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“एक नहीं... अनेक मर्यादाएं थी । हाय ! आज तो... आर्य देश की पवित्र मर्यादाओं को तोड़ना एक फैशन है... मोडर्न कहलाने का पासपोर्ट है...।'
ऐसी - वैसी अनेक विनाश और विप्लव को न्यौता देने वाली अभिलाषाएं आज अधिकांश महिलाओं के मनमस्तिष्क पर अपना जाल फैलाने और उन्हें अपने विकराल पंजों में जकड़ रखने में कारगर सिद्ध हुई है... ।
कोई ब्युटीक्वीन बनने चली है अमेरिका, तो कोई मिसयुनिवर्स, मिसफ्रांस, मिसयुरोप आदि सौन्दर्य प्रदर्शन प्रतियोगिताओं में भाग लेने हेतु विदेशों में जाने के लिए टिकिट एवं वीसा कार्ड निकलवा रही है... और वहाँ पहुँच कर अपने बाप के सामने भी पहिनने में शर्म आए ऐसे स्वीमिंग सूटों में... अपूर्व बेशर्मी के साथ हजारों कामुक आँखों के सामने विभिन्न पोजें खिंचवा रही है।
तो कई महिलाएँ सिने - अभिनेत्रियाँ बनने चली है । वे अभिनेत्रियां जिनके पास चरित्र नाम की कोई चीज है भी या नहीं ? या स्वप्न में भी कभी एकाधबार चरित्रवान बनने के विषय में उन्होंने सोचा भी होगा ? इस बात का भी पूरा सबूत (Evidence) मिलना असंभव सा है... । सेडीज्म, सेक्सुअल एसोल्ट, रेप, मर्डर, उत्पीड़न, बलात्कार जैसी भीषण सामाजिक विभीषिकाओं को उत्पन्नकरने में प्रमुखतम भूमिका निभाने वाले अडल्ट श्लेशर - पोर्नोग्राफिक्स - ब्ल्यु फिल्म जैसे अंग प्रदर्शन की होड़ में लज्जा - मान मर्यादा का खात्मा बुलवाकर, सभ्य समाज और आर्य संस्कृति के लिये जो सदैव अभिशाप और खतरा रूप बनी हुई है; ऐसों को सीता मानकर उनका अन्धानुकरण करने के लिए दौड़ पड़ी है ।... और एक बात यहाँ स्पष्ट हो जाय कि अनुकरण के लिये जिस सीता को आजकल की सतियों ने चुना है वह है टी.वी. (टी.बी. ?) में अभिनय करने वाली न कि श्री राम की पत्नी महासती सीताजी...! ठीक उसी तरह; लडके को पूछा गया - 'राम कौन है ?' जवाब मिला 'अरूण गोविल'.... है न टी. वी. की टी. बी. का कमाल !
इस अन्धानुकरण के नमूने चाहिये तो आपको लंदन - अमेरिका तक दौड़ लगाने की जरूरत नहीं... थोड़ी सी ईधर - उधर नजर घुमाइये तो देखिये घर में... बाजार में...
और मन्दिरों तक में; सही अर्थ में बुद्धिमानों के लिये हास्योत्पादक अनुकरण की विचित्र अदाओं और वेष भूषाओं में सुसज्ज नमूने ही नमूने... नजर आयेंगे... ।
अपनी बुद्धि का दिवाला निकालकर, विवेक को ताक पर रख कर, पवित्र मर्यादा
बचाओ... बचाओ...!!
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