को तूने रौंद डाला ? संसार में आने से पहले ही उसका गला घोंट डाला...? क्या हक था तुझे जब किसी को जीवन देने की शक्ति नहीं थी तो मार डालने का ? कह ! क्या हक था...? इस प्रकार उसको पश्चात्ताप ही पश्चात्ताप होता रहेगा । इन बातों को पढ़ने - सोचने के बाद जो स्त्री निकट भविष्य में एबोर्शन करवाने के सपने बुनती होगी... विचारों में मशगूल होगी... उसकी कुंभकर्णी निद्रा टूटे बिना नहीं रहेगी और वह इस भयंकर पाप से स्वयं ही निवृत्त हो जायेगी। __अब जरा रुक जाइये... हृदय को मजबूत बनाइये... मन की आँखे खोलिये... अन्तरात्मा को जगाईये... और अब आगे पढ़िये... (कच्चे मन और डरपोक व्यक्ति सावधान ! आगे खतरनाक मोड़ है !) चलो... एबोर्शन केन्द्र में... बचाओ... बचाओ...!! .. . 15 For Personal & Private Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गर्भपात की कितनी ही विज्ञान सम्मत डॉक्टरी पद्धतियाँ, जो भारत में प्रचलित है, उन्हीं की ओर अपन जरा गौर करे 'मन को मजबूत बना लो... कलेजे पर भारी भरकम पत्थर रख लो और मन की आँखों से सम्पूर्ण बातें देखते चलो...! अब लो ! यह आ गया !! एबोर्शन केन्द्र !!! ( आपके मन की मारुति अब तक तो सर्राटे से पन्नों की हाईवे पर दौड़ी चली जा रही थी... अब आगे चंबल की घाटी के खतरनाक मोड़ हैं... । अभी कुछ देर पहिले बोर्ड पढ़ चुके हैं, ब्रेक और गीयर को संभाल लीजिये...। अब चलिये संभल-संभल कर... यह है एबोर्शन केन्द्र...। यहाँ हत्या - एबोर्शन करने कराने वालों को बाकायदा (चौंकिये मत) ईनाम दिया जाता है और हत्यारों को पकड़ने वालों को गोली नहीं तो कम से कम गाली ... । ये हैं Latest News...) डी. ओन्ड. सी ऑपरेशन : डाक्टरी साधनों के द्वारा सगर्भा स्त्री के गर्भाशय का मुख विस्तृत किया ता है । फिर उस साधन के बीच एक चाकू या कैंची जैसे हथियार को अन्दर डालकर जीवित बच्चे को उसके द्वारा छिन्न- भिन्न किया जाता है। गर्भ में तड़फ - तड़फ कर बेचारा बच्चा रक्त से लथ-पथ बन, असह्य वेदना को भोग कर मृत्यु की शरण हो जाता है । फिर एक चम्मच जैसे साधन की मदद से उस बच्चे के टुकड़े - टुकड़े निकाल लिये जाते हैं । कुचला हुआ सिर, लहुलुहान आंते, बाहर निकली हुई आंखे, दुनिया में जिसने पहली साँस तक न ली ऐसे फेंफड़े, धड़कता नन्हा सा हृदय... हाथ... पाँव सबकुछ जल्दी-जल्दी बाल्टी में कूड़े करकट की तरह डॉक्टर को फेंक देना पड़ता है । - - क्योंकि बाहर गर्भपात की उम्मीदवार बहिनों की लंबी कतार खड़ी है । इसलिये डॉक्टर को सब कुछ जल्दी जल्दी निपटाना पड़ता है । बहुत बार बच्चे को तड़फ कर मरने का समय भी नहीं दिया जाता । धुप्प अंधेरे में तीर चलाने जैसा यह ऑपरेशन है । हथियार गर्भ में रहे हुए बालक के सिर, छाती, पेट या हृदय में न घुसकर हाथ, पैर या जांघ में घुसे तो बच्चा जल्दी मरता नहीं । बचाओ ... बचाओ... !! सत्तर, अस्सी या नब्बे वर्ष तक जीने के योग्य जिस काया की कुदरत ने रचना की हो, उसकी जिजीविषा अत्यन्त प्रबल होती है । इस अति जल्दबाजी में गर्भ से निकाल फेंके हुए धड़कन युक्त हृदय को देखकर डॉक्टर्स, नर्से और सफाई कर्मचारी तक अपनी आँखें फेर लेते हैं । कर ये हथियार भी जल्दबाजी में, कभी अनभ्यस्त हाथों से, गर्भाशय को भी हानि For Personal & Private Use Only 16 Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पहुँचा देते हैं। ऐसे केसों में लम्बे समय तक खून बहता है, अन्दर घाव पड़ जाते हैं और जीवन पर्यन्त प्रदर रोग हो जाता है । जातीय आवेग ठंडा पड़ जाता है, परिणाम... दाम्पत्य जीवन दुःखद बन जाता है और किसी - किसी केस में ऐसी स्त्री पुनःमाता भी नहीं बन पाती। (१) क्रूर हिंसक भ्रूण हत्या की अन्य विधियाँ __ चुसन पद्धति Suction Aspiration : गर्भाशय में एक पोली नलिका के पर्यंत भाग को प्रवेश करा दिया जाता है । उस नलिका के साथ एक पम्प जुड़ा हुआ होता है एवं दूसरे सिरे पर एक बड़ी बोतल जुड़ी हुई रहती है । नलिका का एक सिरा गर्भाशय में फिट करने के बाद पम्प को दबाते हैं और छोड़ते हैं जिससे गर्भ के अन्दर रहा हुआ बच्चा पछाड़ खाता है । कसाई बकरे को एक झटके में हलाल करता है... लेकिन इस पद्धति से तो बच्चे का कभी यह तो कभी वह अंग झपट में आ जाता है । आंखों की पुतलियां बाहर निकल आती है । सक्शन (बाहर खींचने की क्रिया) के कारण छाती, पेट सिर के विभिन्न कोमल अवयव कट-फट कर बिखरे हुए बाहर आते हैं और यदि कोई जीव ज्यादा मजबूत और बलिष्ठ हो तो पूरा जिंदा का जिंदा सांगोपांग बाहर आ जाता है और अंत में बंद बोतल में जोर से पछाड़ खाकर उसका चूरा - चूरा हो जाता है । कितनी ही देर तक बालक उस बोतल में तड़फता रहता है और फिर श्वास के स्ध जाने से अंत में ठंडा पड़ जाता है । इस पद्धति में कभी पूरा गर्भाशय भी खींचा हुआ बाहर आ जाता है । उन स्त्रियों को जिंदगी भर अनेक तकलीफों का सामना करना पड़ता है । कमर में हमेशा के लिये दर्द लागू पड़ जाता है। फिर पीछे का गर्भाशय प्रतिक्रिया (React) करता है और रक्तस्त्राव के कारण स्त्री एकदम कमजोर बन जाती है। (२) हिस्टरोटोमी (छोटा सीजेरियन) : Dilatotion and Evacuation फैलाव व निष्कासन विधि - पेडू . को चीरकर सगर्भा स्त्री की आंतों को बाहर निकाल, गर्भाशय को खोलकर जीवित बालक को बाहर निकाल दिया जाता है । फिर उसको बाल्टी में फेंक देना पड़ता है। हाथ - पैर हिलाता, तड़फता, अपनी नन्हीं सी रुलाई से पत्थर दिल को मोम की तरह पिघलाने वाला; लेकिन इन सफेद - नकाबपोश और हत्यारिणी माँ के पेट का पानी तक न हिला सकने वाला वह बालक बाल्टी में ही मर जाता है । उसमें भी कितने ही बचाओ... बचाओ...!! | 17 For Personal & Private Use Only Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जबर - जान वाले जीव घंटों तक मृत्यु को कबूल नहीं होते । लेकिन ऑपरेशन - थियेटर में दूसरा केस हाथ में लेना है, इसलिये बाल्टी में उस जिंदे बालक पर तीक्ष्ण हथियार से छेद किये जाते हैं या जोरदार फटका लगाकर उसका कचूमर बना दिया जाता है । यदि कातिल, खूनी, खूख्वार डाकू, आदतन नर-हत्यारे ऐसे एक-दो दिल दहलाने वाले ऑपरेशन देख लें तो कदाचित् वे अपना धंधा छोड़कर साधु बन जाय या ऐसे काम करने वालों का कहीं खून ही कर बैठें । (३) Dilatotion and Curettage (D&C) विधि : यह भी प्रथम विधि जैसी ही होती है । इस विधि में चाकू एक तेज धारवाले लूप की शक्ल का होता है जो गर्भाशय में बच्चे को काट डालता है । फिर यंत्र से बहार निकालते है। जहरी क्षार वाली पद्धति : एक लम्बी मोटी सी सूई गर्भाशय में भोंक दी जाती है । उसमें पिचकारी की सहायता से क्षार का द्रवण छोड़ दिया जाता है । चारों ओर द्रावण छोड़ दिया जाता है । चारों ओर द्रावण से घिरा हुआ वह बालक, क्षार का कुछ अंश निगल जाता है । और कुछ ही क्षणों में बालक को गर्भाशय में हिचकी आती है । जहर खाये व्यक्ति की तरह गर्भाशय में वह तड़फने लगता है । क्षार की दाहकता के कारण उसकी चमड़ी श्याम पड़ जाती है । अंत में घुट - घुट कर वह बच्चा गर्भ में ही मर जाता है । फिर उसको बाहर निकाल लिया जाता है । बहुतबार जल्दबाजी में निकाल लेने पर वह बच्चा कुछ जिन्दा होता है । उस समय उसकी चमड़ी बादलनुमा होती है । ऐसे गर्भपात में यदि गर्भ जुड़वां हो तो एक मरा हुआ और दूसरा जिंदा आता है लेकिन, उसको भी तुरन्त अन्य घातक उपायों से मौत के घाट उतार दिया जाता है । ऐसा भी होता है !: एक ऑपरेशन में सात महिने का जिंदा बालक निकला। 