Book Title: Banna Hai to Bano Arihant
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 109
________________ फिर मुक्ति के पंख खुले - Palamaaseesulymedicines emawwwralsavite प्रश्न है : पार होने के लिए जीव को पहले क्या जानना चाहिए? जीव के परिभ्रमण के मुख्य कारण क्या हैं? ये कारण कैसे दूर हों? इसके सुगम-से-सुगम उपाय क्या हैं? इसका समाधान करने की कृपा करें। पार होने के लिए जानने को बहुत कुछ जाना जा सकता है। बहुत कुछ जाना जा चुका है, लेकिन जितना जाना है उससे सौ गुणा अधिक हम जानने से अनजान हैं। एक तो जानना होता है बौद्धिक और दूसरा होता है आत्मिक- अपनी ही अनुभूति से जाना गया ज्ञान । बौद्धिक ज्ञान बाहर से भीतर आरोपित होता है और आत्मिक ज्ञान, आनुभविक ज्ञान भीतर की चट्टानों से फूटने वाले झरने का नाम है। संसार में ज्ञान तो बहुत है, मगर सारा ज्ञान बौद्धिक है, किताबों से बाँचा गया ज्ञान है। स्वयं में तलाशा एवं तराशा हुआ ज्ञान नहीं है, स्वयं में उघाड़ा हुआ ज्ञान नहीं है। ज्ञान अगर स्वयं में उघड़ जाए तो फिर कोई फ़र्क दिखाई न देगा। इन ईंट- चूने के महलों और ताश के पत्तों के महल में क्या फ़र्क है? चूने-पत्थर का महल गिरने पर जैसे प्रौढ़ व्यक्ति उदास हो जाता है, उसी तरह ताश का महल गिर जाए तो बच्चे उदास हो जाते हैं। बच्चे अभी प्रौढ़ नहीं हुए हैं। इसलिए चूने-पत्थर का महल गिरने पर वे उदास नहीं होते और जो प्रौढ़ हैं, वे ताश के पत्तों के महल का मिथ्यात्व जानते हैं, इसलिए ऐसा महल गिरने का उन पर कोई प्रभाव नहीं होता। मगर इसका उल्टा होने पर दोनों उदास हो जाते हैं, प्रौढ़ भी और बच्चा भी। 1081 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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