Book Title: Arhat Vachan 2000 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 71
________________ अर्हत् वच कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर टिप्पणी - 2 महाराजा छत्रसाल संग्रहालय थुबेला जिला छतरपुर में सुरक्षित मऊ - सहानिया की ऋषभनाथ प्रतिमाएँ ■ नरेशकुमार पाठक * ऋषभनाथ अथवा आदिनाथ को जैन सम्प्रदाय का प्रथम तीर्थंकर माना जाता है, किन्तु जैन पुराणों एवं शिल्पशास्त्र से संबंधित ग्रन्थों में प्रतिमा विज्ञान की दृष्टि से ऋषभनाथ अथवा आदिनाथ विषयक वर्णन बहुत ही कम है, जो कुछ भी विवरण मिलता है, वह उनके लांछनों आदि से ही संबंधित है। " प्रवचनसारोद्धार" से ज्ञात होता है, कि ऋषभनाथ का लांछन " वृषभ" है। जबकि कुछ सन्दर्भ ऐसे भी है, जिनमें इस प्रथम तीर्थंकर का लांछन " धर्मचक्र" कहा गया है। अभिधान चिन्तामणि, तिलोयपण्णती, निर्वाणकलिका तथा प्रतिष्ठा सारोद्धार आदि ग्रन्थों में आदिनाथ से संबंधित जो जानकारी मिलती है, तदनुरूप उनकी माता का नाम मरूदेवी और पिता का नाम नाभि था उनका जन्म अयोध्या नगरी में हुआ था और वहीं पर तपस्या करते हुए न्यग्रोधवृक्ष के नीचे उन्होंने "कैवल्य ज्ञान" प्राप्त किया था। जैन ग्रन्थों के अनुसार ऋषभनाथ की निर्वाण भूमि कैलाश पर्वत अथवा अष्टापद है। शासन देवता के रूप में उनके साथ गोमुख यक्ष और यक्षी चक्रेश्वरी को शिल्पांकित किया जाता है। भरत और बाहुबलि को उनका मुख्य आराधक माना गया है पार्श्वयोभरतबाहुबलिभ्यामुपसेवितः " इन लक्षणों और लांछनों से युक्त आदिनाथ भगवान की अनेक प्रतिमाएं प्राप्त हुई है। उन्हें जैन धर्म का प्रथम प्रवर्तक माना जाता है। दिगम्बर परम्परा के आचार्य जिनसेन कृत " आदिपुराण' से ऋषभनाथ विषयक जानकारी उपलब्ध होती है, महाराजा छत्रसाल संग्रहालय धुबेला जिला छतरपुर में सुरक्षित मऊ - सहानिया से प्राप्त आठ ऋषभनाथ प्रतिमाओं का विवरण प्रस्तुत लेख में प्रस्तुत किया जा रहा है, तिथि क्रम की दृष्टि से सभी प्रतिमाएँ लगभग 11 वीं शती ई. की है, प्रतिमाओं का विवरण इस प्रकार हैं 1. सं. क्र. - 5 पद्मासन की ध्यानस्थ मुद्रा में बैठे प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ के सिर पर लाईनदार केश, लम्बेकर्ण, जटाये कंधों पर फैली है। पीछे साधारण प्रभामण्डल, वितान में त्रिछत्र, दुन्दभि, गज एवं उड़ते हुये गन्धर्व अंकित हैं। पार्श्व में चांवरधारी, पादपीठ पर विपरीत दिशा में मुख किये सिंह सेवक, सेविका अंकित हैं। पादपीठ के नीचे के भाग में लांछन वृषभ की रेखानुकृति बनी हुई है। लाल बलुआ पत्थर पर निर्मित प्रतिमा 62X35X19 से.मी. आकार की है। 2. सं. क्र. - 8 तीर्थंकर ऋषभनाथ का पादपीठ है, जिस पर उनका लांछन 'वृषभ', विपरीत दिशा में मुख किये सिंह मध्य में चक्र, दोनों पार्श्व में दायें गोमुख यक्ष, बायें यक्षी चक्रेश्वरी अंकित है। बलुआ पत्थर पर निर्मित प्रतिमा 12X23X11 से.मी. आकार की है। - 3. सं. क्र. 19 पद्मासन में बैठे तीर्थंकर ऋषभनाथ का कमर से नीचे का भाग है। पादपीठ, पैर हाथ शेष रहे है। पादपीठ के निम्नतर भाग पर एक पंक्ति में विक्रम संवत 1128 (ई. सन् 1071 ) का लेख उत्कीर्ण है, जिसमें गोल्लाकुल द्वारा प्रतिमा स्थापित अर्हत् वचन, अप्रैल 2000 69

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