'मुझे भी इस दुनियां में जीने का हक है' यह बताने के लिए वह जोर - जोर से रोने लगा । डॉक्टर ने उसे भंगी को देने के लिए आया को सौंपा । जीवित बालक को दफन करना भंगी ने अस्वीकार किया । आया और भंगी के बीच झगड़ा हुआ । अंत में आया ने यह कहते हुए उस बच्चे को जमीन पर दे मारा ‘ले यह मरा हुआ' । जमीन पर वह बच्चा तड़प - तड़प कर मर गया और उसके बाद ही भंगी ने उस मृत बालक के शव को स्वीकार किया । __क्या यह क्रूर हत्या नहीं ? अरे आया...! क्या मिला तुझे... उस बेचारे के जीवन को कुचल कर...? मगर अफसोस ! यह विचार उस निष्ठुर हत्यारिणी आया को कहाँ ? बचाओ... बचाओ...!! | 18 For Personal & Private Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गर्भपात के किस्सों में कितनी ही कन्याएँ एवं माताएं अज्ञानतावश या जानबूझ कर गलत इन्फोर्मेशन देती है; मगर वे कहती है उससे कहीं अधिक परिपक्व बालक निकलता है । कितने ही केसों में बालक मरने की जबरदस्त मनाही करता है और यदि उसका भाग्य प्रबल हुआ तो कोई दयालु मिल जाता है और उसे दत्तक ले लेता है । एक बार एक परिपक्व गर्भ का मस्तक चूसण पद्धति से अलग हो गया और फिर आधे घंटे तक उसका धड़ श्वास लेने के लिये तड़फता रहा । दिन के अंत में ऑपरेशन थियेटर का संपूर्ण मानव - कचरा (?) खचाखच भरी हुई बाल्टियों में से निकालकर मृत्यु पायी हुई अथवा तड़फती हुई मनुसंतानों को, या तो दफना दिया जाता है या भट्ठी में डाल कर जला - भुना कर राख के ढेर में परिवर्तित कर दिया जाता है । जिससे सामान्य जनता की नजरों में यह पैशाचिक कृत्य.... ताण्डव लीला का आभास तक नहीं हो पाता । अहिंसा का दर्शन अत्यन्त सूक्ष्म रूप से भारत के नस-नस में बसा हुआ था । यहीं पर जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ जिसमें लोग पंचेन्द्रिय ही नहीं एकेन्द्रिय जीव (पेड़, पौधे, वनस्पति) आदि को मारने में भी हिंसा मानते हैं । इसीलिये बोलते समय मुंहपति का उपयोग करते हैं और वर्ष में चार महिने तक हरीसब्जी का भी त्याग करते हैं । इस देश में मुर्गी का अण्डा, माँसाहार गिना जाता है । यहाँ पर लोग दया से कबूतरों को दाना, कुत्ते व गायों को रोटी चींटीयों के दर पर शक्कर - आटा और मछलियों को तिल के लड्डू खिलाते थे, यही नहीं, सर्प जैसे जहरीले प्राणी को भी दया से दूध पिलाते थे । जिस बकरी के पेट में बच्चा हो उस बकरी को कत्ल करने की 'दीन' ने मनाई लिखी । लोग अपने सगर्भ पशुओं को कसाई - घर बेचते नहीं । प्रयोगशालाओं में प्रयोग के लिये बंदरों के निर्यात पर इस देश की दयाप्रिय जनता के आग्रह से भारत सरकार को प्रतिबन्ध लगाना पड़ा । और अब कबूतरों की निर्यात बंदी भी होनेवाली है । यहाँ मोरों को मारना गुनाह है और बाघ, सिंह, चीता आदि के शिकार करने पर सख्त पाबन्दी है । बूढी लूली - लंगड़ी - अपंग गायों के लिये अनेक पिंजरापोल गौशालाओं को दयालु सुखी - दानवीर सेठ चलाते हैं । गौवंश का कत्ल बन्द करवाने के लिये देश के कई आचार्य, संत एवं महंत उपवास पर उतरते हैं और अफसोस इस बात का है कि इसी गाँधी बापू के अहिंसक देश में मानववंश को क्रूरतापूर्वक सरे आम कत्ल करने के लिए सरकार प्रोत्साहित करती है, विज्ञापन देती है; आंकड़े प्रकाशित करती है और तदर्थ अपने आपको अत्यन्त गौरवान्वित महसूस करती है । इतना ही नहीं, अपितु इस खूनी बचाओ ... बचाओ... !! For Personal & Private Use Only - 19 Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मिशन में शामिल संपूर्ण मिशनरी की प्रशंसा भी करती है... इज्जत करती है...! प्रचार- जाल 'बोले उसके बेर बिके' विज्ञापन के इस विषम युग में सरकार लोगों को फंसाने के लिए सूत्रों की रचना करती है 'प्रसूति निवारण - हर स्त्री का अधिकार है । 'इस सूत्र को पढ़कर कोई भोली-भाली बिन अनुभवी महिला कुटुम्ब कल्याण केन्द्र में सलाह लेने जाती है तब उसको गर्भपात की सलाह दी जाती है । सलाह देने स्वयं अथवा उससे मिली भगत रखनेवाला होता है जो स्त्रियों को फुसला-समझा कर गर्भपात करने के लिए तैयार करने में एक्सपर्ट होता है। वे लोग सगर्भा स्त्री को कई प्रकार से समझाते हैं कि आपको बच्चे की जरूरत नहीं है । आपका यौवन, आपका सौन्दर्य, आपकी देहयष्टि यदि सौष्ठवपूर्ण रखनी हो तो गर्भपात करा दीजिए । आपको नौकरी करनी है, अपने पति को आप कंपनी देना चाहती है आपको विदेश जाना है, आपको मजा, जीवन का लखलूट आनन्द लूटना है... तो बच्चे बाधक बनेंगे । 'पहला बच्चा अभी नहीं... दूसरा बच्चा जल्दी नहीं... तीसरा बच्चा कभी नहीं' पांच दस वर्ष रुक जाओ । अभी गर्भपात करवा दो । अभी एबोर्शन कायदे - कानून की दृष्टि से भी मान्य है। उसमें कोई दिक्कत नहीं, कुछ तकलीफ भी नहीं होती | नौकरी करती हो तो बिना वेतन कटौती छुट्टी मिलती है । ओ... हो... और तो और घर में सो जाओ... आराम करो... हलुवा - पूडी खाओ और फिर तरोताजा बनकर, अप-टु-डेट होकर घूम-फिर सकती हो । एक बार भूल की तो दूसरी बार ध्यान रखना लेकिन इस बार तो फैसला कर - कराकर चलो छुट्टी ! इतना समझाने पर भी यदि धर्मप्रेमी, पाप भीरु भारतीय स्त्री हजारों वर्षों के चले आये संस्कारों के कारण गर्भपात जैसा भयंकर पाप करते हुए ननु नच करके हिचकिचाती हो तब उसको समझाया जाता है कि अभी तो शुरुआत है, स्टाटिंग है; उसमें जीव नहीं होता । वह तो माँस का टुकड़ा है । उसको निकाल कर फेंक देने में कोई पाप नहीं लगता, ज्यादा दर्द जैसी भी बात नहीं । एक सप्ताह में तो खड़े होकर दौड़ने लगोगी... (कान में धीरे से) 'अरे... किसी को पता भी नहीं चलेगा...' और वह भोली भाली अबला नारी उनकी चिकनी-चुपड़ी बातों को सुनकर, उनके चंगुल में फंस जाती है । उनका प्रचार - जाल और भी दृढता से अपने विकराल शैतानी पंजों में उसको जकड़ लेता है और एक न एक दिन वे शैतान के बच्चे उसको आ बचाओ... बचाओ...!! | 20 For Personal & Private Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दबोचते हैं और नरक के पासपोर्ट की A.C.Office एबोर्शन केन्द्र बनाम हत्या केन्द्र में ले चलते हैं। ___ उस बेचारी को क्या पता कि इन शैतान के दूतों की बात सरासर सफेद झूठ है। अरे... तीसरे महिने से ही बच्चा पेट में हिलने - डुलने लगता है और जीव तो गर्भाधान के समय ही अन्दर गर्भ में अपना स्थान सम्हाल लेता है । मैथुन के समय ही पुरुष वीर्य के शुक्राणु और स्त्री बीज के मिलन के समय ही उसमें जीवन का संचार होने लगता है । जीव ही जीव को जन्म दे सकता है । मृत पदार्थ से जीवन संभव नहीं है । जनसंख्या को घटाने की यह नीच और खूनी चाल है । जिसमें जीवन को इन्कार करने के लिए यह जो झुठी अफवाहें फैलाई जाती है, उसकी जनक स्वयं सरकार है । हर व्यक्ति को काम, रोजी - रोटी देने में अशक्त यह सरकार, गलत प्रचार के माध्यम से मानव संहारक कत्लखाने चलाए, उस देश में दुष्काल पड़े, भूकम्प की आफत आ गिरे, आग लगे, मँहगाई का नंगा नाच दिखे, मनुष्य चरित्र भ्रष्ट बनें, और अन्त में यादवास्थली से देश का सत्यानाश हो जाय, तो उसमें आश्चर्य जैसी बात ही क्या ? ___गर्भ में जीव का अस्तित्व प्रथम क्षण से ही हो जाता है । जीव के बिना विकास (डेवलपमेंट) संभव ही नहीं है । क्या यही कानून है...? 