Book Title: Banarsi Nammala
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir

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Page 13
________________ बनारसो-नाममाला और जो अनेकार्थ-नाममाला सहित २५२ संस्कृत पद्योमें पूर्ण हुआ है । परन्तु उस नाममालाका यह अविकल अनुवाद नहीं है और न इसमें दोसौ दोहोंकी रचना ही है, जैसा कि पं० नाथूरामजी प्रेमीने बनारसीविलासमें प्रकट किया है । इस ग्रन्थके निर्माणमें दूसरे कोषोंसे कितनी ही सहायता ली गई है। ग्रन्थकी रचना बड़ी ही सुगम, रमीली और सहज अर्थावबोधक है। यह कोष हिन्दी भाषाके अभ्यासियोंके लिये बड़ी ही कामकी चीज़ है । अभी तक मेरे देखने में हिन्दी भाषाका ऐसा पद्यबद्ध दूसरा कोई भी कोष नहीं आया । संभव है इससे पहले या बादमें हिन्दी पद्योमें और भी किसी कोषकी रचना हुई हो । *"अजितनाथके छंदो और धनंजय-नाममालाके दोसौ दोहो की रचना इसी समय की।" "यह महाकवि श्री धनंजयकृत नाममलाका भाषा पद्यानुवाद है।" -बनारसी-विलास पृ० ६७, १११

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