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पायें।
मुनियों को छोर अन्य नाचते भूतो ने माउ फन यह है कि--नम्मे देवा व्यायामानेंगे और अन्य विश्वास में नगर जायेंगे।
साठवे स्वप्न 'चारो और नेपर दोन मे नवा तालाव देखने ने-धर्म नाटक मच्छरों में रह
जायगा ।
नोव स्वप्न 'धूलि ने मलिन रलो को गर्मि फल है कि पंचम काल में ऋद्धिचारी मुनि नहीं होगे ।
दसवें स्वप्न में 'बड़े प्रादर ते कुत्ते को मोदक मिलाते हुए देखना यह फलित करता है कि मित्व और नमी चारी (ब्राह्मण) भी गुणी, सयमी के समान सरकार पायेंगे | ग्यारहवें स्वप्न में जो तुमने देखा है ना कि 'सुन्दर वेल (वडा) ऊँचे शब्द कर रहा है।'
'हा प्रभो । 'भरत को जिज्ञाना स्वप्नों के फल सुन-सुनकर वढती जा रही थी और अपने आप ने चौक भी रहा था। ग्यारहवे स्वप्न का फल बताते हुए भगवान श्रादिनाय ने कहा - 'इसका फल यह होगा कि युवावस्था में हो व्रत, लयम, मुनि पद आदि ठहर सकेगा -- वृद्धावस्था मे नही ।'
'परस्पर जाते हुए दो बैल' जो तुमने वारहवें स्वप्न मे देखे हैं उसका फल यह है कि पंचम काल मे मुनि एकाबिहारी नही होने ।'
'सूर्य का मेघ पटल से घिरा हुआ देखने ते फल यह होगा कि केवल्य ज्ञान की प्राप्ति पचन काल मे नहीं होगी ।
चौदहवा स्वप्न जो तुमने देखा है कि 'सूखा हुआ वृक्ष खडा हैं - तो हे राजन, पंचम काल मे चरित्र नष्ट हो जाएगा । चरित्र का पालन गृहस्थी मे हो ही नही सकेगा ।