Book Title: Bhrun Hatya Maha Paap Bachao Bachao
Author(s): Rashmiratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 17
________________ गर्भपात की कितनी ही विज्ञान सम्मत डॉक्टरी पद्धतियाँ, जो भारत में प्रचलित है, उन्हीं की ओर अपन जरा गौर करे 'मन को मजबूत बना लो... कलेजे पर भारी भरकम पत्थर रख लो और मन की आँखों से सम्पूर्ण बातें देखते चलो...! अब लो ! यह आ गया !! एबोर्शन केन्द्र !!! ( आपके मन की मारुति अब तक तो सर्राटे से पन्नों की हाईवे पर दौड़ी चली जा रही थी... अब आगे चंबल की घाटी के खतरनाक मोड़ हैं... । अभी कुछ देर पहिले बोर्ड पढ़ चुके हैं, ब्रेक और गीयर को संभाल लीजिये...। अब चलिये संभल-संभल कर... यह है एबोर्शन केन्द्र...। यहाँ हत्या - एबोर्शन करने कराने वालों को बाकायदा (चौंकिये मत) ईनाम दिया जाता है और हत्यारों को पकड़ने वालों को गोली नहीं तो कम से कम गाली ... । ये हैं Latest News...) डी. ओन्ड. सी ऑपरेशन : डाक्टरी साधनों के द्वारा सगर्भा स्त्री के गर्भाशय का मुख विस्तृत किया ता है । फिर उस साधन के बीच एक चाकू या कैंची जैसे हथियार को अन्दर डालकर जीवित बच्चे को उसके द्वारा छिन्न- भिन्न किया जाता है। गर्भ में तड़फ - तड़फ कर बेचारा बच्चा रक्त से लथ-पथ बन, असह्य वेदना को भोग कर मृत्यु की शरण हो जाता है । फिर एक चम्मच जैसे साधन की मदद से उस बच्चे के टुकड़े - टुकड़े निकाल लिये जाते हैं । कुचला हुआ सिर, लहुलुहान आंते, बाहर निकली हुई आंखे, दुनिया में जिसने पहली साँस तक न ली ऐसे फेंफड़े, धड़कता नन्हा सा हृदय... हाथ... पाँव सबकुछ जल्दी-जल्दी बाल्टी में कूड़े करकट की तरह डॉक्टर को फेंक देना पड़ता है । - - क्योंकि बाहर गर्भपात की उम्मीदवार बहिनों की लंबी कतार खड़ी है । इसलिये डॉक्टर को सब कुछ जल्दी जल्दी निपटाना पड़ता है । बहुत बार बच्चे को तड़फ कर मरने का समय भी नहीं दिया जाता । धुप्प अंधेरे में तीर चलाने जैसा यह ऑपरेशन है । हथियार गर्भ में रहे हुए बालक के सिर, छाती, पेट या हृदय में न घुसकर हाथ, पैर या जांघ में घुसे तो बच्चा जल्दी मरता नहीं । बचाओ ... बचाओ... !! सत्तर, अस्सी या नब्बे वर्ष तक जीने के योग्य जिस काया की कुदरत ने रचना की हो, उसकी जिजीविषा अत्यन्त प्रबल होती है । इस अति जल्दबाजी में गर्भ से निकाल फेंके हुए धड़कन युक्त हृदय को देखकर डॉक्टर्स, नर्से और सफाई कर्मचारी तक अपनी आँखें फेर लेते हैं । कर ये हथियार भी जल्दबाजी में, कभी अनभ्यस्त हाथों से, गर्भाशय को भी हानि Jain Education International For Personal & Private Use Only 16 www.jainelibrary.org

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