Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 4
________________ (२) को सदा गत चार तो ॥ उंचा कों नीचो करे, नीच नरने देवे पद सारे तो॥ विचित्र गतीने एहनी, सुरनर गिणतां न पामीयां पार तो ॥ सु. णजो चरित्र सुहामणो ॥ यह अांकडी ॥१॥ बडा २ को संतापयिा, कित्ताक का नाम करूं उचारतो ॥ श्री श्रादिश्वर जाणीये, कुद्या सही प्रनू जी मास बार तो ॥ पार्श्वजी पाउस पीडा सही, महावीरजी बारा वर्ष पखवार तो॥ अतुल्य परिसह सहन कर्या, ते होता प्रनू जग शिरदार तो ॥ सु०॥ २॥ चक्री चौथा जाणी यें, महास्वरूप नाम सनत कुमार तो ॥ विणमें सरीर विणसी गयो, ते सुधौँ सात-सो वर्ष मकार तो ॥ राम लक्ष्मणजी वन वस्या, कृष्णजीकी जली नगरी दुवार तो ॥ पांडव हार्या द्रोपदी, तेरा वर्ष गुप्त १ अच्छा. २ वृष्टी.

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