Book Title: Arhat Vachan 2000 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ पर्वत पर ओम (ॐ) के दर्शन : नाबीडांग पर्वत पर ओम के आकार का दर्शन होता है जिसे नमन कर पंच परमेष्ठी को साक्षात नमन करने का असीम सुख प्राप्त होता है। ओम के प्राकृतिक दर्शन इस बात का प्रतीक है कि इस क्षेत्र से भगवान ऋषभदेव का निर्वाण हुआ है। इस पर्वतमाला का कण-कण पवित्र है। कैलाश और अष्टापद : प्राकृत निर्वाण भक्ति में 'अट्ठावयम्मि ऋसहो' अर्थात् ऋषभदेव । की निर्वाण भूमि अष्टापद बताई है, किन्तु संस्कृत निर्वाण भक्ति में अष्टापद के स्थान पर कैलाश को ऋषभदेव की निर्वाण भूमि मानते हुए लिखा है - "कैलाश शैल शिखरे परिनिवृत्रोऽसौ, शैलेभि भावमुपपद्य वृषो महात्मा। संस्कृत निर्वाण काव्य में एक श्लोक में निर्वाण क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए कहा है - 'सद्धाचले च हिमवत्यपि सुप्रतिष्ठे।' इसमें सम्पूर्ण हिमालय को ही तीर्थक्षेत्र माना है। यह निर्विवाद सत्य है कि कैलाश पर्वत पर भगवान ऋषभदेव के चरण चिन्ह हैं जिन तक पहुँचने के लिये आठ सीढ़ियाँ अष्टापदरूप हैं। इसीलिये इस स्थान को अष्टापद कहा जाता है। ऋषभ निर्वाण भूमि में नवनिर्मित सभागृह में विराजमान 24 चरण चिन्ह यात्रा सौभाग्य सूचक : कैलाश पर्वत की यात्रा अति दुष्कर है इसके लिये व्यक्ति का पूर्ण स्वस्थ होना अर्हत् वचन, अप्रैल 2000 34

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104