Book Title: Bhrun Hatya Maha Paap Bachao Bachao
Author(s): Rashmiratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 29
________________ के गायनेकोलोजिस्ट डॉक्टर बर्नाड नेथेनसन की डाक्युमेंटरी फिल्म 'ध सायलेन्ट स्क्रीम' (गूंगी चीख या शांत कोलाहल) का जो वर्णन किया है वह सभी को विचारमग्न करने वाला है, इतना यहाँ पर कहना हमें उचित लगता है। 'एबोर्शन क्या हत्या है ?' ऐसा बुनियादी प्रश्न भगत ने उपस्थित किया । धीरेन भगत को डॉ. नेथेनसन ने अभी अभी पेरिस में कहा कि 'ध साइलेन्ट स्क्रीम' नामकी यह फिल्म मैं भारत में दिखाने के लिए तैयार हूँ । अल्ट्रासाउन्ड टेकनिक के सहारे नेथेनसन ने इस फिल्म में बारह सप्ताह का गर्भ... एबोर्शन के वक्त किस ढंग से रहता है ? उसकी स्पष्ट विज्युअल अभिव्यक्ति की है । अमरीका और यूरोप में इस फिल्म के दर्शकों ने एबोर्शन के कायदे कानूनों को बदलने के लिए जबरदस्त आन्दोलन छेड़ा है। __ अभी तक तो तबीबी शास्त्र (विज्ञान) १६ सप्ताह के भ्रूण को टॉन्सील, फुसी, तिल - मस्सा या नाखून से कुछ विशेष नहीं मानता था । लेकिन उसी में जिन्दे मनुष्य की जिन्दी जान है ऐसा 'ध साइलेंट स्क्रीम' ने प्रमाण सहित सिद्ध कर दिखाया है । दर्शकों ने टी.वी. पर देखा की एबोर्शन के पहिले १६ सप्ताह का भ्रूण, पूर्ण रुपेण मनुष्य है । डाक्टर लोग वैज्ञानिक साधनों के द्वारा बालक के आस-पास के आवरण को पंक्चर करते हैं, गर्भ के टुकड़े कर देते हैं मगर खोपड़ी वाला वह बड़ा हिस्सा बहुत बार समस्याएं खड़ी कर देता है । डॉक्टर उस भ्रूण के तैर रहे मस्तक को फोरसेप की सहायता से जोर से दबाकर तोड़ डालते हैं और अन्त में उस कोमल मस्तक के टुकड़े करके सक्शन पंप द्वारा शोषण कर, चूस कर ही बाहर निकाल पाते हैं। जिसका पैर इसमें फंस गया हो, ऐसी लाखों अविवाहित तरुणियों के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं होता । डॉक्टर नेथेनसन की फिल्म की पराकाष्ठा तो तब आती है जब वह कच्चा बालक या भ्रूण अपनी हत्या करने के लिए निकट आ रहे उन औजारों के प्रति अपनी नाजुक प्रतिक्रिया (रीएक्शन) दिखाता है । सर जगदीशचन्द्र बोस ने कहा था - ‘पत्तों को न तोड़ो उसमें भी जीव है, हर्ष और शोक की संवेदनाएँ हैं ।' सर जगदीशचन्द्र ने यदि 'ध साइलेन्ट स्क्रीम' देख ली होती तो सच, वे बेहोश ही हो जाते । सक्शन पम्प भ्रूण के नजदीक जाता है तब बालक के हृदय की धड़कने जो कि प्रति मिनिट 140 होती है, जैसे ही पंप उसके ज्यादा नजदीक पहुंचता है तब उस मासूम कच्चे बालक के हृदय की धड़कने बढकर प्रति मिनिट 200 तक हो जाती है। वह बेचारा समझता है कि मेरे पर घातक आक्रमण हो रहा है । अपने जीवन दीप को बचाओ... बचाओ...!! | 287 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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