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________________ जबर - जान वाले जीव घंटों तक मृत्यु को कबूल नहीं होते । लेकिन ऑपरेशन - थियेटर में दूसरा केस हाथ में लेना है, इसलिये बाल्टी में उस जिंदे बालक पर तीक्ष्ण हथियार से छेद किये जाते हैं या जोरदार फटका लगाकर उसका कचूमर बना दिया जाता है । यदि कातिल, खूनी, खूख्वार डाकू, आदतन नर-हत्यारे ऐसे एक-दो दिल दहलाने वाले ऑपरेशन देख लें तो कदाचित् वे अपना धंधा छोड़कर साधु बन जाय या ऐसे काम करने वालों का कहीं खून ही कर बैठें । (३) Dilatotion and Curettage (D&C) विधि : यह भी प्रथम विधि जैसी ही होती है । इस विधि में चाकू एक तेज धारवाले लूप की शक्ल का होता है जो गर्भाशय में बच्चे को काट डालता है । फिर यंत्र से बहार निकालते है। जहरी क्षार वाली पद्धति : एक लम्बी मोटी सी सूई गर्भाशय में भोंक दी जाती है । उसमें पिचकारी की सहायता से क्षार का द्रवण छोड़ दिया जाता है । चारों ओर द्रावण छोड़ दिया जाता है । चारों ओर द्रावण से घिरा हुआ वह बालक, क्षार का कुछ अंश निगल जाता है । और कुछ ही क्षणों में बालक को गर्भाशय में हिचकी आती है । जहर खाये व्यक्ति की तरह गर्भाशय में वह तड़फने लगता है । क्षार की दाहकता के कारण उसकी चमड़ी श्याम पड़ जाती है । अंत में घुट - घुट कर वह बच्चा गर्भ में ही मर जाता है । फिर उसको बाहर निकाल लिया जाता है । बहुतबार जल्दबाजी में निकाल लेने पर वह बच्चा कुछ जिन्दा होता है । उस समय उसकी चमड़ी बादलनुमा होती है । ऐसे गर्भपात में यदि गर्भ जुड़वां हो तो एक मरा हुआ और दूसरा जिंदा आता है लेकिन, उसको भी तुरन्त अन्य घातक उपायों से मौत के घाट उतार दिया जाता है । ऐसा भी होता है !: एक ऑपरेशन में सात महिने का जिंदा बालक निकला। 'मुझे भी इस दुनियां में जीने का हक है' यह बताने के लिए वह जोर - जोर से रोने लगा । डॉक्टर ने उसे भंगी को देने के लिए आया को सौंपा । जीवित बालक को दफन करना भंगी ने अस्वीकार किया । आया और भंगी के बीच झगड़ा हुआ । अंत में आया ने यह कहते हुए उस बच्चे को जमीन पर दे मारा ‘ले यह मरा हुआ' । जमीन पर वह बच्चा तड़प - तड़प कर मर गया और उसके बाद ही भंगी ने उस मृत बालक के शव को स्वीकार किया । __क्या यह क्रूर हत्या नहीं ? अरे आया...! क्या मिला तुझे... उस बेचारे के जीवन को कुचल कर...? मगर अफसोस ! यह विचार उस निष्ठुर हत्यारिणी आया को कहाँ ? बचाओ... बचाओ...!! | 18 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004218
Book TitleBhrun Hatya Maha Paap Bachao Bachao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmiratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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