Book Title: Bhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Author(s): Muniratnasuri, Vijaykumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala

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Page 297
________________ B88 // 285 // वसुदेवः hell वसुदेवः क ? इत्येवं तया पृष्टोऽब्रवीन्मुनिः। युवा विद्याधरीभर्त्ता दशमो वृष्णिनन्दनः // 70 // किं ? बहूक्तैन यद्रूपस्यांशेऽपि | | त्रिदशैरपि / अवापि तुल्यतां सोयं वसुदेव इति स्वयम् // 71 // आख्याय नारदे याते प्राविशद्देवकीहृदि / प्रथम चरमं पुर्यां वसुदे देवक्या वोद्भुताकृतिः // 72 // त्रि० वि०॥ मुक्तसेन्यौ बहिः प्रत्युद्गम्य देवकभूपतिः। कंसशौरी पुरीं नीत्वा सोधेऽध्यासयदासने // 73 // सह जाते साधऽध्यासपदासन // 72 // विवाहे | निवेष्यैष तयोरग्रेऽपृच्छदागमकारणम् / कंसोऽशंसद् याचितुं त्वामागमं शौरये सुताम् // 74 // कन्या ह्यवश्यं दातव्या वराय सतु कंसेन मदुर्लभः / तदनुरूपः सचाऽयं श्रीशौरिरेव नापरः // 75 / / अवादीद्देवको नायमाचारः कन्यकाकृते / यद्वरः स्वयमायातीत्यतो दास्ये थुरा पुर्यां | सुतां नहि // 76 // श्रुत्वेति तौ सवैलक्ष्यौ कटकं निजमीयतुः। प्राविक्षद्देवकस्त्वन्तःपुरमात्मेव कर्मवान् // 77 // स तत्र पुत्र्यै देवक्य नीतो |कतानत्यै मुदा ददौ। इत्याशिषं स्वानुरूपं त्वं वत्से ! वरमाप्नुहि // 78 // कंसस्य प्रार्थनां स्वस्य निषेधं देवकोऽप्यथ / आख्यदैव्यै || सपत्रिका साऽप्यरोदनिशम्य तत् // 79 / / तयोर्भावं वसुदेवे ज्ञात्वोचे देवकः पुनः। युवां विषीदतं मास प्रष्ठुमेवागतोऽस्मि यत // 40 // ऊचे देव्यपि देवक्या वसुदेवो वरो वरः / अस्याः पुण्यरसावत्र बुवूर्षुः स्वयमागमत् // 81 / / तयेत्युक्तः कंसशौरी स सम्मान्य स्वमंत्रिणा / ऊचे वयं त्वदायत्ता देवकी देव ! कीदृशी // 82 // तारं तारं गीयमानैः कलैर्दुबलमंगलैः / वाद्यमानैः पञ्चशब्दैनिस्वानस्वानमंजुलैः॥८३।। स्वकरांश्थामरान् कृत्वाऽऽतपत्रं च वपुनिज / सेव्यमानस्य सौभाग्यजितेनेव क्षणेन्दुना // 84 // चलद्गजघटाव्याजाजंगमन्वमुपेयुषा। विंध्येनेवान्वीयमानस्यौन्नत्यविजितश्रिया // 85 / / वसुदेवकुमारस्य कुमारस्येव कौतुकात् / हर्षोत्कर्षयजा |चक्रे श्रीमद्देवकभृभुजा // 86 // मुदापि नारदाख्यातगुणोद्यदनुरागया। देवक्या सह विवाहः शुभेऽहनि महोत्सवात् / / 87 // पं० // 285 // कु०॥ ददौ स्ववर्णादिकं भूरि दशार्हस्याथ देवकः / गोकोटियुक्तं नन्दं च दशगोकुलनायकम् / / 88 / / वसुदेवोऽपि सानन्दः सनन्दो

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