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को देखकर चकित से रह गए । और महामुनि आदिनाथ ?
महामुनि आदि नाय ""आगे बढे और श्रेयान्स कुमार के सामने मुद्रा बनाए खडे हो गए । श्रेयान्स कुमार ने तीन प्रदक्षिणा दी । नमोस्तु किया । पद प्रक्षालन किया । पूजा की । मन वचन काय की शुद्धता का सकेत दिया और गन्ने के रस (इक्षुरस) का भाव भक्ति पूर्वक आहार दिया।
ठीक एक साल पश्चात् भगवान प्रादिनाथ ने आज आहार गृहण किया था। सारा हस्तिनापुर क्षेत्र मगलमय प्रसाधनो से सम्पन्न हो उठा। देवगण भी पीछे न रहे। उन्होने पचाश्चर्य की वर्षा शुरु कर दी। __चारो दिशा मे अक्षय शान्ति, अक्षय सुख और नक्षय आनन्द की लहर छा गई। ईक्षुरत का अमृत मय पाहार पाकर भगवान आदिनाथ ने सतुष्टि प्राप्त की। उधर राजा श्रेयान्स ने