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(१) अपने ग्राम, अपने नगर एव अपने साथी की रक्षा कर कार देकर मानव को 'क्षत्रिय' नाम दिया ।
(२) खेती, व्यापार, तथा पशुपालन का भार देकर मानव को 'वैश्य' नाम दिया।
१३) श्रमिक तथा निर्माण कार्य करने वाले मानव को शूद्र नाम दिया।
इसमे साथ ही आदिनाथ ने बताया कि तीनो एक दूसरे के पूरक हैं । साथी हैं। तथा स्नेही है । जिस समय भी एक दूसरे के प्रति घणा जन्म लेगी मानव का पतन होता जायेगा।
आदिनाथ ने तीनो वर्ग को समझाया कि देखो
(१) तलवार, तोर आदि शस्त्र धारण करके रक्षा करना, सेवा करना, यह असि कर्म है।
(२) लिखकर आजीविका करना मपि कर्म है।
(३) जमीन जोतना, उसमे बीज डालकर अन्न पैदा करना, फल फूल पैदा करना, कृषि कर्म है।
(४) अध्ययन करना, कराना, उपदेश देकर शिक्षा देना आदि विद्या कर्म है। (५) लेन देन व्यापारादिक करना वाणिज्य कर्म है।
और (६) चित्र बनाना, लकडी, पत्थर मिट्टी के वर्तन बनाना आदि वस्तुये बनाना शिल्प कम है।
भगवान आदिनाथ की प्रत्येक बात मानव समुह एकाग्र हो सुन रहा था और अपने आपमे एक नया उत्साह अनुभव कर रहा था । ____ स्वय भगवान प्रादिनाथ ने मानव को सभी कर्म करके दिखाए तो मानव खुशी से नाच उठा। चारो और भगवान आदिनाथ की