Book Title: Bhakti Kartavya
Author(s): Pratapkumar J Toliiya
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram

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Page 45
________________ लई शकाय. ए पण आश्चर्यकारक छे: अत्यारे ए ज. फरी योगवाइए मळीशु ए ज विज्ञापन. षट्पद विवेक अने सद्गुरु भक्ति रहस्य अनन्य शरणना आपनार एवा श्री सद्गुरूदेव ने · अत्यन्त भक्ति थी नमस्कार शुद्ध आत्मस्वरूपने पाम्यां छे एवा ज्ञानी पुरूषोए नीचे कह्यां छे ते छ पदने सम्यग्दर्शनना निवासनां सर्वोत्कृष्ट स्थानक कह्यां छे. षट्पद विवेक प्रथमपद :- 'आत्मा छे.' जेम घटपट आदि पदार्थों छे म आत्मा पण छे. अमुक गुण होवाने लीधे जेम घटपट आदि होवानु प्रमाण छे; तेम स्वपर प्रकाशक एवी चैतन्य सत्तानो प्रत्यक्ष गुण जेने विषे छे एवो Jain Education International 14 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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