Book Title: Bhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Author(s): Muniratnasuri, Vijaykumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala

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Page 224
________________ श्रीअमम जिन // 212 // चरित्रम् स्वयंवरे श्रीदस्यागमनं वसु देवस्य दौत्यकर्म * गणैः समम् // 1 // प्रापल्लक्ष्मीरमणाख्यामुद्यानं तत्प्रभृत्यदः / श्रुत्वेति तत्र चैत्येषु जिनमूर्तीः स आर्चयत् // 2 // तदा च तत्रावाता-* रीन्नभसो रभसोद्धतः / स्वप्रभान्यत्कृतादित्यप्रभाप्राग्भारडम्बरः // 3 // ध्वजलक्ष्यमिषाल्लक्ष्यनिजरो रत्नभासुरः / रत्नाचल इवोद्दामदेवशक्त्या चलाचलः // 4 // सुरीगीतस्फीतबंदितूर्यसांराविणाकुलः / विमानोऽतिमहान् विद्याधरैरुद्ग्रीवमीक्षितः // 5 // त्रिभिर्वि // | तं दृष्ट्वा तस्यानासीरमुरं शौरिः कुतुहलात् / अप्राक्षीत् कः समेत्यस्मिन् महद्धिर्नाकिनांवरः // 6 // सोऽप्याख्यदुत्तराधीशः कारणान्महतो दिवः / उत्तरत्येप भूलोकमस्तोकसुरसेवितः // 7 // चैत्येत्र जिनमचिंत्वा याता द्रष्टुं समुत्सुकः / राजपुत्र्याः श्रीकनकवत्याः ख्यातं स्वयंवरम् // 8 // युग्मम् // दध्यौ शौरिरहो धन्या कन्याऽसौ यत्स्वयंवरम् / दिदृक्षुः कौतुकी श्रीदोऽप्यागमत्रिदिवात्स्वयम् // 9 // विमानादवतीर्याथ श्रीदः श्रीदेवताकृते / चैत्येऽचित्वा जिनं कृखा संगीतं चानमन्मुदा // 10 // स्थानत्यागोऽप्यहो मेऽभूदभृतामृतदर्शनात् / उपकार्यव यद्देवः कुबेरः परमाहतः // 11 // मनोरथपथातीतवीक्षणो वीक्षितो मया / दुःप्रापतीर्थकुद्भक्तिकृतार्थितनिजर्द्धिकः // 12 // युग्मम् // वितर्कयंतमेवं श्रीवसुदेवं निधीश्वरः / चैत्यात्समाप्य देवार्चा बहिर्गच्छन्नुदैवत // 13 / / अहो सुरासुरनराधीशेभ्योऽप्यतिसुंदरः / नरः कोऽपीति तुष्टांतः सोऽपि तं संज्ञयाऽऽह्वयत् // 24 // मर्त्यमात्रमहं देवस्त्वेप जैनो महद्धिकः / तन्मन्य इति शौरिस्तं निर्भीर्भजेऽतिकौतुकात् // 15 // तं दृष्ट्वा दृक्सुधावर्ष हर्प विभ्रत्यरं हृदि / सुरेन्द्रस्यापि लावण्ये धनदो निर्मदोऽभवत् // 16 // प्रियालापादिना तेन सत्कृतः स वयस्यवत् / विनयात्प्रांजलिः प्रोचे देवा ऽऽदिश करोमि किम् // 17 // | आस्तां नरैः परैर्देवैरपि कार्य सुदुःकरम् / मामेकं कुरु नैवार्थी व्यर्थीस्याद्भवतादृतः // 18 // शौरिणा किं तदित्युक्ते श्रीदः सादरमा- | | दिशत् / मद्गिरा ब्रूहि कनकवतीमंतःपुरे स्थिताम् // 19 // सौधर्माधिपतेर्देवेश्वरस्योत्तरदिक्पतिः। श्रीदस्त्वां याचते वोढुं रागी भानुरिवा // 212 //

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