Book Title: Bhakti Kartavya
Author(s): Pratapkumar J Toliiya
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram
View full book text
________________
प्रभात का भक्तिक्रम
अमूल्य तत्त्वविचार
बहु पुण्य केरा पुंजी शुभ देह मानवनो मळयो, तोये अरे भवचक्रनो आंटो नहि एकके टळयो । सुख प्राप्त करतां सुख टळे छे लेश ए लक्षे लहो, क्षण क्षण भयंकर भावमरणे कां अहो राची रहो ? १ लक्ष्मी अने अधिकार वधतां, शुं वध्युं ते तो कहो ?
शुं कुटुंब के परिवारथी वधवापणुं ए नय ग्रहो । वधवापणु संसारनुं नर देने हारी जवो,
एनो विचार नहीं अहो हो ! एक पळ तमने हवो ! २ निर्दोष सुख निर्दोष आनंद, त्यो गमे त्यांथी भले,
ए दिव्य शक्तिमान जेथी जंजीरेथी नीकळे, परवस्तुमा नहि मूंझवो, एनी दया मुजने रही,
ए त्यागवा सिद्धांत के पश्चात् दुःख ते सुख नहीं ३ हूं कोण छु ? क्यांथी थयो ? शुं स्वरुप छे मारुं खरु ? कोना संबंधे वळगणा छे? राखुं के ए परहरु ?
एना विचार विवेकपूर्वक शांत भावे जो कर्यां तो सर्व आत्मिक ज्ञाननां सिद्धांत तत्त्व अनुभव्यां ४
Jain Education International
70
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128