Book Title: Banna Hai to Bano Arihant
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 68
________________ भीतर जगाएँ बोध की बाती इतिहास में बद्धरेक नामक हाथी की एक बहुत प्यारी-सी घटना उल्लिखित है। बद्धरेक अपने समय का अत्यन्त वीर योद्धा था, जिसके बलबूते पर सम्राट ने सैकड़ों युद्धों में विजय प्राप्त की थी। उस हाथी के शौर्य और पराक्रम की गाथा उसके प्रशंसक ही नहीं गाते थे,शत्रु भी बद्धरेक की यशोगाथा को बड़े चाव से कहते।अगर युद्ध पराजय की ओर बढ़ रहा हो और उसमें केवल बद्धरेक को उतार दिया जाये तो युद्ध की काया ही पलट जाती। एक समय आया जब बद्धरेक बूढ़ा हो गया। पानी की तलाश में वह जंगल की ओर बढ़ा। बुढापा तो घर कर ही चुका था, सो आँखें भी कमजोर हो गईं। उसके हाथ-पाँवों में ज़ोर नहीं रहा, दाँत भी गिर चुके थे। उसकी दशा बिल्कुल बूढ़े आदमी की-सी हो गई थी। वह गया तो था पानी की तलाश में, लेकिन पानी न मिल पाया। वह दलदल में जा फँसा। उसने जैसे-जैसे दलदल से बाहर निकलने का प्रयास किया, वह और अधिक दलदल में फँसता चला गया। आस-पास के ग्राम-नगर में समाचार फैल गया कि बद्धरेक दलदल में फँस गया है। समाचार पाकर सम्राट भी वहाँ पहुँचा। उसने सेना को आदेश दे दिया कि वह अविलम्ब बद्धरेक को दलदल से बाहर निकाले। सेना इस कार्य में तत्परता से जुट गई।अगर इतना बड़ा योद्धा, इतनी बुरी मौत मरे तो यह देश व प्रदेश के लिए कलंक की बात है। सेना ने बद्धरेक को निकालने के बहुतेरे प्रयास किये, पर उसे निकाला न 167 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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