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________________ सर्वांगीण मनुष्य है । अब समाज और शासन को इस ओर कदम बढ़ाने हैं.... । सुप्रीम कोर्ट (हिंदुस्तान टाईम्स १६-४-९५) के मुख्य न्यायाधीशों का कहना है कि Foetus is regarded as a humanlife from the moment of fertilization ! महात्मागांधी ने कहा था God alone can take life because he alone give it. ___ गर्भाधान के समय से ही भ्रूण को एक मानव जीवन माना जाता है । जैन धर्म के पवित्रतम कल्पसूत्र में कहा है कि जिसने पूर्व जन्म में गर्भपात कराया हो वह स्त्री मृतवत्सा, वंध्या बनती है। पाराशर स्मृति (४.२०) में कहा है कि ब्रह्महत्या से दुगुना पाप गर्भपात में है । इसका कोई प्रायश्चित नहीं । उस स्त्री को त्यागने का विधान बताया है । मनुस्मृति में ४-२०८ गर्भहत्या करनेवाला का देखा अन्न खाने का निषेध है । वृद्ध सूर्यारूण कर्मविपाक ७७-१ गर्भपाती स्त्री को अगले जन्म संतान नहीं होती । वंध्यत्व आता है । वहीं ६५९/१, ८५६/१, ९२१/१, १८५७/१, ११८७/१ समाचार पत्रों के सन्दर्भ में... नई दुनिया 5-1-1987 देश में प्रतिवर्ष ४१ लाख गर्भपात... नई दिल्ली, 4 जनवरी (वार्ता) जिस देश में किसी समय भ्रूणहत्या को हत्या से भी जघन्य अपराध माना जाता था उसी देश के शहरों में अब दीवारों पर 25 रुपये में मशीन द्वारा गर्भपात के विज्ञापन देखने को मिलते हैं। इस समय देश में लगभग 160 ऐसे केन्द्र है, जहां प्रतिवर्ष 1 हजार डाक्टर्स को सही तरीके से (इस सही तरीके को तो आपने पिछले पन्नों में पढ़ा ही है । ओह ! कितना भयंकर था वह...!) गर्भ समाप्त करने का प्रशिक्षण दिया जाता है । एक अनुमान के अनुसार देश में लगभग 41 लाख महिलाएँ (अर् !) प्रतिवर्ष गर्भपात कराती है... । सर्वोत्तम जून 1989 के अनुसार एक कटु सत्य और... 'चूंकि विविध वैज्ञानिक साधन एमनिओसेन्टेसिस, कोरिआन वायलस बायप्सी, अल्ट्रासोनोग्राफी बचाओ... बचाओ...!! | 307 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004218
Book TitleBhrun Hatya Maha Paap Bachao Bachao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmiratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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