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प्रस्तावना
का बहुत कुछ परिचय एवं उद्धरण पं० नाथूरामजी प्रेमीने बनारसीविलास के साथ दे दिया है । जनता इन तीनो से यथेष्ट लाभ भी उठा रही है । परन्तु चौथा ग्रन्थ 'नाममाला' अबतक अप्रकाशित ही था । श्राज वह भी जनता के सामने उपस्थित किया जारहा है, यह निःसन्देह बड़ी ही
प्रसन्नताका विषय है ।
इस ग्रन्थकी रचना संवत् १६७० में, बादशाह जहाँगीर के राज्यकाल में, आश्विन मास के शुक्लपक्षमं विजयादशमी को सोमवार के दिन, भानुगुरुके प्रसाद से पूर्णताको प्राप्त हुई है । इस ग्रन्थ बनवानेका श्रेय आपके परममित्र नरोत्तमदासजीको है, जिनके अनुरोध एवं प्रेरणा से यह बनाया गया है । जैसा कि ग्रन्थके पद्य नं० १७०, १७१, १७२, १७५ से स्पष्ट है ।
इस ग्रन्थकी रचनाका प्रधान श्राधार महाकवि धनंजय का वह संक्षिप्त कोष है जिसका नाम भी 'नाममाला' है