Book Title: Bhakti Kartavya
Author(s): Pratapkumar J Toliiya
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram

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Page 117
________________ मेरे चिदाकाश के अजब सितारे; मेरे मनोरथ के सारथी भारे..... प्रभु० २. तू खेवैया मेरी नैया निकट किनारे; .. मेरे दु.ख द्वन्द्व ही कट गये सारे....प्रभु०. ३. तू ही मेरे सर्वस्व हदय दुल्हारे; .. तेरी कृपा सहजानंद निहारे .......... प्रभु०. ४. (दि. १-११-१९६४) ९. पद , प्रार्थना :आवो आवो हो गुरूराज! मारी झुपडीओ राखवा पोतानी लाज मारी झुपडीओ जंबु-भरते आ काले प्रवर्ते, धर्मना ढोंग समाज . मारी. १. तेथी कंटाळी आप दरबारे, आव्यो हुं शरणे महाराज ... मारी. २. छतां मूके ना केडो आ दुनिया, अंध परीक्षा व्याज .... मारी. ३. नाम धारी केई आपना ज भक्तो, पजवे कलंक दई आज .....मारी. ४. 86 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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