Book Title: Bhrun Hatya Maha Paap Bachao Bachao
Author(s): Rashmiratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 27
________________ की - फटी रह जायें । और तब देश एवं सरकार की बाल - प्रेम की बातें और जीवदया की सच्चाई का पता चले । इस दुनिया में तीन व्यक्तियों ने गर्भपात के खिलाफ अपनी आवाज बुलुन्द की है । स्वामी विवेकानन्द, महात्मा गांधी और ईसाई (Christian) धर्म के वेटिकन सिटी के पूजनीय गुरु पोप ! अन्य कितने ही लोगों ने मेरे जैसे अपने विचारों को निडरता से पेश करने का प्रयास किया होगा... लेकिन अफसोस ! भौतिकवाद के इस शोर-शराबे में हमारी तूती किसको सुनाई दे ? मगर याद रखो ! ईश्वरीय न्याय जैसी कोई चीज इस दुनिया में होगी, वहाँ हमारा विरोध अवश्य नोट किया जायेगा । ईश्वरीय शिकायत पुस्तिका (Complaint Book) में 'बचाओ...बचाओ' भ्रूण हत्या महापाप की सभी अगत्यपूर्ण बातें लिखी जा चुकी है । यह हमारा अपना विश्वास है । - 1 और याद रखो...! गर्भाधान के समय ही व्यक्ति की ऊँचाई, बौद्धिक सत्र ( I. Q. ) चलने की रीत - भांत, उंगलियों के पोरों के निशान ( वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है कि हर एक व्यक्ति का निशान अलग होता है एकाध अपवाद को छोड़कर) रक्त की जाति (Blood Group. A. B. or O ) आदि बहुत कुछ बातें, विशेषताएँ निश्चित हो जाती है । गर्भ में रहा हुआ शिशु, संपूर्ण व्यक्तित्व का धनी है । फिर बाद की उम्र तो मात्र उसी व्यक्तित्व के विकास में हाथ बँटाती है । यदि गर्भपात कायदा और कानून; इंसाफ और इन्सानियत के नाते निर्दोष माना जाय तब तो... इस दुनिया में झूठ, चोरी, डकैती, बलात्कार, अनीति, अत्याचार, सब कुछ आगे बढ़कर कानूनी कहलायेंगे । "जिसकी लाठी उसकी भैंस, यह तो जंगल का कायदा है । सभ्य समाज यदि उसको स्वीकारें तो वह दिन दूर नहीं जब डार्विन की सृष्टि वापस आ धमकेगी । फर्क इतना ही है बस इसमें पूंछ बिना के सभी बंदर, कोई पाप नहीं, कोई धर्म नहीं, 'पुच्छेन हीना: भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति' ! (कवि भर्तृहरि) । ... और फिर देखो समाज की यह ब्रेकलेस एम्पाला किस अवनति के गर्त में जा गिरती है ? कल्पना से ही कलेजा कांप उठता है और धड़कनें थम सी जाती है । डॉक्टरों के पिता हिपोक्रेटिक की शपथविधि में स्पष्ट बताया गया है कि 'मैं - बना हूँ जीवन बचाने के लिए, जीवन का नाश करने के लिए कतई नहीं ।' और आज के डॉक्टर्स नाशवान जीवन में अपने स्वार्थी सुखचैन के खातिर अपनी प्रतिज्ञा को तोड़कर हजारों जीवों के जीवन जीने का हक छीन रहे हैं... बचाओ ... बचाओ... !! Jain Education International For Personal & Private Use Only 26 www.jainelibrary.org

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