'जो निरपराध को मौत दिलाये, वह भी क्या कानून है...? सन् १९७१ तक भारत में गर्भपात कानूनन अपराध गिना जाता था । Indian Penal Code की ३१२ वीं धारा के अनुसार गर्भपात करनेवाले, कराने वाले और कराने की प्रेरणा देने वालों को सजा दी जाती थी; क्योंकि कानूनन तीनों ही अपराधी गिने जाते थे । सजा के तौर पर गर्भपात के अपराधी को ३ वर्ष, १० वर्ष या कुछ मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती थी । जबकि आज उसी अहिंसा प्रधान देश में ओह ! वही अपराध, ससम्मान देखा जा रहा है... अपराधी सम्मानपात्र बनता जा रहा है । - ओह ! कहाँ गई वह न्यायपरायणता ? किस धरती की आड़ में छिप बैटी वह न्यायदेवी ? आ माता... तू बाहर आ... तेरी आज सख्त जरूरत है... वर्ना न्याय की आड़ में अन्याय का जो आतंक छाया हुआ है, उससे कौन बेखबर है...? खैर... और तो और देश की इस बदकिस्मती पर रोना आता है । देश सेवा का वह पवित्र नाम जो कभी जान को हथेली पर रखकर देश और धर्म के लिए मर बचाओ... बचाओ...!! | 21 For Personal & Private Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मिटनेवाले चन्द्रशेखर आजाद, भगतसिंह, जैसे देशभक्तों के अमर कामों से जुड़ा रहता था वही नाम इन अपराधियों को समर्पित कर अपवित्र किया जा रहा है । चूंकि सन् १९९०१ में -The Medical Termination of Pregnancy Act बताकर गर्भपात भारत में बाकायदा कानून सम्मत है अत: Reference Annual India के गर्भपात सर्वेक्षण; जो भारत सरकार ने आंकड़ो में प्रस्तुत किया है; वह यहाँ उद्धृत किया जा रहा है। वर्ष गर्भपात 1976 206710 1977 250620 1978 241724 1979 312754 1980 306878 1981 1821004, २५ मार्च १९९३ हिन्दुस्तान टाईम्स में छपे समाचार अनुसार स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री श्री बी. शंकरानंदने राज्यसभा में बताया कि पिछले तीन वर्षों में स्वीकृति प्राप्त संस्थाओं में करीब १८,१०,१०० गर्भपात हुए। इतने में ही चौंकिये मत | 'पर्लसेन्टर' जो बंबई का जाना माना सबसे बड़ा गर्भपात का सेन्टर है, उसके डॉ. दत्ता पई की बात और भी ज्यादा चौंकानेवाली हकीकतों से भरी है - 'गर्भपात के 10% आंकड़े ही रजिस्टर में अंकित हैं।' डॉ. डी. सी. जैन ने शाकाहार क्रान्ति में गर्भपात की विभिन्न विभीषिकाओं पर प्रकाश डालते हुए लिखा है कि संपूर्ण भारत में लगभग 51 लाख 47 हजार गर्भपात प्रतिवर्ष हो रहे हैं और प्रतिवर्ष इस संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है... । . बिरला मातुश्री सभागार में हुए अभिनन्दन समारोह में स्वतंत्रता सेनानी श्री बाफना ने कहा था कि अकेले मुंबई में प्रतिवर्ष 4000 और महाराष्ट्र में 19,500 बचाओ... बचाओ...!! | 22 For Personal & Private Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गर्भ गिराये जाते हैं, यह हिंसा तुरन्त रोकी जाय । 'एस्केप रीजिओनल प्रेपरेटरी' की सभा को संबोधित करते हुए 'भारत रत्न' मदर टेरेसा ने कहा था - 'गर्भपात... गर्भाशय में बालक की हत्या ही है...।' तत्कालीन प्रधानमंत्री से भी उन्होंने यह अनुरोध किया था कि गर्भपात का कानून रद्द किया जाय । ये नरपिशाच हैं ! डॉ. ओल्गा फेरफेक्स की रिपोर्ट के कुछ अंश कोलोजन से बनाये गये सौन्दर्य प्रसाधन, सुगंधीसाबू, शेम्पू के लिये कोलोजन प्राप्ति का सोर्स माँ के पेट में मारा गया भ्रूण हैं ! कैसे नरपिशाच हत्यारे है इस युग में !! तोबा !!! विभिन्न संशोधन के लिये एवं सौंदर्य प्रसाधनों के लिये भ्रूण को बेच कर लाखों रूपये का मुनाफा करने वाली कई संस्थाएँ देश-विदेश में कार्यरत है ! धिक्कार है उन्हें !! लाईफ मेगेजिन के लिये सातवर्ष तक मेहनत कर स्वीडिश फोटो ग्राफर लेनार्ट निल्सनने सर्व प्रथम गर्भ के फोटो लिये... स्टोकहॉम के पाँच सर्जनों की मदद ली... परिणाम स्पष्ट था । गर्भपात जीते जागते बालक की हत्या थी ! ___कायदे कानून और कुदरत का न्याय सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के तड़क-भड़क अप-टु-डेट आकर्षक बंद दरवाजों के पीछे ये नरसंहारक कत्लखाने कायदे और कानून के तहत आज निराबाध चल रहे हैं । डाक्टर्स, नर्से, सहायक-नर्स, स्वीपर्स मोटीवेटर्स और संतति नियमन विभाग के अन्यान्य कर्मचारी लोग अपने निर्वाह के लिए, भौतिक समृद्धि की भूख मिटाने के लिए, अधिक से अधिक महिलाओं को गर्भपात करवाने के लिए इन कत्लखानों के आगे क्यू बद्ध खड़ा करते जा रहे हैं । स्वास्थ्य मंत्री ने जिन आंकड़ों को प्रकाशित किया है वे तो अस्पतालों के है । अंधेरी गली गूचों में, दाईयों और ऊंट वैद्यों (नीम-हकीमों) के हाथ जो भ्रूण हत्याएँ और साथ ही साथ सगर्भा माताओं की गुप्त रूप से मौतें होती होंगी उसकी टोटल (कुल संख्या) तो किसी भी माई के लाल को मिलने वाली नहीं । वह तो ऑल्मायटी गॉड, रहमदिल परवरदिगार खुदाविन्द... परमपिता परमेश्वर... सर्वज्ञ वीतराग परमात्मा ही जान सकते हैं । बचाओ... बचाओ...!! | 23 For Personal & Private Use Only whorejamenorary.org Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुंवारी माताएं तो लोकलज्जा से गर्भपात कराती है, उससे कहीं अधिक तादाद में विवाहित माताएं कायदे की पूंछ का सहारा लेकर बेरहमी और बेशरमी से भरे बाजार में अपने बालकों की हत्या करवाती है । बच्चे नहीं चाहिए तो क्यों की शादी ? मजे के लिए ? तो क्यों नहीं रखा संयम ? क्यों नहीं अपनी वासना को काबू में रखा ? गुनाह अपना, भूल अपनी और सजा उस बेचारे असहाय बालक को ? नहीं सहेगी कुदरत इन अत्याचारों को ! कुदरत को ये बातें बिल्कुल मंजुर नहीं है । गर्भाशय से अकाल में ही निकाल कर दफनाये जाने वाले इन असहाय बच्चों के मुंह में ज़बान होती और यदि इन्हें कोर्ट में केस करने का हक होता, वकीलों की सहायता मिलती तो शायद इन हत्यारे माँ-बापों को फांसी पर चढने की नौबत आती । हाँ... हाँ... सुप्रीम कोर्ट तो क्या, राष्ट्रपति के द्वार खटखटाते तो भी छूट नहीं सकते...! भूल अपनी और सजा एक छोटे से असहाय बालक को ...? अरे...! इन बेचारों का बेरहमी से कचूमर निकलवाना ... गैस चेम्बर में लोगों को जिन्दे मारने वाले हिटलर की बेरहमी को भी मात देने वाला है ! ओ शौकीन लैला-मजनूओ ! याद रखना, कर्म तुम्हें नहीं छोड़ेगा.... परमाधामी तुम्हें नहीं छोड़ेंगे । अरे ! कुछ तो सोचो और कुछ तो समझो... यदि आपके अपने ही माँ-बाप ने यदि यह सितम आप पर गुजारा होता तो... ? सच कहता हूं आप उन्हें कभी माफ नहीं करते...! समस्या: अनिच्छित बालकों की गर्भ - निवारण करने में राष्ट्र की सेवा माननेवालों का तर्क है कि अनिच्छित बच्चे को जीने के लिए मजबूर करना पड़े उससे बेहतर है कि उसको मार डाला जाय । इस तर्क को यदि स्वीकार कर ले तब तो अनिच्छित पत्नी को जो नराधम जला डालते हैं। वे भी राष्ट्रीय सेवक गिने जायेंगे उनको भी इनामी तमगे दिये जाय ! फिर तो अंधे, लूले लंगडे, बहरे, मंद - बुद्धिवाले बालक, डीस्लेक्षिया के रोगी; हर तरह के केन्सर, टी.