SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ झूठी निकली ! वह लडका इतना हुशियार, स्मार्ट, स्वीट एण्ड ब्युटीफुल है कि न पूछो बात... पति वह बात याद कर आँसू से भर आता है कि यदि एक निर्जीव मशीन के हवाले मैं अपने लाल का भाग्य सौंप देता तो...?? ऐसे तो कई किस्से हैं... सोनोग्राफी को मारो ताला, भ्रूणहत्या का पाप है काला भ्रूण परीक्षण से अन्य खतरे : भ्रूण और बीजांडासन (प्लेसेंटा) का नष्ट होना, अपनेआप गर्भपात, समयपूर्व प्रसव की आशंका होना । मुंबई के श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी फार्मेसी कालेज के डॉ. आर. पी. रवीन्द्र अनुसार इसी परीक्षण से कुल्हों के खिसकने श्वास की बिमारी संभव है । देहली मिडडे दि. १७-१२-९३ अल्ट्रासाउंड से शिशु के वजन पर दुष्प्रभाव | Dr. Arti Mallik : "No longer it is believed entirely harmless". " गर्भ हरपल सजीव है... देखिये... गर्भधारण के 18वें दिन हृदय की धडकनें शुरु... प्रथम मास में आँखे, करोडरज्जु, यकृत, जठर तैयार ... बाद 15 दिन में नन्हें हाथ-पाँव तमाम अवयव... दूसरे माह में संपूर्ण हाडपिंजर और पकड़ी जा सके वैसी मस्तिष्क तरंगे... तीसरे माह मुठ्ठी बंध - खोल..., नींद लेनादि शक्य... फिर भ्रूण हत्या निष्पाप कैसे ? सोचें !! भ्रूण परीक्षण वरदान से अभिशाप बना :- गर्भजल परीक्षण (Prenatal testing) या एमिनोसिन्टेसिस गर्भगत ७२ असाध्य एवं वंशानुगत रोगों की पृष्टि के लिये वरदान था पर साथ मे लिंग पता चलने से अभिशाप हो गया । लिंग परीक्षण बाद 97% स्त्री भ्रूण की हत्या हुई है । नव भारत टाईम्स ३०६-९४ “पांच साल में मादा भ्रूण हत्या 200% वृद्धि हुई है ।" "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते” जिस देश में नारी की पूजा होती थी There is a Woman behind every Successful man महाकवि कालीदास व संत तुलसीदास, सूरदास की प्रेरणा नारी थी । बेटा जुदा होता देखा गया है, बेटी सम्हाल लेती है तो स्त्री भ्रूण हत्या क्यों ? अब जरा रुकिये...! आपने यह प्रकरण पढ़ लिया । आपकी आँखों के आगे अंधेरा- अंधेरा सा छा बचाओ... बचाओ... !! Jain Education International For Personal & Private Use Only - 32 www.jainelibrary.org
SR No.004218
Book TitleBhrun Hatya Maha Paap Bachao Bachao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmiratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy