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हमदर्दी के साथ आँसू की दो बूंद उत्पन्न कर दे..।
अबोल बालक करे पुकार हमें बचाओ हे किरतार...!
हमें बचाओ हे नरनार !! विशुद्ध इंडियन कल्चर को, डिस्को कल्चर बनाने पर उतारू... अहिंसामयी संस्कृति को जड़मूल से उखाड़ कर सागर के कोने में फेंकते हुए हिंसक संस्कृति की ध्वजा लहराने के उतारु... अधिकांश शराब, शबाब और कबाब में आकण्ठ डूबे हुए देश के. इन मांधाताओं को कौन समझाए कि जनाब ! आप अपनी ओर जरा गौर कीजिये... आइने में झाँक कर देखिये... आपकी देह किस मिट्टी से बनी है ? अमेरिका - इंग्लेण्ड की मिट्टी से या भारत माता के रजकणों से ?
भारत माँ के सपूत हो तो क्यों उसके प्राणों का हरण कर रहे हो ? क्यों मातृवध के पातक को अपने सिर ढो रहे हो...?
भगवान महावीर ने जिस देश को अहिंसा का दिव्य सूत्र दिया ‘सव्वेवि जीवा इच्छंति जीविउं न मरिउं" सभी जीव जीने की इच्छा करते हैं... मरने की कोई नहीं...! 'जीववहो अप्पवहो' प्राणी मात्र की हत्या अपनी ही हत्या है...!! ___ गौतम बुद्ध जैसों ने जिस देश में अहिंसा की ज्योति जगायी... गाँधी जैसों ने अहिंसा को भारतीय संस्कृति का प्राण बताया, उसी देश में आज क्या हो रहा है...? रो उठता है हृदय, कांप उठी है लेखनी..! .
हिंसा... हिंसा... हिंसा !!!
गाय की हत्या ! बन्दरों की हत्या ! कबूतरों की हत्या ! और अब तो एक भयंकर पाप शुरु हुआ है - भ्रूण हत्या !!!
आर्यावर्त की यह पवित्र धरा अनेक मर्यादाओं कुलाचार और धर्माचारों के परिपालन से गौरवान्वित और परिपूजित थी । घर - घर में सदाचार और सुसंस्कारों की अविरल स्रोतस्विनी वंश - परम्परागत बहती चली आ रही थी । अपने कुल - पुरुषों ने उन सदाचारों को यथावत् अंशमात्र भी विकृत किये बिना, हम तक पहुँचाया; यह उनका हम पर कर्ज है जिसको चुकाना अपना सर्वप्रथम कर्तव्य है । लेकिन हाय ! किस जन्म - जन्मान्तर के पाप का भयंकर उदय हुआ, और उन सदाचारों की, सुसंस्कारों की विशाल इमारत को वर्तमान के सुवंशजों (?) ने विनाश की विकराल लीला के अधीन
बचाओ... बचाओ...!!
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