Book Title: Bhakti Kartavya
Author(s): Pratapkumar J Toliiya
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram

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Page 112
________________ अंतर- जल्प विकल्प संहारी, मार भगायी चाह कर्म-कर्मफल चेतनताको, दीन्हो अग्नि-दाह पारतंत्र्य पर निजको मिटायो, आप स्वतंत्र सनाह भयो ..... निज कुलवट की रौति निभाई, पत राखी वाह वाह. परिचय: ज्ञान चेतना संगमें विलसै, सहजानंद अथाह ..... भया... तीन लोक में आण फेलाई, आप शाहन को शाह भयो ३. पद Jain Education International भयो ..... भया..... ... 81 ... नाम सहजानंद मेरा नाम सहजानंद | अग़म-देश अलख - नगर - वासी मैं निर्द्वन्द्वनाम For Personal & Private Use Only सद्गुरू-गम तात मेरे, स्वानुभूति मात । स्याद्वाद - कुल है मेरा, सद् विवेक भ्रात... नाम..... सम्यग्-दर्शन देवं मेरे, गुरू है सम्यग् ज्ञान । - भयो ... www.jainelibrary.org

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