Book Title: Bhakti Kartavya
Author(s): Pratapkumar J Toliiya
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram

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Page 77
________________ दोहा पान खरंतां इम कहे, सुन तरुवर वनराय;. अबके' विछुरे कब मिले, दूर पडेंगे जाय. १ तब तरुवर उत्तर दीयो, सुनो पत्र एक बात; इस घर जैसी रीत है, एक आवत अक जात. २ वरसं दिना की गांठको, उत्सव गाय बजाय; मूरख नर समझे नहीं, वरस गांठको जाय (खाय). ३ सोरठो पवन तणो विश्वास, किण कारण ते दृढ कियो? इनकी अही रीत, आवे के आवे नहीं.. दोहा करज बिराना' काढके, खरच किया बहुनाम ; जब मुदत पूरी हुवे, देना पडशे दाम. बिनु दियां छूटे नहि, यह निश्चय कर मान; हस हसके क्यु खरची, दाम बिराना जान. १ हमणां छूटा पडेला क्यारे मलीशु ? २ वर्षगांठनो दिवस उजवे छे. ३. वा, श्वासोश्वास ४ पारकां व्याजे लावी. 46 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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