Book Title: Bhrun Hatya Maha Paap Bachao Bachao
Author(s): Rashmiratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 15
________________ प्रतिबंध लग चुके है... लग रहे हैं । मैया की जोड़ी और न कोई ... ! भारतीय वसुंधरा पर माँ की महिमा थी । 'माँ तो माँ और सभी जंगल ही हवा ।' गुजराती में कहावत है 'छोरू कछोरू थाय पण मावतर कमावतर न थाय' ( बच्चा माँ - बाप को दिल से निकाल सकता है लेकिन माँ - बाप का दिल बच्चे को नहीं भूलता) इस प्रकार के अनेक स्लोगन लोगों को मुंह जबानी याद थे । लेकिन इक्कीसवीं सदी में जाने के लिये बावली बनी स्त्रियों ने उन सभी कहावतों के हार्द का सत्यानाश ही कर डाला । क्या पता इन स्त्रियों के खून में ऐसा कौन-सा जुनून चढ़ बैठा है कि बात कुछ समझ ही नहीं आती ! उसने घर में खटमल मच्छर और जूं को मारने का पाप तो कितने ही वर्षों से शुरू कर रखा है। अब तो और भी आगे बढ़ गयी और लिखते हाथ कांपने लगता है, अरे ! अपने ही पेट के बच्चों को मरवाना प्रारम्भ कर दिया है । - गु. स. ३१ जुलाई सारांश जिन्दे भेड़ - बकरों को काटने वाले देवनार के कत्लखाने ( बूचड़खाने ) से भी भयंकर भ्रूण - हत्या का यह कत्लखाना ( एबोर्शन केन्द्र) हर ग्राम और हर शहर में लग चुका है। भरे बाजार में उसके बोर्ड लटकते हैं । ट्रेन और दैनिक पत्रों में उसके Advertisements छपते हैं । प्रतिवर्ष इस कत्लखाने में सत्तावन लाख बालकों की क्रूर हत्या कर दी जाती है । बालक के शरीर के टुकड़े टुकड़े करके गटर में बहा दिये जाते हैं । है कोई माई का लाल ? जो अपना सर ऊँचा कर इस हत्या को हत्या कह सके ? इन सफेद नकाबपोशों को हत्यारा कह कर पुकार सके ?? उफ् ! अब तो रक्षक ही भक्षक बने हुए । माता ही हत्यारिणी... खूनी ! जिस मेडिकल नॉलेज का उपयोग मानव कल्याण और मात्र मानव रक्षण के लिये उपयोग करने की शपथ डॉक्टर्स लेते हैं वे ही आज असहाय निरीह बालकों की हत्या करके इस सफेद खून को एबोर्शन का सुन्दर लेबल लगाकर अपनी परोपकारिणी विद्या पर अमिट कालिख पोत रहे हैं । आर्य देश की सन्नारियाँ यदि इस भयंकर पाप से निवृत्त नहीं होगी तो इसका एक्शन भयंकर आ सकता है । धर्मशास्त्रों ने पंचेन्द्रिय-वध को नरकगति का कारण कहा है। गर्भहत्या नरकगति का पासपोर्ट है । पासपोर्ट लीजिए और नरक के बचाओ... बचाओ... !! Jain Education International For Personal & Private Use Only 14 www.jainelibrary.org

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