Book Title: Bhagavana Adinath
Author(s): Vasant Jain Shastri
Publisher: Anil Pocket Books

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Page 157
________________ पत्रिकाएं भेजदी जाय।'. यह आदेश सुनकर सभी मत्रियों ने अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार कार्यक्रम का विवरण तैयार करके अपने-अपने योग्य कार्य अधिकृत किया और प्रारम्भ की ओर कदम बढाने का दृढ सकल्प लेकर विदा ली। आज महाराज अकम्पन एव सभी मत्री गण निमत्रए पत्र भेजने की तैयारिया कर रहे है । सुन्दर एवं श्रेष्ठ पत्र पर स्वर्ण अक्षरो से अकित आदर भरे शब्द लिखे गये और यथा विधि उन्हे दूत द्वारा भेजने की व्यवस्था की । एक दूत को सुन्दर-सुन्दर उपहार लेकर और उन उपहारो मे एक-एक निमबरण पत्र रखकर भेजा गया। एक दूत को जो विशिष्ट ज्ञान और अनुभव का जानकार था, शुभ सन्देश देने और स्वयम्बा में उपस्थित होने के लिये निवेदन करने के लिये भेजा। किसी एक दूत को मान सम्मानादि सामग्नी के साथ भेजा। इस प्रकार दशो दिशात्रो मे अनेक दूत भेजे गये। वाराणसी नगरी भी इस शुभ कार्यक्रम की रचना से नाच उठी। सभी नागरिको को उस दिन की उमग भरी प्रतीक्षा लग रही थीजिस दिन यह कार्य सम्पन्न होगा। xxxx ___ आज अभी से वाराणसी नगरी एव इसके वाहर विपाल मैदान से बडी चहल-पहल हो रही है। सामान सजाने, लाने ले जाने आदि की दौड धूप लगी हुई है। प्रत्येक के मन में एक उमग की तरग भरी लहरे उठ रही है । नगर के बाहर बहुत भव्य और मनोहर स्वयम्बर मण्डप की रचना की गई है। गुलाब, चम्पा, चमेलो, केतकी, केवडा, मोगरा आदि के फूलो से चारो द्वारो के पथ सजे हुए है। मणिमोतियो की झालरे हिलोरें ले रही है।

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