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एटेन्शन प्लीज...!!! बचाओ... ब... चा... ओ !
इस हृदय विदारक आर्त्तचीख की गूंज सृष्टि के कण - कण तक पहुंच चुकी है... ।
मगर... यह चीन किस आर्त्त महिला की है...? किस इज्जतदार नारी की है...? इस तथ्य की खोजबीन करना आज तक किसी ने आवश्यक नहीं समझा... ।
यों तो इस दर्दभरी चीख को सही ढंग से सुनने की कोशिश ही भला कितनों ने की ? यह भी एक प्रश्न है, और यदि कोशिश कर सुनी होती तो अवश्य कोई न कोई माँ का लाल जाग ही जाता अपनी कुम्भकर्णी निद्रा को तज कर ! ___मगर अफसोस... ! किसी ने उस अबला की चीख सुनी नहीं और एक नहीं हजारों कलयुगी दुष्ट दुःशासन जी भरकर उसका चीरहरण करते रहे... और करते ही रहे... । यह नशस और शर्मनाक अपकृत्य अनवरत रूप से चलता रहा घर में... भरे बाजार में... अंधियारी गलियों में... होटलों में... रेस्ट्रोराओं में और रूपहले पर्दो में... यह सिलसिला कब और कैसे, किसके हाथ बंद होगा ? उफ्... | कौन जाने...! ___हां, तो चीख किसी ऐरी - गेरी महिला की नहीं... मगर सबल होते हुए भी जिसको आज बलजबरन अबला बना दिया गया है... उस संस्कृति मैया की आर्त पुकार है। जी हाँ, और यह वही संस्कृति मैया है जिसकी रक्षा के लिए हजारों ही नहीं... लाखों ही नहीं... अनगिनत भारत माँ के सपूतों ने... युवकों ने पूर्ण यौवन में अपनी प्राण प्यारी जान कुर्बानी कर दी । खून की नदियों में बह जाना पसंद किया मगर माँ संस्कृति का अंशमात्र भी अपमान नहीं होने दिया; और वही संस्कृति मैया आज सिसक-सिसक कर रो रही है... बचाओ... बचाओ ! यह आर्त चीख उसके कंठ से अनवरत प्रवाहित हो रही है... आखिर क्यों ? क्यों कि दुष्टों के हाथ से उसका चीरहरण बेरोकटोक होता जा रहा है... । उसका पवित्र चीर है 'मर्यादा'... !! · · दुःख और दर्द तो इस बात का है कि महासती द्रौपदी के चीरहरण करने वाले दुःशासन पर थूकने वाली... टी.वी. के महाभारत सीरियल को देखकर एक नहीं अनेक बार दुःशासन को खरी - खोटी सुनानेवाली आज की शिक्षित (?) मोडर्न महिला संस्कृति मैया के चीरहरण जैसे अपमान जनक घिनौने कृत्य में एक अंश भी पीछे रहना नहीं चाहती।
बचाओ... बचाओ...!!
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