बी.; एडस् के रोगी और आगे बढ़कर बोझ रूप बने हुए बुड्ढे माँ-बाप इन सभी को बढ़ती हुई जनसंख्या की समस्या का हल निकालने के लिए जहर का इंजेक्शन देकर मारने का कायदा और कानून बना सकेंगे। यह तो भाई पब्लिक है, लोकशाही है ! और उसमें बहुमत को अच्छा लगे वैसी बात को कायदा और कानून का प्रारूप देते कौन किसको रोक सकता है ? सत्ता स्थान पर बैठने वालों को भी बहुमत लाना पड़ता है बचाओ... बचाओ... !! For Personal & Private Use Only 24 Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न ! समाज का बहुमत यदि बीड़ी, भांग, हेरोईन आदि खाये - पीये या फूंके तो नियमानुसार कल्याण राज्य में वह भी शिष्टाचार ही गिना जाय ! गर्भपात करवा कर यह कितने राम, कृष्ण, बुद्ध सतीसावित्री और उन जैसी अनेक विभूतियों को धरती पर आने के पहले ही गर्भ में मौत के घाट उतार देते हैं । सोचें ! खूब सोचें ! यह कार्य सरेआम बाल हत्या ही है। ____ दुनिया के अनेक देशों में फाँसी की सजा रद्द हो गई । खूनियों को भी फाँसी पर चढ़ाया नहीं जाता है । क्योंकि जीव लेने का मनुष्य को हक ही नहीं है । गर्भपात तो फांसी से भी ज्यादा क्रूर आचरण है । फाँसी पर जिसको चढ़ाया जाता है उसकी मृत्यु तत्काल हो जाती है । जबकि गर्भपात में बच्चा घंटों तक तड़प-तड़प कर मरता है । फाँसी में प्रगट पीड़ा नहींवत् गिनी जाती है लेकिन गर्भपात में जीव को भयंकर यातना का शिकार होना पड़ता है । फाँसी किसी भयंकर गुनाह की सजा के रूप में दी जाती है । गर्भपात में बालक निर्दोष कोरा कागज सा होता है । समाज की सही सलामती के लिए गुनहगार को समाज फाँसी के मंच पर लटकाता है परन्तु गर्भपात में अपने ही मौज-शौक के खातिर, देहसुख और वासना की पुष्टि के लिए लोकशाही समाज अपनी ही सन्तान पर गर्भ में सितम गुजारता है और बालहत्या का भीषण पाप अपने सिर लेता ___ फाँसी पर चढ़ाये जाने वाले व्यक्ति ने कुछ वर्ष पृथ्वी पर बिताये होते हैं । जबकी गर्भ के बालक ने तो धरती मैया पर जीने के लिए पहली सांस भी नहीं ली होती... । गैस चेम्बर्स में हजारों यहुदियों को मारने और मरवाने वाले एडाल्फ आईकमेन और हिटलर; निर्दोष बालाओं की हत्या कर इंटरपोल के जघन्यतम अपराधियों में गिने जाने वाले डॉ. नइल और चार्ल्स शोभराज; समाज और सरकार यावत् संसार के प्रत्येक न्यायाधीश की दृष्टि से दण्डनीय गिने जाते हैं तो अपने ही मासूम बालकों पर सितम ढाने वाले दम्पति निर्दोष गिने जायेंगे ? नहीं... नहीं... कदापि नहीं..। वापिस कह देता हूं, कर्म और कुदरत उन्हें माफी नहीं बख्शेगी । क्या अहिंसा का संदेश देनेवाले गौतम बुद्ध, भगवान महावीर व अहिंसा के पूजारी महात्मा गाँधी के इस देश में भ्रूण हत्या करना कराना शोभा देता है ? कदापि नहीं । ____ सन् 1980 में राष्ट्र ने धूमधाम से बालवर्ष मनाया । उसी वर्ष में हमने कितने · निर्दोष बालकों को एबोर्शन का सुन्दर लेबल लगाकर बेरहमी से मौत के घाट उतारा...। उसकी संख्या यदि स्वास्थ्य मंत्री जनता जनार्दन के बीच रखें तो जनता की आँखे फटी बचाओ... बचाओ...!! 25 For Personal & Private Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ की - फटी रह जायें । और तब देश एवं सरकार की बाल - प्रेम की बातें और जीवदया की सच्चाई का पता चले । इस दुनिया में तीन व्यक्तियों ने गर्भपात के खिलाफ अपनी आवाज बुलुन्द की है । स्वामी विवेकानन्द, महात्मा गांधी और ईसाई (Christian) धर्म के वेटिकन सिटी के पूजनीय गुरु पोप ! अन्य कितने ही लोगों ने मेरे जैसे अपने विचारों को निडरता से पेश करने का प्रयास किया होगा... लेकिन अफसोस ! भौतिकवाद के इस शोर-शराबे में हमारी तूती किसको सुनाई दे ? मगर याद रखो ! ईश्वरीय न्याय जैसी कोई चीज इस दुनिया में होगी, वहाँ हमारा विरोध अवश्य नोट किया जायेगा । ईश्वरीय शिकायत पुस्तिका (Complaint Book) में 'बचाओ...बचाओ' भ्रूण हत्या महापाप की सभी अगत्यपूर्ण बातें लिखी जा चुकी है । यह हमारा अपना विश्वास है । - 1 और याद रखो...! गर्भाधान के समय ही व्यक्ति की ऊँचाई, बौद्धिक सत्र ( I. Q. ) चलने की रीत - भांत, उंगलियों के पोरों के निशान ( वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है कि हर एक व्यक्ति का निशान अलग होता है एकाध अपवाद को छोड़कर) रक्त की जाति (Blood Group. A. B. or O ) आदि बहुत कुछ बातें, विशेषताएँ निश्चित हो जाती है । गर्भ में रहा हुआ शिशु, संपूर्ण व्यक्तित्व का धनी है । फिर बाद की उम्र तो मात्र उसी व्यक्तित्व के विकास में हाथ बँटाती है । यदि गर्भपात कायदा और कानून; इंसाफ और इन्सानियत के नाते निर्दोष माना जाय तब तो... इस दुनिया में झूठ, चोरी, डकैती, बलात्कार, अनीति, अत्याचार, सब कुछ आगे बढ़कर कानूनी कहलायेंगे । "जिसकी लाठी उसकी भैंस, यह तो जंगल का कायदा है । सभ्य समाज यदि उसको स्वीकारें तो वह दिन दूर नहीं जब डार्विन की सृष्टि वापस आ धमकेगी । फर्क इतना ही है बस इसमें पूंछ बिना के सभी बंदर, कोई पाप नहीं, कोई धर्म नहीं, 'पुच्छेन हीना: भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति' ! (कवि भर्तृहरि) । ... और फिर देखो समाज की यह ब्रेकलेस एम्पाला किस अवनति के गर्त में जा गिरती है ? कल्पना से ही कलेजा कांप उठता है और धड़कनें थम सी जाती है । डॉक्टरों के पिता हिपोक्रेटिक की शपथविधि में स्पष्ट बताया गया है कि 'मैं - बना हूँ जीवन बचाने के लिए, जीवन का नाश करने के लिए कतई नहीं ।' और आज के डॉक्टर्स नाशवान जीवन में अपने स्वार्थी सुखचैन के खातिर अपनी प्रतिज्ञा को तोड़कर हजारों जीवों के जीवन जीने का हक छीन रहे हैं... बचाओ ... बचाओ... !! For Personal & Private Use Only 26 Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तड़फा-तड़फा कर मार रहे हैं । सरकारी समर्थन के साथ कलियुग के अन्तिम चरण की यह बलिहारी है । बस अब तो इतना ही हो सकता है कि जिसकी आत्मा यह बात न स्वीकारे वे सज्जन... सन्नारियाँ अपने आपको इस गड़रिया प्रवाह से दूर हटा लें। (जनसत्ता परिवार पूर्ति के आधार पर साभार) ध साइलेन्ट स्क्रीम गर्भ बोला... ऑय माँ ! मैं मर गया... । समकालीन 17 जून 85 में से दिल दहलाने वाला लेख यहां प्रस्तुत है । तेज धड़कनों से युक्त दिल और दिमाग को कुछ देर विश्राम देकर नार्मल होने दीजिए और पुनः ठीक पहिले की तरह मन को और मजबूत बना लीजिए... अब आगे पढ़िये । ___ सन्डे ऑबजर्वर के कल के अंक में धीरेन भगत की एबोर्शन को योग्य परिप्रेक्ष्य में रखने वाली 'ध सायलेंट स्क्रीम' नाम की डॉक्युमेन्टरी फिल्म की लिखित समालोचना, समाज और शासकों की नींद उड़ाने वाली बननी चाहिए । 