Book Title: Bhrun Hatya Maha Paap Bachao Bachao
Author(s): Rashmiratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 11
________________ सिंह की दहाड़ कर बढ़े चलो... बढ़े चलो...! ... वरन् भूखे भेड़िये की तरह आज के ये फैशन परस्त लोग, माँ संस्कृति की लाज भरे बाजार में लूटने पर उतारू है... यह बात सर्वविदित है ।। 'हार मानना' यह मानव मन की सबसे बड़ी कमजोरी है... उसको दूर रखो... उससे कोसों दूर रहो...! जर्मनी के साथ जूझते हुए इंग्लैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने 'वी' का एक छोटा - सा नारा दिया था... वी - फोर - विक्ट्री ...!! और विक्ट्री यानि जीत के लिये, हमको पलभर में सृष्टि का संहार करने में सक्षम एटम - बॉम्बों की या स्टारवार-लेसरवार-केमीकल जीओफिजिकल वार जैसी तैयारियां नहीं करनी है । हमें तो बस, एक मनोबल खड़ा करना है, निश्चयमांत्र करना है। मर जायेंगे मिट जायेंगे हो जायेंगे शहीद न होने देंगे इन पापों को । __ यही हमारी जीत... मैया संस्कृति की प्यारी सन्तानों ! जिन कतिपय मर्यादाओं को बचाने का यहाँ उल्लेख किया जा रहा है, उन्हें बचाना अपने बायें हाथ का खेल है... बहुत सरल है । घबराइये मत, पैसा - टका खर्चने का नामोनिशान नहीं... भूखे रहने की बात नहीं... बस सिर्फ... एक निश्चय मात्र करना है कि मैं हर हालत में इन मर्यादाओं का पालन करूँगी और करवाऊँगी । एक मर्यादा है... 'मासिक - धर्म का पालन !' ___ दूसरी मर्यादा है... गर्भपात का भयंकर पाप न करना न करवाना । विभिन्न भाषाओं में मासिक - धर्म के विभिन्न पर्याय है । अंग्रेजी में M.C. (मंथली - कोर्स) मेन्स्टुयल ब्लीडिंग; हिन्दी तथा गुजराती में - मासिक धर्म; - मारवाडी में - अटकाव, और संस्कृत में - ऋतुधर्म पालन । मासिक धर्म वाली स्त्री को ऋतुमती, रजस्वला, पुष्पिता, सपुष्पा आदि कहते हैं । गर्भपात का दूसरा नाम है, विश्व का सबसे बड़ा कलंक...! - सभ्य समाज का असभ्य अभिशाप...! बचाओ... बचाओ...!! | 107 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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