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________________ पहुँचा देते हैं। ऐसे केसों में लम्बे समय तक खून बहता है, अन्दर घाव पड़ जाते हैं और जीवन पर्यन्त प्रदर रोग हो जाता है । जातीय आवेग ठंडा पड़ जाता है, परिणाम... दाम्पत्य जीवन दुःखद बन जाता है और किसी - किसी केस में ऐसी स्त्री पुनःमाता भी नहीं बन पाती। (१) क्रूर हिंसक भ्रूण हत्या की अन्य विधियाँ __ चुसन पद्धति Suction Aspiration : गर्भाशय में एक पोली नलिका के पर्यंत भाग को प्रवेश करा दिया जाता है । उस नलिका के साथ एक पम्प जुड़ा हुआ होता है एवं दूसरे सिरे पर एक बड़ी बोतल जुड़ी हुई रहती है । नलिका का एक सिरा गर्भाशय में फिट करने के बाद पम्प को दबाते हैं और छोड़ते हैं जिससे गर्भ के अन्दर रहा हुआ बच्चा पछाड़ खाता है । कसाई बकरे को एक झटके में हलाल करता है... लेकिन इस पद्धति से तो बच्चे का कभी यह तो कभी वह अंग झपट में आ जाता है । आंखों की पुतलियां बाहर निकल आती है । सक्शन (बाहर खींचने की क्रिया) के कारण छाती, पेट सिर के विभिन्न कोमल अवयव कट-फट कर बिखरे हुए बाहर आते हैं और यदि कोई जीव ज्यादा मजबूत और बलिष्ठ हो तो पूरा जिंदा का जिंदा सांगोपांग बाहर आ जाता है और अंत में बंद बोतल में जोर से पछाड़ खाकर उसका चूरा - चूरा हो जाता है । कितनी ही देर तक बालक उस बोतल में तड़फता रहता है और फिर श्वास के स्ध जाने से अंत में ठंडा पड़ जाता है । इस पद्धति में कभी पूरा गर्भाशय भी खींचा हुआ बाहर आ जाता है । उन स्त्रियों को जिंदगी भर अनेक तकलीफों का सामना करना पड़ता है । कमर में हमेशा के लिये दर्द लागू पड़ जाता है। फिर पीछे का गर्भाशय प्रतिक्रिया (React) करता है और रक्तस्त्राव के कारण स्त्री एकदम कमजोर बन जाती है। (२) हिस्टरोटोमी (छोटा सीजेरियन) : Dilatotion and Evacuation फैलाव व निष्कासन विधि - पेडू . को चीरकर सगर्भा स्त्री की आंतों को बाहर निकाल, गर्भाशय को खोलकर जीवित बालक को बाहर निकाल दिया जाता है । फिर उसको बाल्टी में फेंक देना पड़ता है। हाथ - पैर हिलाता, तड़फता, अपनी नन्हीं सी रुलाई से पत्थर दिल को मोम की तरह पिघलाने वाला; लेकिन इन सफेद - नकाबपोश और हत्यारिणी माँ के पेट का पानी तक न हिला सकने वाला वह बालक बाल्टी में ही मर जाता है । उसमें भी कितने ही बचाओ... बचाओ...!! | 17 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004218
Book TitleBhrun Hatya Maha Paap Bachao Bachao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmiratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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