Book Title: Arhat Vachan 2000 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 90
________________ 31 अक्टूबर 99 को प्रात: 8.30 पर यशोदा निलय गोम्मटगिरी में पत्रकार सम्मेलन का द्वितीय सत्र सम्यग्ज्ञान के संपादक कर्मयोगी ब्र. रवीन्द्र कुमार जैन, हस्तिनापुर की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। - इस सम्मेलन में दिगम्बर जैन महासमिति पत्रिका के संपादक श्री अशोक जैन बड़जात्या (इन्दौर) उपसंपादक श्री प्रकाशचन्द जैन (दिल्ली), जैन मित्र के संपादक श्री शैलेष जैन कापड़िया (सूरत), अनेकान्त पथ के संपादक श्री सुरेशचन्द जैन (जबलपुर), अंकलेश्वर वाणी के संपादक प्रतिष्ठाचार्य पं. फतहसागर जैन (उदयपुर), जैन महिलादर्श की संपादिका डा. नीलम जैन (गाजियाबाद) एवं सहसंपादिका डा. विमला जैन (फिरोजाबाद), अध्यात्म पर्व पत्रिका के संपादक श्री नरेन्द्र कुमार जैन (झांसी), सन्मतिवाणी के संपादक पं. जयसेन जैन (इन्दौर), वीर निकलंक के संपादक श्री रमेश जैन कासलीवाल (इन्दौर), दर्शन ज्ञान चारित्र के संपादक श्री विजय जैन लुहाडिय (दिल्ली), हुमड़मित्र के संपादक श्री सूरजमल बोबरा (इन्दौर), हुमंड संदेश के संपादक श्री दिलीप मेहता (इन्दौर), जिनेन्द्र वाणी के संपादक श्री निर्मल कुमार के होटपोटे (हुबली) एवं श्री शांतिकुमार होटपोटे (हुबली), संहिता के संपादक श्री यशवंत चिंतामणि जैन इंगोले (अकोला), दयोदय के संपादक श्री भागचंद जैन पहाड़िया (बुरहानुपर), स्वतंत्र जैन चिन्तन के श्री नरेन्द्र कुमार जैन (अजमेर), श्री रिषभचन्द जैन नायक, प्रदीप जैन नायक आदि उपस्थित थे। विशेष अतिथि के रूप में जैना के अध्यक्ष श्री महेन्द्र जैन पाण्डया (न्यूयार्क) श्री माणिकचन्द जैन पाटनी (महामंत्री - महासमिति) श्री हुकमचंद जैन (अध्यक्ष मध्यांचल), राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रदीप जैन कासलीवाल, श्री जगमोहन जैन (अतिरिक्त महामंत्री) एवं श्री अनिल कुमार जैन कागजी भी उपस्थित रहे। दिगम्बर जैन महासा रात जयतिवर्ष एकताशेरबाट पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए श्री हुकमचन्द जैन (अध्यक्ष-मध्यांचल)। समीप हैं (मंच पर) डॉ. अनुपम जैन, श्री माणिकचन्द पाटनी, ब्र. रवीन्द्रकुमार जैन, श्री महेन्द्र पांड्या, श्री अनिलकुमार जैन कागजी एवं श्री जगमोहन जैन कार्यक्रम का शुभारंभ पं. फतहसागर जैन के मंगलाचरण से हुआ। डा. अनुपम जैन सम्पादक अर्हत वचन (इन्दौर) ने सम्मेलन की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए सम्पादकों में पारस्परिक सहयोग एवं संवाद की आवश्यकता निरूपित की। श्री अशोक जैन बड़जात्या संपादक महासमिति पत्रिका ने कहा कि सम्मेलन को इस बात पर विचार करना चाहिये कि हमारे समाज की पत्रिकाओं को व्यावसायिक विज्ञापन क्यों नहीं मिलते हैं? हमारी पत्रिकाओं की प्रसार संख्या है। प्रकाशन स्तर भी अच्छा है फिर विज्ञापन क्यों नहीं? श्री माणिकचन्द जैन पाटनी राष्ट्रीय महामंत्री ने कहा कि महासमिति समाज में समन्वय एवं सद्भावना के लिए प्रतिबद्ध है। हम महासमिति पत्रिका में निष्पक्ष होकर सभी के 88 अर्हत् वचन, अप्रैल 2000

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