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________________ न ! समाज का बहुमत यदि बीड़ी, भांग, हेरोईन आदि खाये - पीये या फूंके तो नियमानुसार कल्याण राज्य में वह भी शिष्टाचार ही गिना जाय ! गर्भपात करवा कर यह कितने राम, कृष्ण, बुद्ध सतीसावित्री और उन जैसी अनेक विभूतियों को धरती पर आने के पहले ही गर्भ में मौत के घाट उतार देते हैं । सोचें ! खूब सोचें ! यह कार्य सरेआम बाल हत्या ही है। ____ दुनिया के अनेक देशों में फाँसी की सजा रद्द हो गई । खूनियों को भी फाँसी पर चढ़ाया नहीं जाता है । क्योंकि जीव लेने का मनुष्य को हक ही नहीं है । गर्भपात तो फांसी से भी ज्यादा क्रूर आचरण है । फाँसी पर जिसको चढ़ाया जाता है उसकी मृत्यु तत्काल हो जाती है । जबकि गर्भपात में बच्चा घंटों तक तड़प-तड़प कर मरता है । फाँसी में प्रगट पीड़ा नहींवत् गिनी जाती है लेकिन गर्भपात में जीव को भयंकर यातना का शिकार होना पड़ता है । फाँसी किसी भयंकर गुनाह की सजा के रूप में दी जाती है । गर्भपात में बालक निर्दोष कोरा कागज सा होता है । समाज की सही सलामती के लिए गुनहगार को समाज फाँसी के मंच पर लटकाता है परन्तु गर्भपात में अपने ही मौज-शौक के खातिर, देहसुख और वासना की पुष्टि के लिए लोकशाही समाज अपनी ही सन्तान पर गर्भ में सितम गुजारता है और बालहत्या का भीषण पाप अपने सिर लेता ___ फाँसी पर चढ़ाये जाने वाले व्यक्ति ने कुछ वर्ष पृथ्वी पर बिताये होते हैं । जबकी गर्भ के बालक ने तो धरती मैया पर जीने के लिए पहली सांस भी नहीं ली होती... । गैस चेम्बर्स में हजारों यहुदियों को मारने और मरवाने वाले एडाल्फ आईकमेन और हिटलर; निर्दोष बालाओं की हत्या कर इंटरपोल के जघन्यतम अपराधियों में गिने जाने वाले डॉ. नइल और चार्ल्स शोभराज; समाज और सरकार यावत् संसार के प्रत्येक न्यायाधीश की दृष्टि से दण्डनीय गिने जाते हैं तो अपने ही मासूम बालकों पर सितम ढाने वाले दम्पति निर्दोष गिने जायेंगे ? नहीं... नहीं... कदापि नहीं..। वापिस कह देता हूं, कर्म और कुदरत उन्हें माफी नहीं बख्शेगी । क्या अहिंसा का संदेश देनेवाले गौतम बुद्ध, भगवान महावीर व अहिंसा के पूजारी महात्मा गाँधी के इस देश में भ्रूण हत्या करना कराना शोभा देता है ? कदापि नहीं । ____ सन् 1980 में राष्ट्र ने धूमधाम से बालवर्ष मनाया । उसी वर्ष में हमने कितने · निर्दोष बालकों को एबोर्शन का सुन्दर लेबल लगाकर बेरहमी से मौत के घाट उतारा...। उसकी संख्या यदि स्वास्थ्य मंत्री जनता जनार्दन के बीच रखें तो जनता की आँखे फटी बचाओ... बचाओ...!! 25 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004218
Book TitleBhrun Hatya Maha Paap Bachao Bachao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmiratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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