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पढिये...
पहला सप्ताह :- गर्भधारण के पहले सप्ताह में माता के गर्भाशय में एक नया जीव पैदा होकर विकसित होने लगता है ।
दूसरा सप्ताह :- माता द्वारा किये गये भोजन से नये जीव का पालन पोषण । 3. तीसरा सप्ताह :- आँखे, रीढ़ मस्तिष्क, फेफड़े, पेट, जिगर, गुर्दे बनने लगते
हैं, दिल की धडकनें शुरु होने लगती हैं । 4. चौथा सप्ताह :- सिर बनने लगता है रीढ़ की पूरी बनावट सुषुम्ना बनकर पूरी
हो जाती है हाथ - पैर बनने लगते हैं । दिल की धड़कने जारी... 5. पाँचवा सप्ताह :- छाती और पेट तैयार होकर एक दूसरे से अलग हो जाते
हैं । सिर पर आँखे, आँखों पर लेन्स और दृष्टिपटल (Retina) आ जाती है । कान बनकर तैयार हो जाते हैं। हाथ और पैरों पर अंगुलियाँ फूटने लगती
है।
6.
छठे और सातवें सप्ताह :- बच्चे के सब अंग बनकर तैयार हो जाते हैं, सिर की पूरी बनावट चेहरा, मुँह एवं जीभ बनकर तैयार हो जाती है, मस्तिष्क पूरी . तरह से विकसित हो जाता है, गुदगुदाने से बच्चे में प्रतिक्रिया.....
आठवाँ सप्ताह :- बच्चे के हाथ एवं पैरों पर संपूर्ण ऊँगुलियाँ विकसित.... अंगूठे की छाप वैसी ही होती है कि जैसी उसकी अस्सी वर्ष की उम्र में होगी । अब उसकी मस्तिष्क तरंगे डिटेक्ट की जा सकती है । वस्तु पकड़ने के लिये हाथ सक्षम...
ग्यारहवाँ और बारहवाँ सप्ताह :- शरीर के सभी तंत्र चालू... नसें और माँसपेशियों में सामंजस्य स्थापित होता हैं । हाथ और पैर हिलते - डुलते हैं । उंगलियों पर नाखून उगने लगते हैं । बच्चे का वजन अब एक औंस हो जाता है । अब वह पीड़ा का अनुभव कर सकता है । तीन महिने में बच्चे का गठन हो जाता हैं । अब उसे केवल बढ़ने की आवश्यकता होती है. परंतु अफसोस ! उसकी माँ किसी डॉक्टर की सलाह लेती
बचाओ... बचाओ...!!
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