Book Title: Bhakti Kartavya
Author(s): Pratapkumar J Toliiya
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram

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Page 120
________________ शंकरे तुज रूपे अवतार धर्यो, शिवसंहिता अ ब्यान रत्नत्रयी त्रिशुले संहार्यो, अज्ञान - अंधकासुर खम्भे तारे लटके अलकावलि, जटा धारी तपशूर... समवसरण उपदेशे चतुर्मुख, निर्वाणदिन अ ज महाशिवरात्री, तुं सत् चित् आनंदी........ अष्टापद - कैलाशवासी तुं ज, पिता तुं सरस्वती पंड बाबा आदम ते तुं ज आदिनाथ. Jain Education International ....... चरणे सन्मुख रहे नंदी.........ऋ... विष्णु नाभि ब्रह्मा थई प्रगटयो, ते तुं नाभिराय नंद कान दाबी बाहुबलिओ पोकार्यो, बांगविधि ओ मर्म आदि बुद्ध तुं, आदि तीर्थंकर, ऋ०. ... ऋ० ऋ०. .. For Personal & Private Use Only ऋ०. ......... ऋ०. मान्य इस्लामी धर्म ........ ...ऋ०. ऋ०. .... 70. आदि नरेश समाज........ऋ०. १. २. ४. आद्य संस्कृतिनो तुं पुरस्कर्ता, सहजानन्द-पद राज........ ऋ०. ६. ( दि. २०-१०-१९६९, आश्विन शु. १०, विजयादशमी सं. २०२५ ) 89 ५. www.jainelibrary.org

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