Book Title: Bhakti Kartavya
Author(s): Pratapkumar J Toliiya
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram
View full book text
________________
तेथी अम जणाय छे, मळे न मोक्ष उपाय ; जीवादि जाण्या तणो शो उपकार ज थाय? ९५ पांचे उत्तरथी थयुसमाधान सर्वांग; समजु मोक्ष उपाय तो, उदय उदय सद्भाग्य. ९६
समाधान सद्गुरू - उवाच
पांचे उत्तरनी थई, आत्मा विशे प्रतीत; थाशे मोक्षोपायनी, सहज प्रतीत ओ रीत. कर्मभाव अज्ञान छे, मोक्षभाव निजवास; अंधकार अज्ञान सम, नाशे ज्ञान प्रकाश. जे जे कारण बंधनां, तेह बंधनो पंथ ; ते कारण छेदक दशा, मोक्ष पंथ भव-अंत. राग द्वेष अज्ञान अ, मुख्य कर्मनी ग्रंथ ; थाय निवृत्ति जेहथी, ते ज मोक्षनो पंथ. आत्मा सत् चैतन्यमय, सर्वाभास रहित ; जेथी केवळ पामीओ, मोक्षपंथ ते रीत. कर्म अनंत प्रकारना; तेमां मुख्ये आठ; तेमां मुख्ये मोहनीय, हणाय ते कहुं पाठ. कर्म मोहनीय भेद बे; दर्शन चारित्र नाम ; हणे बोध वीतरागता, अचूक उपाय आम.
१००
१०१
१०२
१०३
33
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128