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प्रस्तावना
नही मिलती । अस्तु ।
कविवर बनारसीदामजीका जन्म मंवत् १६४३ में जौनपुर में हुआ था। आपके पिताका नाम खडगमन था । श्रापने स्वयं अपनी प्रात्म-कथाका परिचय 'अर्द्ध कथानक'के रूपमें दिया है, जो ६७३ दोहा-चौपाइयोम लिखा गया है
और जिसमें आपकी ५५ वर्ष की जीवन-घटनाग्रांका तथा अात्मीय गुण-दोषीका अच्छा परिचय कराया गया है । अापकी यह आत्मकथा अथवा जीवन-चरित्र भारतीय विद्वानोके जीवन-परिचयरूप इतिहास में एक अर्व कृति है । अर्धकथानकके अवलोकनस स्पष्ट मालूम होता है कि श्रापका जीवन अधिकतर विपनियोका-संकटोका-सामना करते हुए व्यतीत हुश्रा है, और आपने उनपर मब धैर्य तथा साहसका अवलम्बन कर विजय प्राप्त की है।
यद्यपि भारतीय अनेक कवियोंने अपने अपने जीवनचरित्र स्वयं लिखे हैं, परन्तु उनमें अर्धकथानक-जैसा श्रात्मीय