Book Title: Bhrun Hatya Maha Paap Bachao Bachao
Author(s): Rashmiratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 28
________________ तड़फा-तड़फा कर मार रहे हैं । सरकारी समर्थन के साथ कलियुग के अन्तिम चरण की यह बलिहारी है । बस अब तो इतना ही हो सकता है कि जिसकी आत्मा यह बात न स्वीकारे वे सज्जन... सन्नारियाँ अपने आपको इस गड़रिया प्रवाह से दूर हटा लें। (जनसत्ता परिवार पूर्ति के आधार पर साभार) ध साइलेन्ट स्क्रीम गर्भ बोला... ऑय माँ ! मैं मर गया... । समकालीन 17 जून 85 में से दिल दहलाने वाला लेख यहां प्रस्तुत है । तेज धड़कनों से युक्त दिल और दिमाग को कुछ देर विश्राम देकर नार्मल होने दीजिए और पुनः ठीक पहिले की तरह मन को और मजबूत बना लीजिए... अब आगे पढ़िये । ___ सन्डे ऑबजर्वर के कल के अंक में धीरेन भगत की एबोर्शन को योग्य परिप्रेक्ष्य में रखने वाली 'ध सायलेंट स्क्रीम' नाम की डॉक्युमेन्टरी फिल्म की लिखित समालोचना, समाज और शासकों की नींद उड़ाने वाली बननी चाहिए । 'गर्भपात 70 लपयों में' ऐसे अनगिनत विज्ञापन हम उपनगरों की लोकल ट्रेनों में बहुत बार देख चुक हैं और देखते आये हैं । शहर के शिक्षितों ने फेमिली प्लानिंग को अपना लिया है । देश में दिन - दूनी रात चौगुनी बढ़ती जनसंख्या पर रोक लगाना जरूरी है। इसलिए अपने शासकों ने कुटुम्ब नियोजन और एबोर्शन के प्रति अतिशय उदारता दिखाई है । टी.वी. या अखबारों के माध्यम से अपने बाल-बच्चे प्रतिदिन निरोध के विज्ञापन पढ़ते रहते हैं । 'सरल, सुरक्षित और सस्ता एबोर्शन करके आपको दो घंटों में ही घर भेज देंगे' आदि विज्ञापन सरकारी क्लीनिके करती है । गैर सरकारी, प्राईवेट क्लीनिकों का पार नहीं हैं । ऐसा प्रचार किया जाता है कि एबोर्शन तो कुछ नहीं... बच्चों का खेल है । एक छोटा सा नाजुक सक्शन पंप (नालिका में से हवा निकाल कर उसके माध्यम से किसी चीज को चूस कर खींचकर बाहर निकालने का साधन) द्वारा भ्रूण या कच्चे गर्भ को अत्यल्प समय में डॉक्टर खींच निकालता है, मानो सिर पर से रेंगती जूं को निकाल फेंकी, थोड़ी सी भी काट-कूट नहीं । ऐसी बातें... छोटे बच्चों को समझाने - फूसलाने जैसी... लोगों के बीच फैला दी गई है। यहाँ पर विकासशील देश के अर्थतंत्र या एबोर्शन का विरोध करने का इरादा (मकसद) कतई नहीं है । धीरेन भगत ने न्यूयार्क बचाओ... बचाओ...!! | 27 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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