Book Title: Banna Hai to Bano Arihant
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 47
________________ थोड़ा समय बीतने के बाद।अभी क्या जल्दी है कल-परसो कभी भी कर लेंगे क्रोध। कल-परसों आने पर आप क्रोध न कर सकेंगे। क्योंकि तब तक क्रोध ठंडा हो चुका होगा। इसलिए जब भी क्रोध आए, उससे उबरने के लिए कल पर टाल दो। बेटे ने गलती की है, उसे डाँटेंगे जरूर लेकिन चार घंटे बाद। अभी तुरंत प्रतिक्रिया नहीं। हाँ! बेटा अच्छा कार्य करता है, तो उसकी प्रशंसा तुरंत अभी करेंगे। प्रेम करना है, अभी ही करेंगे। डाँटना है, पीटना है, तो क्या जल्दी है कल कर लेंगे। क्यों आज मारना, रहने दो, टालते जाओ। अशुभ कार्य के लिए कोई मुहूर्त तलाशो। क्रोध करना है तो मेरे पास आ जाना। पुष्य नक्षत्र में अमृत सिद्धि योग का अच्छा-सा मुहूर्त निकाल दूंगा। और जब प्रेम करने की बात आ जाए, भले ही अकाल योग हो, ज्वालामुखी योग या यमघट योग ही क्यों न हो,उसकी बिना परवाह किए ही प्रेम कर लेना। समय का सदुपयोग करने का यह अमृत सूत्र है। जब महावीर कहते हैं कि समय का क्षण भर भी प्रमाद मत करो, तो वे यही कहते हैं कि हर क्षण का सदुपयोग करो। जीवन को जीवंतता से, सजगता से जीओ। मेरा भी यही निवेदन है कि हम हर दिन को महोत्सव बनाकर जीएँ। हमारा हर दिन इतने आनन्द से परिपूर्ण हो कि हम आज को तथागत होकर जीएँ। चौदह वर्ष की साधना से प्रभु को कैवल्य प्राप्त हुआ लेकिन हम तो आज ही इतनी परिपूर्णता से जीएँ, इतनी जागरूकता से जीएँ कि हमारे लिए देह का गिरना, बस देह का गिरना भर हो। जीवन और समय का गहरा संबंध है। वर्षों पूर्व एक समय-घड़ी हुआ करती थी काँच की शीशी की, जिसमें एक घड़ी तक बालू रेत ऊपर से नीचे गिरती, शीशी पलट दो फिर ऊपर से नीचे आने लगती। जीवन बिल्कुल समय की घड़ी समझो। जैसे एक-एक कण गिरता चला जा रहा है। अगर सारे रेत के कण गिर गए, फिर घड़ी में क्या बचा? जीवन में से समय ऐसे ही फिसलता चला जा रहा है। सोचो, बाद में फिर क्या बचेगा? केवल एक खाली बोतल हमारे हाथ में रह जाएगी, घड़ी और समय दोनों निकल जाएँगे।महावीर तो एक-एक क्षण को मूल्य दे रहे हैं। हमारे लिए दिनों का, घंटों का भी मूल्य नहीं है, पर महावीर के लिए क्षण-क्षण का मूल्य है। जब देवेन्द्र महावीर के पास आते हैं और कहते हैं कि प्रभु आप अपनी मृत्यु का समय कुछ आगे बढ़ा लीजिए ताकि राहु-काल, जो आपकी मृत्यु वेला में बैठ रहा है,बचा जा सके।आपका शासन बचाया जा सके। महावीर कहते हैं - नहीं, इससे बचा नहीं जा सकता, इसे टाला भी नहीं जा सकता। यह मृत्यु निर्धारित है और 46 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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