Book Title: Bhakti Kartavya
Author(s): Pratapkumar J Toliiya
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram

View full book text
Previous | Next

Page 84
________________ चौरासी लाख जीवयोनिने अभयदान दईश. ते दिवस मारो परम कल्याणमय थशे. बीजु पाप मृषावाद : . क्रोधवशे, मानवशे, मायावशे, लोभवशे, हास्ये करी, भयवशे इत्यादिक करी मृषा वचन बोल्यो, निंदाविकथा करी, कर्कश, कठोर, मार्मिक भाषा बोली इत्यादिक अनेक प्रकारे मृषा, जूठु बोल्यो, बोलाव्यु बोलता प्रत्ये अनुमोद्य - ते सर्वे मन-वचन-कायाले मिच्छामि दुक्कडं. ते दिवस मारो धन्य हशे के जे दिवसे हुँ सर्वथा प्रकारे मृषावादनो त्याग करीश, ते दिवस मारो परम कल्याणमय थशे. त्रीजु पाप अदत्तादान : अणदीधी वस्तु चोरी करीने लीधी, विश्वासघात करी थापण ओळवी, परस्त्री,, परधन हरण कर्यां ते मोटी चोरी लौकिक विरुद्धनी, तथा अल्प चोरी ते घर सम्बन्धी नाना प्रकारना कर्त्तव्योमा उपयोग सहिते ने उपयोग रहिते चोरी करी, करावी, करता 53 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128