Book Title: Bhagavana Adinath
Author(s): Vasant Jain Shastri
Publisher: Anil Pocket Books

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Page 182
________________ १५ - यह धरा यहीं की यहाँ 21 रही हम जसे लाखो चले गये LIFES भरत चक्रवर्ती एक महान् सम्राट घोर कुशल शासक सिद्ध | हुये । ख्याति पृथ्वी पर फैल रही थी और प्रयोध्या के अधिपति महाराज भरत के नाम पर ही इस क्षेत्र का नाम 'भारत' प्रसिद्ध हुना । आज शासन करते करते उन्हे १२ वर्ष व्यतीत हो रहे है । अचानक हो उन्हें अपने प्रिय भ्राता बाहुबली की याद आ गई । उन्होने — उनकी तलाश प्रारम्भ कर दी । रोने-कोने में अपने सेवक भेज दिये । 1 अभी तक कोई भी बाहुबली के समाचार नहीं लाया था । भरत, प्रत्येक क्षरण उनके समाचार पाने को उत्मक थे। तभी तभी एक सेवक ने भाकर प्रणाम किया उसे देख कर भरत ने पूछा कुछ समाचार प्राप्त हुए " प्रभो ।' 'कहा है भैया ? किन हालत में है ? .... तुम पृधाते । चनर में सेवरु रहने लगा · वहा है उन्होंने ? 'कई प्रश्न भरत ने उत्सुकता ―

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