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________________ दबोचते हैं और नरक के पासपोर्ट की A.C.Office एबोर्शन केन्द्र बनाम हत्या केन्द्र में ले चलते हैं। ___ उस बेचारी को क्या पता कि इन शैतान के दूतों की बात सरासर सफेद झूठ है। अरे... तीसरे महिने से ही बच्चा पेट में हिलने - डुलने लगता है और जीव तो गर्भाधान के समय ही अन्दर गर्भ में अपना स्थान सम्हाल लेता है । मैथुन के समय ही पुरुष वीर्य के शुक्राणु और स्त्री बीज के मिलन के समय ही उसमें जीवन का संचार होने लगता है । जीव ही जीव को जन्म दे सकता है । मृत पदार्थ से जीवन संभव नहीं है । जनसंख्या को घटाने की यह नीच और खूनी चाल है । जिसमें जीवन को इन्कार करने के लिए यह जो झुठी अफवाहें फैलाई जाती है, उसकी जनक स्वयं सरकार है । हर व्यक्ति को काम, रोजी - रोटी देने में अशक्त यह सरकार, गलत प्रचार के माध्यम से मानव संहारक कत्लखाने चलाए, उस देश में दुष्काल पड़े, भूकम्प की आफत आ गिरे, आग लगे, मँहगाई का नंगा नाच दिखे, मनुष्य चरित्र भ्रष्ट बनें, और अन्त में यादवास्थली से देश का सत्यानाश हो जाय, तो उसमें आश्चर्य जैसी बात ही क्या ? ___गर्भ में जीव का अस्तित्व प्रथम क्षण से ही हो जाता है । जीव के बिना विकास (डेवलपमेंट) संभव ही नहीं है । क्या यही कानून है...? 'जो निरपराध को मौत दिलाये, वह भी क्या कानून है...? सन् १९७१ तक भारत में गर्भपात कानूनन अपराध गिना जाता था । Indian Penal Code की ३१२ वीं धारा के अनुसार गर्भपात करनेवाले, कराने वाले और कराने की प्रेरणा देने वालों को सजा दी जाती थी; क्योंकि कानूनन तीनों ही अपराधी गिने जाते थे । सजा के तौर पर गर्भपात के अपराधी को ३ वर्ष, १० वर्ष या कुछ मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती थी । जबकि आज उसी अहिंसा प्रधान देश में ओह ! वही अपराध, ससम्मान देखा जा रहा है... अपराधी सम्मानपात्र बनता जा रहा है । - ओह ! कहाँ गई वह न्यायपरायणता ? किस धरती की आड़ में छिप बैटी वह न्यायदेवी ? आ माता... तू बाहर आ... तेरी आज सख्त जरूरत है... वर्ना न्याय की आड़ में अन्याय का जो आतंक छाया हुआ है, उससे कौन बेखबर है...? खैर... और तो और देश की इस बदकिस्मती पर रोना आता है । देश सेवा का वह पवित्र नाम जो कभी जान को हथेली पर रखकर देश और धर्म के लिए मर बचाओ... बचाओ...!! | 21 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004218
Book TitleBhrun Hatya Maha Paap Bachao Bachao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmiratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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