'गर्भपात 70 लपयों में' ऐसे अनगिनत विज्ञापन हम उपनगरों की लोकल ट्रेनों में बहुत बार देख चुक हैं और देखते आये हैं । शहर के शिक्षितों ने फेमिली प्लानिंग को अपना लिया है । देश में दिन - दूनी रात चौगुनी बढ़ती जनसंख्या पर रोक लगाना जरूरी है। इसलिए अपने शासकों ने कुटुम्ब नियोजन और एबोर्शन के प्रति अतिशय उदारता दिखाई है । टी.वी. या अखबारों के माध्यम से अपने बाल-बच्चे प्रतिदिन निरोध के विज्ञापन पढ़ते रहते हैं । 'सरल, सुरक्षित और सस्ता एबोर्शन करके आपको दो घंटों में ही घर भेज देंगे' आदि विज्ञापन सरकारी क्लीनिके करती है । गैर सरकारी, प्राईवेट क्लीनिकों का पार नहीं हैं । ऐसा प्रचार किया जाता है कि एबोर्शन तो कुछ नहीं... बच्चों का खेल है । एक छोटा सा नाजुक सक्शन पंप (नालिका में से हवा निकाल कर उसके माध्यम से किसी चीज को चूस कर खींचकर बाहर निकालने का साधन) द्वारा भ्रूण या कच्चे गर्भ को अत्यल्प समय में डॉक्टर खींच निकालता है, मानो सिर पर से रेंगती जूं को निकाल फेंकी, थोड़ी सी भी काट-कूट नहीं । ऐसी बातें... छोटे बच्चों को समझाने - फूसलाने जैसी... लोगों के बीच फैला दी गई है। यहाँ पर विकासशील देश के अर्थतंत्र या एबोर्शन का विरोध करने का इरादा (मकसद) कतई नहीं है । धीरेन भगत ने न्यूयार्क बचाओ... बचाओ...!! | 27 For Personal & Private Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ के गायनेकोलोजिस्ट डॉक्टर बर्नाड नेथेनसन की डाक्युमेंटरी फिल्म 'ध सायलेन्ट स्क्रीम' (गूंगी चीख या शांत कोलाहल) का जो वर्णन किया है वह सभी को विचारमग्न करने वाला है, इतना यहाँ पर कहना हमें उचित लगता है। 'एबोर्शन क्या हत्या है ?' ऐसा बुनियादी प्रश्न भगत ने उपस्थित किया । धीरेन भगत को डॉ. नेथेनसन ने अभी अभी पेरिस में कहा कि 'ध साइलेन्ट स्क्रीम' नामकी यह फिल्म मैं भारत में दिखाने के लिए तैयार हूँ । अल्ट्रासाउन्ड टेकनिक के सहारे नेथेनसन ने इस फिल्म में बारह सप्ताह का गर्भ... एबोर्शन के वक्त किस ढंग से रहता है ? उसकी स्पष्ट विज्युअल अभिव्यक्ति की है । अमरीका और यूरोप में इस फिल्म के दर्शकों ने एबोर्शन के कायदे कानूनों को बदलने के लिए जबरदस्त आन्दोलन छेड़ा है। __ अभी तक तो तबीबी शास्त्र (विज्ञान) १६ सप्ताह के भ्रूण को टॉन्सील, फुसी, तिल - मस्सा या नाखून से कुछ विशेष नहीं मानता था । लेकिन उसी में जिन्दे मनुष्य की जिन्दी जान है ऐसा 'ध साइलेंट स्क्रीम' ने प्रमाण सहित सिद्ध कर दिखाया है । दर्शकों ने टी.वी. पर देखा की एबोर्शन के पहिले १६ सप्ताह का भ्रूण, पूर्ण रुपेण मनुष्य है । डाक्टर लोग वैज्ञानिक साधनों के द्वारा बालक के आस-पास के आवरण को पंक्चर करते हैं, गर्भ के टुकड़े कर देते हैं मगर खोपड़ी वाला वह बड़ा हिस्सा बहुत बार समस्याएं खड़ी कर देता है । डॉक्टर उस भ्रूण के तैर रहे मस्तक को फोरसेप की सहायता से जोर से दबाकर तोड़ डालते हैं और अन्त में उस कोमल मस्तक के टुकड़े करके सक्शन पंप द्वारा शोषण कर, चूस कर ही बाहर निकाल पाते हैं। जिसका पैर इसमें फंस गया हो, ऐसी लाखों अविवाहित तरुणियों के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं होता । डॉक्टर नेथेनसन की फिल्म की पराकाष्ठा तो तब आती है जब वह कच्चा बालक या भ्रूण अपनी हत्या करने के लिए निकट आ रहे उन औजारों के प्रति अपनी नाजुक प्रतिक्रिया (रीएक्शन) दिखाता है । सर जगदीशचन्द्र बोस ने कहा था - ‘पत्तों को न तोड़ो उसमें भी जीव है, हर्ष और शोक की संवेदनाएँ हैं ।' सर जगदीशचन्द्र ने यदि 'ध साइलेन्ट स्क्रीम' देख ली होती तो सच, वे बेहोश ही हो जाते । सक्शन पम्प भ्रूण के नजदीक जाता है तब बालक के हृदय की धड़कने जो कि प्रति मिनिट 140 होती है, जैसे ही पंप उसके ज्यादा नजदीक पहुंचता है तब उस मासूम कच्चे बालक के हृदय की धड़कने बढकर प्रति मिनिट 200 तक हो जाती है। वह बेचारा समझता है कि मेरे पर घातक आक्रमण हो रहा है । अपने जीवन दीप को बचाओ... बचाओ...!! | 287 For Personal & Private Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बुझाने के लिये आ रहे औजार से बचने के लिये वह कुछ पीछे हट जाता है। उसके आसपास की नलिका और उसका आवरण शस्त्रों से सच्छिद्र बन जाने के बाद उसको झपट कर लेने का... और छिन्न कर उसका निकंदन निकालने की प्रक्रिया का आरंभ हो जाता है । बालक के मस्तक और धड़ को झटके से अलग कर दिया जाता है। तब वेदना से वह चीख उठता है । यह है - 'ध साइलेंट स्क्रीम ( गूंगी चीख ) ! सिर को तोड़ते वक्त अनस्थिजिया देने वाला व्यक्ति तबीब को कहता है... 'बस अब यह बाकी रहा है नंबर वन !' फिर फोरसेप से दबाकर कठिन खोपड़ी को तोड़ कर विसर्जित कर दी जाती है । एक जीते-जागते जिन्दे, रक्षणविहीन (डिफेंसलेस) नन्हें व्यक्ति की हत्या करने वाले को इंडियन पीनल कोड की धारा ( 301) के तहत मर्डर के लिये पकड़ा नहीं जाता । यह अफसोस की बात है ! रोनाल्ड रीगन (American president) को 'ध साइलेंट स्क्रीम' पसंद आई और उन्होंने प्रत्येक अमेरिकन संसद सदस्य (क्रोंग्रेसमेन) से, इस फिल्म को देखने का अनुरोध किया था । रीगन एबोर्शन के कानून को बदलने के लिये आतुर थे । अमेरिकन राष्ट्रपति ज्योर्ज बुश ने भी गर्भपात का विरोध किया था । 1 ब्रिटेन के कुछ तबीबों ने कहा है कि यह फिल्म अतिशयोक्ति बता रही है, उसमें स्पेशियल इफेक्ट्स है, उसमें विकृतियाँ है । लेकिन जब उन महाशयों को फिल्म निर्माता वर्ग पूछता है कि भाई ! इसमें कौनसी टेक्नीकल क्षति है ? तब उनकी तूती बंद हो जाती है और वे चुप्पी साध बैठते हैं, क्योंकि 'ध साइलेंट स्क्रीम' एक सच्ची फिल्म है । एक दर्दनाक कटु सत्य है ! सत्य हमेंशा कल्पना से भी ज्यादा और बातें करने से भी कहीं अधिक भयावह और चौंकाने वाला होता है । भारत में संसद सदस्य यदि 'ध साइलेंट स्क्रीम' देख लें, फिर एबोर्शन के कायदे-कानून में उन्हें काट-छाँट करनी ही पडेगी । 'ध सायलेंट स्क्रीम' के आलोचक कहते हैं कि इस फिल्म में भ्रूण या गर्भ को एनलार्ज कर ( कुछ बड़ा बताकर ) बताया गया है और वह उस तबीबी साधक को देखकर दूर भागता है, ऐसा बताने के लिए, उसमें गतिशीलता लाने हेतु 'ट्रीक सीन' का प्रयोग किया गया है । डॉक्टर नेथेनसन इस आक्षेप के सामने चेलेंज फेंकते हैं, उसे चुनौती देते हैं । उन्होंने निःशेष रूप से सिद्ध कर दिया है कि 16 सप्ताह का भ्रूण मनुष्य जैसा ही बचाओ ... बचाओ... !! For Personal & Private Use Only 29 Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सर्वांगीण मनुष्य है । अब समाज और शासन को इस ओर कदम बढ़ाने हैं.... । सुप्रीम कोर्ट (हिंदुस्तान टाईम्स १६-४-९५) के मुख्य न्यायाधीशों का कहना है कि Foetus is regarded as a humanlife from the moment of fertilization ! महात्मागांधी ने कहा था God alone can take life because he alone give it. ___ गर्भाधान के समय से ही भ्रूण को एक मानव जीवन माना जाता है । जैन धर्म के पवित्रतम कल्पसूत्र में कहा है कि जिसने पूर्व जन्म में गर्भपात कराया हो वह स्त्री मृतवत्सा, वंध्या बनती है। पाराशर स्मृति (४.