Book Title: Banna Hai to Bano Arihant
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 46
________________ काल करै सो आज कर, आज करै सो अब। पल में परलय होएगी, बहुरि करैगौ कब ।। जिसके लिए जीवन का मूल्य है, वह सोचता है कहाँ कल पर टालूँ, आज का काम क्यों न आज ही कर लूँ और जो कल पर टालता है वह सोचता है, इतनी भी क्या जल्दी है, अभी तो बरसों जीना है, कभी-न-कभी कर ही लेंगे। नहीं! ऐसा नहीं होना चाहिए। हमें अपनी ओर से जीवन की पूरी तैयारी रखनी चाहिए। अगर हम निद्रामग्न हैं और मृत्यु आ जाए, तो हमारी ओर से पूरी तैयारी प्रतीत होनी चाहिए। साल भर प्रतीक्षा मत करो कि कब संवत्सरी आएगी और कब क्षमापना करोगे। हर दिन हमारे लिए संवत्सरी है। संवत्सरी का अर्थ ही होता है नया वर्ष । आपके लिए तीन सौ पैंसठ दिन में नया वर्ष आता है पर मेरे लिए हर चौबीस घंटों में नया वर्ष आ जाता है । एक दिन और एक रात यानी वर्तुल पूरा हो गया। इस तरह हर अगली सुबह नया साल ही है। हर दिन को धन्यता, जीवंतता, प्रसन्नता और सजगता से जीओ कि वह दिन ही संवत्सरी बन जाए। हम नहीं जानते कि आने वाले कल में हमारी मृत्यु होगी या जीवन रहेगा। लेकिन हमारी ओर से इतनी तैयारी होनी चाहिए कि हमारी मृत्यु भी निर्वाण का महोत्सव बन जाए। कल क्या होगा पता नहीं लेकिन आज तो उत्सव हो ही जाए। मनुष्य हमेशा अच्छे कार्यों को कल पर टालता है और बुरे कार्य तो आज ही कर डालता है। मैं उलटा सूत्र दूंगा। मैं कहूँगा अच्छे कार्य को आज कर डालो और बुरे कार्यों को सदा कल पर टालो। अच्छा काम करना हो, तो तुम मुहूर्त दिखाते हो। किसी पंडित, किसी साधु के पास जाते हो कि मुझे अमुक कार्य करना है, शुभ मुहूर्त निकाल दीजिए। लेकिन मैं कहता हूँ जिस क्षण शुभ कार्य करने का विचार उठे, संकल्प जगे, वही समय, वही क्षण सबसे श्रेष्ठ व शुभ मुहूर्त है। किसी से दुश्मनी निकालनी हो, क्रोध करना हो, तब किसी राज-ज्योतिष के पास जाना और कहना- मुझे अमुक व्यक्ति से बदला लेना है या उसने मुझे अपशब्द कहे थे, उस पर क्रोध करना है, कोई अच्छा-सा मुहूर्त निकाल दीजिए। लेकिन कहीं ऐसा होता है? क्रोध तो अभी करोगे और क्षमा माँगनी हो, तो संवत्सरी की प्रतीक्षा करोगे। क्रोध को किसी संवत्सरी पर टालो और क्षमा माँगनी हो, तो आज इसी समय, तत्क्षण क्षमापना कर लो। अशुभ कार्य कल पर टालो और शुभ कार्य आज ही कर डालो। जीवन का इससे सुन्दर अन्य कोई सूत्र नहीं है। अपने जीवन को निद्रा से, पाप से, प्रमाद से बचाने के लिए इससे अच्छी दवा नहीं है। जीवन आज होगा, मृत्यु कल होगी। प्रेम आज होगा, क्षमा आज होगी, करुणा-मैत्री आज होगी। कोई अपना दुश्मन है, तो दुश्मनी भी निकालेंगे, पर आज नहीं फिर कभी। क्रोध भी करेंगे पर 145 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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