Book Title: Arhat Vachan 2000 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 41
________________ दोनों को गोदी में बैठा कर सिखाते हैं। गणित में लिखाते हैं वह उल्टी संख्या है क्योंकि हम 123 में पहले 1, फिर 2, फिर 3 लिखते हैं जबकि इकाई की संख्या 3 है, 2 दहाई की संख्या है और 1 शतक की संख्या है। हमें पहले इकाई का अंक लिखना चाहिये लेकिन हम पहले शतक का अंक लिखते हैं। इसका कारण यह है कि सुन्दरी बांयी ओर बैठी थी। ब्राह्मी को दायें भाग में बिठाकर अ, आ की शिक्षा दी थी जिससे अक्षर की गति बायें से दायें की ओर होती है और सुन्दरी को बांयी गोद में बैठाकर 1-2......... की शिक्षा दी जिससे संख्या की गति दायें भाग से बायें की ओर होती है। इसलिये 'अंकानाम् वामतोगति'। इससे स्वत: प्रमाण सिद्ध हुआ कि ब्राह्मी लिपि का आविष्कार ब्राह्मी के नाम पर हुआ। ____ आदिनाथ भगवान ने कई खण्डों में व्याकरण शास्त्र को रचा था। परन्तु अभी लिपिबद्ध रूप में सबसे प्राचीन व्याकरण प्राणिनी व्याकरण है। पाणिनी व्याकरण ईसा पूर्व 500 वर्ष पूर्व लिखा हुआ था। हमारे भारत ने शून्य व दशमलव पद्धति का आविष्कार किया। यदि दशमलव पद्धति का आविष्कार नहीं होता तो गणित व विज्ञान का विकास भी नहीं होता। इससे सिद्ध होता है कि गणित व विज्ञान का विकास हमारे भारत में हुआ। परन्तु हम भूल गये कि केवल 1200 वर्ष पूर्व एक भारतीय वैज्ञानिक गणित, ज्योतिष लेकर अरब गया और अरब से यूरोप और यूनान गया। वहीं से गणित व विज्ञान का विकास हुआ। नवीं शताब्दी में नागार्जुन, जो रसायन शास्त्र के भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे, ने रसायन शास्त्र पर ग्रन्थ लिखे। गणित में आचार्य महावीर का एक ग्रन्थ है - 'गणित सार संग्रह', जिसमें लघुत्तम समावर्त्य, दीर्घवृत्त और अंक गणित व बीजगणित आदि का वर्णन है। 628 में ब्रह्मगुप्त हुए जिनका ग्रन्थ 1200 वर्ष पूर्व विदेशों में लोकप्रिय हो गया। आर्यभट ने आर्यभटीय लिखी। उसमें अंक गणित, बीजगणित, रेखागणित है और उसमें 'पाई का वर्णन है। भास्कराचार्य, जिसने कि न्यूटन से 500 वर्ष पूर्व गुरुत्वाकर्षण की खोज की। न्यूटन आम के पेड़ के नीचे बैठे थे तो एक एप्पल उनके सिर पर गिरी तो उन्होंने सोचा कि एप्पल ऊपर या इधर - उधर क्यों नहीं गिरा सीधा नीचे की ओर ही क्यों आया और उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त की खोज की और सत्र दिया। भूमि में आकर्षण शक्ति है। अत: आकाश में स्थित भारी वस्तु को भूमि अपनी ओर खींच लेती है। हम मानते हैं और पढ़ते हैं कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति का प्रतिपादन न्यूटन ने किया। दरपन के नीचे अंधेरा है। हमारे अन्दर आत्म बल नहीं है जिससे हम अपने सिद्धान्त को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। आर्केमिडिस ने प्लावन सूत्र / आयतन सूत्र को प्रतिपादित किया था। जबकि इसका आविष्कार 3000 वर्ष पूर्व अभयकुमार ने किया था जो कि राजा श्रेणिक का पुत्र एवं महामंत्री था। सूर्य सिद्धान्त का प्रतिपादन सिद्धान्त शिरोमणि व लीलावती में किया। अभयकुमार ने हाथी का वजन करने के लिये आयतन सूत्र का आविष्कार कुछ गरीब बाह्मणों की रक्षा के लिये किया था। श्रेणिक उनको कष्ट देना चाहता था। श्रेणिक ने कहा कि हाथी का वजन करके ले आओ। इसके लिये उन्होंने (अभयकुमार ने) एक सूत्र दिया कि तुम एक नौका जल में रखो और उस नौका में हाथी को रखो। फिर नौका वजन के कारण पानी में डुबेगी तो जहाँ तक नौका डूबे वहाँ निशान लगा दो। फिर हाथी को निकाल लो। फिर उसमें इतने पत्थर डालो कि उस निशान तक पानी पहुँच जाये। उन पत्थरों का अर्हत् वचन, अप्रैल 2000 39

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