२०) में कहा है कि ब्रह्महत्या से दुगुना पाप गर्भपात में है । इसका कोई प्रायश्चित नहीं । उस स्त्री को त्यागने का विधान बताया है । मनुस्मृति में ४-२०८ गर्भहत्या करनेवाला का देखा अन्न खाने का निषेध है । वृद्ध सूर्यारूण कर्मविपाक ७७-१ गर्भपाती स्त्री को अगले जन्म संतान नहीं होती । वंध्यत्व आता है । वहीं ६५९/१, ८५६/१, ९२१/१, १८५७/१, ११८७/१ समाचार पत्रों के सन्दर्भ में... नई दुनिया 5-1-1987 देश में प्रतिवर्ष ४१ लाख गर्भपात... नई दिल्ली, 4 जनवरी (वार्ता) जिस देश में किसी समय भ्रूणहत्या को हत्या से भी जघन्य अपराध माना जाता था उसी देश के शहरों में अब दीवारों पर 25 रुपये में मशीन द्वारा गर्भपात के विज्ञापन देखने को मिलते हैं। इस समय देश में लगभग 160 ऐसे केन्द्र है, जहां प्रतिवर्ष 1 हजार डाक्टर्स को सही तरीके से (इस सही तरीके को तो आपने पिछले पन्नों में पढ़ा ही है । ओह ! कितना भयंकर था वह...!) गर्भ समाप्त करने का प्रशिक्षण दिया जाता है । एक अनुमान के अनुसार देश में लगभग 41 लाख महिलाएँ (अर् !) प्रतिवर्ष गर्भपात कराती है... । सर्वोत्तम जून 1989 के अनुसार एक कटु सत्य और... 'चूंकि विविध वैज्ञानिक साधन एमनिओसेन्टेसिस, कोरिआन वायलस बायप्सी, अल्ट्रासोनोग्राफी बचाओ... बचाओ...!! | 307 For Personal & Private Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आदि से प्रसव पूर्व परीक्षण के द्वारा गर्भस्थ शिशु के लिड्ग का ज्ञान हो जाता है । अत: अधिकांश महिलाएँ यह जानकर कि गर्भ में मादा शिशु है... गर्भपात करवा देती है...।' 'चीन में कुछ नवजात बच्चियों को गुफाओं में छोड़ दिया जाता है या उन्हें बोरी में बांधकर नदी में फेंक दिया जाता है । कुछ को कूड़े - कचरे के डिब्बों में जहरीले कीटनाशकों को निगल कर मरने के लिए फेंक दिया जाता है तो कुछ को गत्ते के डब्बों में बंद कर के यों ही भूख से ऐंठ कर मर जाने के लिए मैदानों में फेंक दिया जाता है।' नानफंग डेली के अनुसार 'दक्षिणी गुआनदोंग प्रान्त के दो जिलों में कोई 200 बच्चियों की 1982 में हत्या कर दी गई थी ।... कहीं - कहीं तो पानी से भरी बाल्टी नवप्रसूता के बिस्तर के पास ही रख दी जाती थी और यदि जन्मी लड़की होती तो उसे तुरंत पानी में डुबो दिया जाता...।' ___ अर्... हे प्रभु ! यह क्यों नहीं इनको समझ में आता कि वह स्वयं भी तो औरत ही है... क्यों वह अपनी ही जाति का नाश करने की लिए हत्यारिणी बन रही है...? अरे ! कोई तो इन्हें समझाओ...! नारी जाति पर जन्म से ही हो रहे इस अत्याचार को रोकने के लिए कोई तो आगे आओ... । दैनिक जैन समाज 3 अगस्त, 1989 के अनुसार.... 'बडौदा में पिछले साल किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला था कि 'एमनिओसेन्टेसिस' कराने वाली 80 फीसदी महिलाएं गर्भ में लड़की होने पर गर्भपात करवा लेती है... । ... सर्व प्रथम महाराष्ट्र सरकार ने भ्रूणपरीक्षण पर प्रतिबंध लगाया । उसके बाद कई अन्य राज्यों ने और अब भारत केन्द्रिय सरकारने "Prenatal Diagnostic Techniquesn (Regulation and Prevention of Misuse) Bill पास कर भ्रूण परीक्षण पर प्रतिबंध लगा दिया है । सोनोग्राफी झूठी है सोनोग्राफी से पता चला कि गर्भ में लडकी है... पति की डांट के बावजूद 'गर्भहत्या भयंकर पाप है' यह जिसके रग-रग में बसा हुआ था, उस पत्नी ने गर्भपात करवाना मंजूर नहीं किया. जन्म हुआ पर लडके का ! सोनोग्राफी बिल्कुल बचाओ... बचाओ...!! | 31 For Personal & Private Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ झूठी निकली ! वह लडका इतना हुशियार, स्मार्ट, स्वीट एण्ड ब्युटीफुल है कि न पूछो बात... पति वह बात याद कर आँसू से भर आता है कि यदि एक निर्जीव मशीन के हवाले मैं अपने लाल का भाग्य सौंप देता तो...?? ऐसे तो कई किस्से हैं... सोनोग्राफी को मारो ताला, भ्रूणहत्या का पाप है काला भ्रूण परीक्षण से अन्य खतरे : भ्रूण और बीजांडासन (प्लेसेंटा) का नष्ट होना, अपनेआप गर्भपात, समयपूर्व प्रसव की आशंका होना । मुंबई के श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी फार्मेसी कालेज के डॉ. आर. पी. रवीन्द्र अनुसार इसी परीक्षण से कुल्हों के खिसकने श्वास की बिमारी संभव है । देहली मिडडे दि. १७-१२-९३ अल्ट्रासाउंड से शिशु के वजन पर दुष्प्रभाव | Dr. Arti Mallik : "No longer it is believed entirely harmless". " गर्भ हरपल सजीव है... देखिये... गर्भधारण के 18वें दिन हृदय की धडकनें शुरु... प्रथम मास में आँखे, करोडरज्जु, यकृत, जठर तैयार ... बाद 15 दिन में नन्हें हाथ-पाँव तमाम अवयव... दूसरे माह में संपूर्ण हाडपिंजर और पकड़ी जा सके वैसी मस्तिष्क तरंगे... तीसरे माह मुठ्ठी बंध - खोल..., नींद लेनादि शक्य... फिर भ्रूण हत्या निष्पाप कैसे ? सोचें !! भ्रूण परीक्षण वरदान से अभिशाप बना :- गर्भजल परीक्षण (Prenatal testing) या एमिनोसिन्टेसिस गर्भगत ७२ असाध्य एवं वंशानुगत रोगों की पृष्टि के लिये वरदान था पर साथ मे लिंग पता चलने से अभिशाप हो गया । लिंग परीक्षण बाद 97% स्त्री भ्रूण की हत्या हुई है । नव भारत टाईम्स ३०६-९४ “पांच साल में मादा भ्रूण हत्या 200% वृद्धि हुई है ।" "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते” जिस देश में नारी की पूजा होती थी There is a Woman behind every Successful man महाकवि कालीदास व संत तुलसीदास, सूरदास की प्रेरणा नारी थी । बेटा जुदा होता देखा गया है, बेटी सम्हाल लेती है तो स्त्री भ्रूण हत्या क्यों ? अब जरा रुकिये...! आपने यह प्रकरण पढ़ लिया । आपकी आँखों के आगे अंधेरा- अंधेरा सा छा बचाओ... बचाओ... !! For Personal & Private Use Only - 32 Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गया... आँखे डबडबा आई... कलेजा मुंह को आ गया । आपका अंतर्मन वेदना... और असह्य व्यथा से चीख उठा... हाय ! हाय ! यह कैसा खूनखराबा !!! अंधेरे गर्भाशय में उल्टे लटकते बेचारे अकेले निःसहाय बालक का कैसा खतरनाक खून ! शत्रु भी न करें ऐसी निर्मम हत्या ! उफ्...! देखिये... यदि सचमुच आपका अंतर्मन पश्चाताप की सुरसरिता में आकण्ठ डूबा है तो आज से ही आप संकल्प करें - 'गर्भ हत्या के इस भीषण पाप की अब जीवन में कभी परछाई तक नहीं पड़ने देंगे। मन में कभी ऐसे पापी विचार को उत्पन्न भी न होने देंगे और ऐसे पाप करने को किसी को कदापि मजबूर नहीं करेंगे...!! गर्भपात संबन्धी भ्रान्तियाँ कुछ भ्रातियाँ तो अज्ञानवश फैली हुई है और कुछ भ्राँतियाँ तो जानबूझ कर भोली महिलायें एवं भोली जनता को गुमराह करने के लिये फैलाई जा रही है जिससे इस अहिंसक संस्कृति की कत्ले आम हो रही है और हिंसा की प्रतिष्ठा हो रही हैं पूजा हो रही है... अहिंसा की देवी सिसक-सिसक कर रो रही है... नहीं नहीं भारत माँ के सपूतों ! माँ अहिंसा के पूजारियों ! प्रण करो... शपथ करो माँ अहिंसा को अब रोना नहीं पड़ेगा... अब तो सभी के दिल में, दिल्ली में और दुनिया के तख्ते पर माँ अहिंसा की ही प्रतिष्ठा होगी... यही हमारा प्रयास रहेगा.... ___“प्रारंभिक गर्भावस्था में कुछ भी नहीं होता... वह तो सिर्फ पानी है... निकलवा दो कोई पाप नहीं... जैसे हम थूकते हैं... पेशाब करते हैं... मल विसर्जित करते हैं... ठीक वैसे ही” यह भ्रान्ति आम जनता के मानस में जबरन घुसाई गई है... नाजी सेना का प्रचार मंत्री गोबल्स का सिद्धान्त था एक झूठ सौ बार रीपिट किया जाय, सच हो जायेगा... उपरोक्त भ्रान्ति झूठ है... बिल्कुल सफेद झूठ है मगर उसे बार-बार रीपिट किया जा रहा है... हर जगह रीपिट किया जा रहा है अत: उसे सत्य का जामा मिल गया है... उसे बेनकाब करने के लिये "गर्भपात मातृत्व की हत्या" में दी गई निम्न बातें बचाओ... बचाओ...!! 33 For Personal & Private Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढिये... पहला सप्ताह :- गर्भधारण के पहले सप्ताह में माता के गर्भाशय में एक नया जीव पैदा होकर विकसित होने लगता है । दूसरा सप्ताह :- माता द्वारा किये गये भोजन से नये जीव का पालन पोषण । 3. तीसरा सप्ताह :- आँखे, रीढ़ मस्तिष्क, फेफड़े, पेट, जिगर, गुर्दे बनने लगते हैं, दिल की धडकनें शुरु होने लगती हैं । 4. चौथा सप्ताह :- सिर बनने लगता है रीढ़ की पूरी बनावट सुषुम्ना बनकर पूरी हो जाती है हाथ - पैर बनने लगते हैं । दिल की धड़कने जारी... 5. पाँचवा सप्ताह :- छाती और पेट तैयार होकर एक दूसरे से अलग हो जाते हैं । सिर पर आँखे, आँखों पर लेन्स और दृष्टिपटल (Retina) आ जाती है । कान बनकर तैयार हो जाते हैं। हाथ और पैरों पर अंगुलियाँ फूटने लगती है। 6. छठे और सातवें सप्ताह :- बच्चे के सब अंग बनकर तैयार हो जाते हैं, सिर की पूरी बनावट चेहरा, मुँह एवं जीभ बनकर तैयार हो जाती है, मस्तिष्क पूरी . तरह से विकसित हो जाता है, गुदगुदाने से बच्चे में प्रतिक्रिया..... आठवाँ सप्ताह :- बच्चे के हाथ एवं पैरों पर संपूर्ण ऊँगुलियाँ विकसित.... अंगूठे की छाप वैसी ही होती है कि जैसी उसकी अस्सी वर्ष की उम्र में होगी । अब उसकी मस्तिष्क तरंगे डिटेक्ट की जा सकती है । वस्तु पकड़ने के लिये हाथ सक्षम... ग्यारहवाँ और बारहवाँ सप्ताह :- शरीर के सभी तंत्र चालू... नसें और माँसपेशियों में सामंजस्य स्थापित होता हैं । हाथ और पैर हिलते - डुलते हैं । उंगलियों पर नाखून उगने लगते हैं । बच्चे का वजन अब एक औंस हो जाता है । अब वह पीड़ा का अनुभव कर सकता है । तीन महिने में बच्चे का गठन हो जाता हैं । अब उसे केवल बढ़ने की आवश्यकता होती है. परंतु अफसोस ! उसकी माँ किसी डॉक्टर की सलाह लेती बचाओ... बचाओ...!! For Personal & Private Use Only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ है । किस प्रकार उस असहाय बच्चे की हत्या की जाय ! अरे ! ऐसी नागिन तो देखी जो अपने बच्चों को जन्म देते ही खाने लगती हैं। कुत्तिया भी देखी जो भूख की सताई अपनी ही संतान चबा लेती है और सूअर भी देखी जो बेचारी भूख से चटपटाती अपने ही बच्चे जबडों से चबाती... मगर यह क्या हो रहा है इस भारत भूमि पर ? खाने को भर पेट मिलता है, मिठाइयों के थाल तैयार पड़े हैं। मगर मानव माता डायन बनकर अपनी ही सन्तान का खून करवाती है... ईनाम पाकर खुश - खुश होती है... याद रखिये गर्भपात का दूसरा नाम है मातृत्व की हत्या...!! माता के हाथों अपने ही बच्चे की निर्मम हत्या...!! माताओं ! एक बार आप इस पाप में लिप्त हो गई आपका दिल पत्थर बन जायेगा... फिर वह कभी किसी नंद गोपाल को देखकर प्यार में झूमेगा नहीं... नाचेगा नहीं...! चूंकि आपने एक ऐसे ही नंदगोपाल का खून किया हुआ है अपनी मौज से ! आंदोलन छेडें ! गर्भहत्या भारतीय संस्कृति पर काला धब्बा है । गर्भहत्या मातृत्व की निर्मम हत्या है । गर्भपात मासूम बच्चे का मर्डर है । एड्स से बचने के लिये और संतति नियमन के लिये टी.वी. पर कंडोम्स् के प्रचार बंद करो... - ब्रह्मचर्य का जोर - शोर से प्रचार करो सोनोग्राफी स्त्री हत्या का भयंकर षड्यंत्र है... भ्रूणपरीक्षण बंद करो... जगह-जगह आंदोलन छेड कर भ्रूणपरीक्षण को पवित्र भारत से बाहर खदेड़ो... भ्रूण - हत्या बंद करो। यदि भारत देश की स्त्रियाँ दुर्गा बन कर जागृत हो जाय तो मजाल है इस देश में भ्रूण हत्या चल सकें । उठो ! जागो ! पद्मिनियो ! झांसी की लक्ष्मीबाइयों ! दुर्गा शक्तियों ! 'बेटी' नामक संस्था ने लोक जागृति का आन्दोलन छेड़ा है..... बचाओ... बचाओ...!! | 35 www.ajalimelibrary.org For Personal & Private Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सरकार प्रतिबंधित भ्रूण परीक्षण करने वाले कई डॉक्टरों को पकडकर कैदखाने में डाल रही है । बहिनों ! यह पुस्तक आपके लिए है... कम से कम इतना तो अवश्य करें कि इसको पढ़कर अपनी 10-20 सहेलियों को पढ़ाएँ... समझाएँ और इस पुस्तिका के भावों का सुन्दर प्रचार करें... इसमें महान् पुण्य है - यह न भूलें... । आप यह प्रण करें मर जाएंगे मिट जाएंगे, हो जाएँगे शहीद ! न होने देंगे इन पापों को, यही हमारी जीत !! भारत मेरा देश है, धर्म मेरा वेश ! जागृत नागरिकों की अपील माननीय महामहिम राष्ट्रपतिजी श्री अब्दुल कलाम सा. ! देश के सर्वोद्ध पद पर आसीन आपश्री से हमारी नम्र गुजारिश है कि आर्यवर्त के इस पवित्र भारतदेश की आत्मा यानि अहिंसाधर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए निम्न बातों में हस्तक्षेप करते हुए उचित संशोधन करावें । तमाम सत्ताधीशों से भी नम्र विनंती है - भारत देश अहिंसा प्रधान है, संस्कृति प्रधान है अत: अहिंसा और सस्कृति में अवरोधक न बनें, वैसे ही निर्णय लें। देश को विनाश के गर्त्त से बचाना है तो हमें दूरदर्शिता को रखना ही होगा । हमें जो सरकार की नीतियाँ धर्म और संस्कृति के लिये घातक लगी, उन्हें आपको लिखकर सादर इस आशा के साथ प्रेषित कर रहे हैं कि आप निश्चित रूप से प्रभावी कटम उठाकर जागृत जनता की भावना का सम्मान करेंगे । धर्म संस्कृति विरोधी बारह बातें १. मांसनिर्यात :- भारतीय संविधान की विविध धाराएँ आर्टिकल (१) ३९ ४७,४८ पशु रक्षा की ही बात करती है, तो इस अहिंसक देश में पशु हिंसा क्यों ? तमाम धर्मशास्त्र हिंसा को पाप कहते हैं । हिंसा से पर्यायवरण का I बचाओ ... बचाओ... !! - For Personal & Private Use Only 36 Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संतुलन बिगड़ता है, भूकंप के झटके आते हैं ? तो क्यों न हिंसा को रोका जाय ? संविधान में गो हत्या बंधी का आश्वासन भी दिया गया है । आंकड़ों में देखें तो पन्द्रह वर्ष पूर्व सभी १९९२ में २००० करोड़ विदेशी मुद्राएँ कमाने का लक्ष्य था, वर्तमान की परिस्थिति तो काफी बदल चुकी है । १,१०,००० करोड़ साफ्टवेयर से ७५००० करोड़ टेक्सटाईल से, ५०००० करोड़ ज्वेलरी से सरकार को विदेशी मुद्राएँ प्राप्त हो ही रही है, तो महज दो हजार करोड़ विदेशी मुद्राओं के लिये प्रतिवर्ष २ करोड से ज्यादा पशुओं का कत्ल क्यों ? क्यों नहीं मांस निर्यात पर तत्काल प्रतिबंध लगाकर इस महाहिंसा को रोका जाय ? सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता बताई है तो भी केन्द्र सरकार द्वारा उसकी उपेक्षा क्यों ? देश के पशुधन को बचाने वाली पांजरापोलों को सब्सीडी देने की बजाय निरीह मूक पशुओं की हिंसा करने वाले उद्योगो को २८ प्रतिशत सब्सीडी दी जाती है ? २. सेक्स एज्युकेशन :- ८-९-११ वीं कक्षा के बालकों के कोमल मन पर ब्रह्मचर्य की बातो को समझाकर चारित्र संम्पन्न बनाना चाहिये या वासना को भड़काने वाली बातें सिखानी चाहिए ? मूख जगी और नहीं मिला तो झपटेगा, वासना बेफाम बनेगी, बहिन - बेटियों के शील की रक्षा में जोखिम होगी और यौन अपराधों में भयंकर बढोतरी होगी, कृपया पुनर्विचार करें । ३. मध्याह्न भोजन में मांसाहार :- अभी कुछ समय पहले मानव संसाधन मंत्रालय देश की ९.५ लाख स्कूलों में १२ करोड़ बच्चों को अंडा मछली देने का आदेश निकाला है, जो कि देश की अहिंसा भावना को आघात करनेवाला हैं । यदि प्रोटीन ही देना है तो सरकारी गेजेट हेल्थ बुलेटिन २३ में स्पष्ट लिखा है कि मूंगफली - चने आदि कठोल में मछली - मांस - अंडे से ज्यादा प्रोटीन है । इन १२ करोड़ बालकों में ५५ प्रतिशत से अधिक तो शाकाहारी हैं, क्या यह उन्हें जबरन मांसाहारी बनाने की साजिश है ? इस देश की अहिंसा संस्कृति का यह क्रूर मजाक है । ४. महाराष्ट्र सरकार का १३-१५ लॉकमीशन :- सरकार ने चेरिटेबल ट्रस्टों का त्रीस प्रतिशत टेक्स जाहिर कर अनेक परोपकारी संस्थाओं को पंगु बनाई है । उदाहरण के तौर परनूक पशुओं के लिए निस्वार्थ भाव से काम करने वाली अनेक पांजरापोल आदि संस्थाएँ बचाओ ... बचाओ... !! - For Personal & Private Use Only WY 37 dary.org Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५ लॉ कमीशन में अनेक धार्मिक संस्थाओं के स्वातंत्र्य हनन की हमें बू आ रही है । ऐसे विचित्र निर्मयों से जनसेवा एवं प्रभु सेवा करनेवाले अनेक संस्थाओं की हालत खराब हो जाती 1 ५. संथारा को आत्महत्या :- भारतीय संस्कृति में देह की आसक्ति को तोड़ने के लिए स्वेच्छा से संथारा समाधि करने वाले लाखों साधक को चुके हैं । ऐसी पवित्र धार्मिक विधि को आत्महत्या की संज्ञा देना धार्मिक स्वातंत्र्य मे हस्तक्षेप है । ६. अन्ध श्रद्धा निर्मूलन कानून :- महाराष्ट्र में इस कानून के अन्दर कुछ ऐसी विचित्र कलमें दीखिल की जा रही है जो हर धर्म और संस्कृति प्रेमी के लिए आघातजनक है । क्या विज्ञान अधूरा नहीं है ? धर्म के हर तत्त्व को विज्ञान की कसौटी पर परखना क्या उचित है ? आत्मा परमात्मा - मोक्ष आदि शाश्वत तत्व क्या विज्ञान से पकड़े जा सकते हैं । क्या एक इंच की फुट पट्टी से अनंत आकाश को नापा जा सकता है ? क्या चम्मच से दरिया के पानी को खाली किया जा सकता है ? ७. बेकर्स एक्ट :- इस कानून के तहत दान धर्म को नाम शेष करने की साजिश चल रही है । क्या त्यागी - विरागी साधु भिक्षा के लिए लाईसेंस लेकर घूमेंगे ? ८. इन्दिरा गाँधी खुला विश्वविद्यालय ने इग्नू द्वारा मीट टेक्नोलॉजी के अन्तर्गत एक वर्षीय पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है, जिसमें पशु को मारने की विधाएँ सीखाई जाएगी और डिग्रीयाँ बाँटी जाएगी । अहिंसक देश में यदि जीवों को कैसे बचाना यह सीखाने बजाय हिंसा सीखाई जाती है तो क्या देश की गरिमा अक्षुण्ण रह पाएगी ? सोचें । ९. रात्रि में दस बजे के बाद प्रसारण मंत्री श्री पी. रंजनदास मुशी द्वारा वयस्क चलचित्रो को दिखाने की पैरवी की जा रही है । क्या यह उचित है ? क्या यह भावी पीढ़ी का बरबाद करने की तैयारी तो नहीं ? १०. नील गाय हत्या :- गुजरात सरकार ने गौ वंश हत्या प्रतिबन्ध लाकर अहिंसावादियों में खुशी की लहर पैदा की, मगर दूसरी ओर नील गाय हत्या के लाईसेंस बाँटने की बात छेड़कर भयंकर भयंकर आघात पहुँचाया है । क्या जीवों को मारना यही एक विकल्प है ? क्यों नहीं अहिंसक विकल्प अपनाया जाय ? जिससे साँप भी न मरे और लाठी भी न टूटे । ११. तीर्थों को पर्यटन स्थल में परिवर्तित करने का मंसूबा - तीर्थ पवित्रता का पूंज है, आत्मसाधना की पवित्र भूमि है । उसे पर्यटन स्थल बनाना ऐरावत हाथी को गर्दभ बचाओ ... बचाओ... !! 38 For Personal & Private Use Only Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बनाने के समान है । कहाँ कर्म क्षय का पावन स्थल तीर्थ और कहाँ मौज - शोक द्वारा कर्म बन्धन का पर्यट स्थल ? १२. भ्रूण हत्या - भ्रूण हत्या जैन, बौद्ध, हिन्दू, ईसाई, इस्लाम आदि तमाम धर्म शास्त्रों में भ्रूण हत्या को मात्र पाप ही नहीं, महापाप कहा गया है । क्यों नहीं उस पर सर्वर्था प्रतिबन्ध लगाया जाता ? ब्रह्मचर्य का प्रचार, ब्रह्मचारियों को प्रोत्साहन कई प्रश्नों का समाधान कर सकता है । स्त्री भ्रूण हत्या ने हाहाकार मचाया है । भ्रूण हत्या चाहे पुरुष की हो या स्त्री की कुदरत के साथ खिलवाड़ है, जिसे कुदरत कबी भी माफ नहीं करेगी, अभी भी समय है चेते । हमारी आप से करबद्ध विनंती है इस अपील को ध्यान में लेते हुए राष्ट्र, धर्म, समाज व संस्कृति की रक्षा करें । देश के कोने - कोने से सैंकड़ों संस्थाओं के सदाधिकारियों की ओर से यह विनम्र अपील की जा रही है । विनीत :- हर संस्था - समाज अपने लेटर पेड पर इस अपील टाईप कर निम्न पत्तों पर भिजवावें : प्रति प्रेषित: १. महामहिम राष्ट्रपति श्री अब्दुलकलाम राष्ट्रपति भवन - नई दिल्ली २. माननीय प्रधानमंत्री श्री मनमोहनसिंह, प्रधानमंत्री कार्यालय - नई दिल्ली ३. श्रीमती सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष, १०, जनपथ रोड - नई दिल्ली ४. लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा - नई दिल्ली ५. माननीय श्री लालंकृष्णजी अडवानी, प्रतिपक्ष नेता, लोकसभा - नई दिल्ली ६. राज्यपाल श्री नवलकिशोरजी शर्मा, राज्यपाल भवन . - गांधीनगर (गुजरात) ७. माननीय श्री नरेन्द्रमोदी, मुख्यमंत्री, विधानसभा भवन - गांधीनगर (गुजरात) ८. माननीय श्री विलासराव देश मुख, मुख्यमंत्री, विधान सभा भवन- मुंबई (महाराष्ट्र) बचाओ... बचाओ...!! | 39 For Personal & Private Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सर्वोत्तम साहित्य बरस रही अखियाँ... ३० २० १० जैन मनोविज्ञान... १० ऐसी लागी लगन .... २५ बचाओ-बचाओ... १० प्रकाशक :- श्री जिन गुण आराधक ट्रस्ट - मुंबई बचाओ... बचाओ... !! गुडनाईट १-२-३... गुडलाईफ... For Personal & Private Use Only 40 Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ For Personal & Private Use Only