Book Title: Banna Hai to Bano Arihant
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 45
________________ तरह है, जब तक हरा है, तब तक पेड़ पर है और जब पीला पड़ गया, सूख ही गया तब उसकी आयु का क्या भरोसा। इसीलिए महावीर कहते हैं, प्रिय वत्स, तुम समय मात्र के लिए, क्षण भर का भी प्रमाद मत करो। प्रमाद अर्थात् मूर्छा, सुस्ती, सोयापन, गहरी तन्द्रा, गहरी नींद, एक सम्मोहित अवस्था । व्यक्ति की तन्द्रा, मूर्छा इतनी गहरी है कि उसे समय का भी बोध नहीं रहता। समय की चिन्ता नहीं रहती। वह समझता है कि समय का तो कोई मूल्य ही नहीं है। कोई आपसे मिलने का समय निर्धारित करता है, आप प्रतीक्षा करते हैं, लेकिन उसे तो समय पर आना ही नहीं है। लोग मानकर ही चलते हैं कि चार बजे का कार्यक्रम है तो तीन बजे का समय दो। लोगों के लिए समय का कोई मूल्य नहीं है। निरर्थक वार्तालाप, बहसबाजी में लोग न जाने कितना समय गँवा देते हैं, उसका तो कोई हिसाब ही नहीं है। समय का मूल्य होना चाहिए। समय का अनुशासन और पाबंदी तो होनी ही चाहिए। जो व्यक्ति समय का पाबन्द नहीं है, उसके जीवन में सुव्यवस्था नहीं होती। वह किसी सिद्धान्त का पाबन्द नहीं होता। जब तम समय के अनुशासन में ही नहीं हो, तो अपने क्रोध, काम, वासना, मोह, माया, कषाय पर कैसे विजय पाओगे। तुम समय को नहीं निभाते, तो समय तुम्हारा साथ कैसे निभा पाएगा! समय की बड़ी कीमत है। हर क्षण मूल्यवान है, क्योंकि पता नहीं वृक्ष का सूखा पत्ता किस क्षण गिर जाए। हम सोचते हैं कि कल करेंगे, पर किसे पता है कि आने वाला क्षण हमारे लिए काल हो जाए।जो आज को कल पर टालता है यह मत सोचिए कि वह कल करेगा। कल को फिर कल पर टाल देगा। जिंदगी कल पर टलती चली जाती है और कल कभी आता ही नहीं । जो आता है, वह वर्तमान होता है। उस कल का कुछ पता ही नहीं जिसके लिए तुम आज को नष्ट कर रहे हो। कल कभी नहीं होता, जो होता है, वह आज और इसी समय होता है। तुम्हारा यह कल कब काल बन जाए कुछ पता नहीं। जो पुनर्जन्म में विश्वास नहीं रखते उनके लिए तो जीवन बहुत छोटा है, थोड़ा है। इसलिए जितना अधिक किया जा सके, जीवन का उपयोग कर लो, चाहे सार्थक या निरर्थक। क्योंकि दो ही उपयोग हो सकते हैं और यह हम पर ही निर्भर है कि हम जीवन की चेतना का कैसा उपयोग करते हैं । समय तो निरन्तर बह रहा है। बहती गंगा में जितने चुल्लू पानी पी लिया जाए, उतना ही अपना है; शेष तो जाएगा ही। कल के लिए मत सोचो। अपने कार्यों को, अपने जीवन को, अपनी जवाबदारियों को कल पर मत टालो। 44 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122