Book Title: Banarsi Nammala
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir

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Page 17
________________ बनारसी-नाममाला १६३३ की लिखी हुई है, पं० बांकेरायकी मार्फत रामलाल श्रावक दिल्ली दर्वाजेके रहने वालेसे लिखाई गई है और उसपर मंदिरको, जिसके लिये लिखाई गई है, 'इंद्राजजीका' मंदिर लिखा है । बादको एक दूसरी शास्त्राकार १२ पत्रात्मक प्रति पानीपतके छोटे मंदिरके शास्त्रभंडारसे मार्फत पं० रूपचन्दजी गार्गायके प्राप्त हुई, जो संवत् १८६८ अाश्विन शुक्ल द्वितीया शनिवारकी लिखी हुई है और जिसे चौधरी दीनदयालने जलपथनगर ( पानीपत) में लिखा है । इस प्रतिका पहला और अन्त के ४ पत्र दूसरी कलमसे लिग्वे हुए हैं और वे शेष पत्रों की अपेक्षा अधिक अशुद्ध है । इस प्रनिसे भी संशोधनादिके कार्य में कितनी ही सहायता मिली है । यो प्रतियाँ दोनो ही थोड़ी-बहुत अशुद्ध हैं और उनमें साधारण-मा पाठ-भेद भी पाया जाता है; जैसे देहलीकी प्रतिमें तनय,तनया, पाठ हैं तो पानीपतकीप्रति में तनुज,तनुजा पाठ पाये जाते हैं स, श, य, ज, जैसे अक्षरोंके प्रयोगमें

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